जागरण प्राइम, नई दिल्ली। विदेश में पेमेंट की समस्या से जूझ रहे एसबीएम बैंक इंडिया के ग्राहकों को रिजर्व बैंक ने राहत दे दी है। आरबीआई ने 31 जनवरी को एक आदेश में कहा है कि ये लोग एटीएम से पैसे निकालने के अलावा प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) पर भी ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। बैंकिंग रेगुलेटर के अनुसार यह राहत 15 मार्च 2023 तक दी गई है। ग्राहकों की समस्या की खबर जागरण.कॉम ने सोमवार, 30 जनवरी को ही प्रकाशित की थी।

दरअसल, आरबीआई ने 23 जनवरी के एक आदेश में मॉरीशस के एसबीएम ग्रुप की भारतीय इकाई एसबीएम बैंक इंडिया को लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत ट्रांजैक्शन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। एलआरएस में विदेश में पढ़ाई, इलाज, निवेश, ट्रैवल और नजदीकी रिश्तेदार के रहने का खर्च आदि आते हैं। यह स्कीम 2004 में शुरू की गई थी। इसमें कोई व्यक्ति एक साल में 2.5 लाख डॉलर तक राशि देश से बाहर भेज सकता है।

क्या है आरबीआई का नया आदेश

बैंकिंग रेगुलेटर के अनुसार 23 जनवरी के आदेश के बाद “एसबीएम बैंक ने सुधार के कई कदम उठाए हैं। उसने प्रतिबंधों में ढील देने का भी अनुरोध किया है। बैंक के अनुरोध और उसके ग्राहकों को राहत देने के लिए प्रतिबंधों में आंशिक छूट देने का फैसला किया गया है। ग्राहक एलआरएस के तहत एटीएम/पीओएस ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। हालांकि बैंक की तरफ से जारी अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड केवायसी कंप्लायंट होने चाहिए।”

ग्राहक कर रहे थे शिकायत

फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियों ने एसबीएम इंडिया के साथ साझीदारी में अपने ग्राहकों को डेबिट कार्ड जारी किए थे। उनमें एक कंपनी नियो भी है, जो अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड ‘एसबीएम नियो ग्लोबल’ उपलब्ध कराती है। आरबीआई के 23 आदेश के बाद इस कार्ड के भरोसे विदेश गए लोग वहां ट्रांजैक्शन नहीं कर पा रहे थे। वे कंपनी के ट्विटर हैंडल @theniyo पर लगातार शिकायतें कर रहे थे।

@jeevanjoshi1127 ने ट्विटर पर लिखा, "मैं भारत से बाहर हूं और इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन में समस्या आ रही है। मेरे पास पेमेंट करने का दूसरा कोई माध्यम नहीं है। कृपया 2-3 दिनों में समाधान करें।"

@gautham6544 ने लिखा, "मैं अमेरिका में मास्टर्स का छात्र हूं। अचानक मेरे नियो ग्लोबल कार्ड ने काम करना बंद कर दिया है।"

@riyass005 ने लिखा, "मेरे नियो ग्लोबल फॉरेक्स कार्ड पर इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन नहीं हो रहे हैं। जब मैंने यात्रा शुरू की, तब मेरे पास सिर्फ यही कार्ड था। मेरे पास और कोई विदेशी मुद्रा नहीं है।"

@irshad_surosh ने ट्वीट किया, "मैं चीन में मेडिकल स्टूडेंट है और बड़ी समस्या झेल रहा हूं। मेरा नियो ग्लोबल कार्ड काम नहीं कर रहा है। भारत में माता-पिता से मुझे तत्काल पैसे मंगवाने हैं। कृपया इस समस्या का यथाशीघ्र समाधान करें।"

डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड

आरबीआई ने 23 जनवरी को विदेश में ट्रांजैक्शन पर रोक का जो आदेश जारी किया था, उसके मुताबिक बैंक में कुछ 'मैटेरियल सुपरवाइजरी' चिंता पाई गई थी। हालांकि रेगुलेटर ने इससे अधिक खुलासा नहीं किया। 31 जनवरी के आदेश में भी उसने यह नहीं बताया है कि बैंक ने सुधार के क्या कदम उठाए हैं। बाजार सूत्रों का कहना है कि प्रीपेड कार्ड होने के बावजूद उन पर स्वीकृत राशि से ज्यादा रकम लोड कर दी जाती थी। इस तरह, वास्तव में ये क्रेडिट कार्ड के तौर पर काम करते थे।

रिजर्व बैंक के कदम का समर्थन करते हुए बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने जागरण प्राइम से कहा, “आरबीआई का मुख्य कार्य देश के फाइनेंशियल सिस्टम में स्थिरता और नैतिकता को बनाए रखना है। इसने हमेशा भारतीय उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरि रखा है। यह बैंकों के कामकाज पर बारीक नजर रखता है ताकि वे नियमों और उचित बैंकिंग तौर-तरीकों का पालन करें। वित्तीय प्रणाली में स्थिरता सुनिश्चित करने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए वह कंप्लायंस और गवर्नेंस के मुद्दों पर अक्सर कार्रवाई करता रहता है।” एक बैंक अधिकारी के अनुसार विदेश यात्रा पर जाते समय किसी एक पेमेंट सिस्टम के भरोसे रहना ठीक नहीं, एक-दो विकल्प और रखने चाहिए।

कई फिनटेक हो सकते हैं प्रभावित

नियो ने एक बयान में कहा था कि आरबीआई के आदेश के बाद इन डेबिट कार्ड पर फिलहाल अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन बंद हैं। हालांकि घरेलू ट्रांजैक्शन में इनका प्रयोग किया जा सकता है। नियो ने एक क्रेडिट भी जारी किया। उसने कहा, "हमने इस अस्थायी परिस्थिति में आपकी मदद के लिए जीरो फॉरेक्स सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया है। आप तत्काल क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन में वर्चुअल कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं।"

बैंकिंग फिनटेक नियो के अलावा जोल्वे (Zolve), इंडमनी (IndMoney) और वेस्टेड फाइनेंस (Vested Finance) जैसे अमेरिकी स्टॉक इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म समेत सात-आठ फिनटेक के प्रभावित होने की खबरें हैं। दरअसल, एसबीएम इंडिया फिनटेक मॉडल बैंकिंग के लिए ही जानी जाती है। विदेश से भारत पैसा मंगवाने के लिए भी इसने कई कंपनियों के साथ करार किया हुआ है।

डेढ़ साल में 6 गुना बढ़ गए एसबीएम के क्रेडिट कार्ड

एसबीएम इंडिया को दिसंबर 2018 में रिजर्व बैंक से बैंकिंग का लाइसेंस मिला था। चार साल में बैंक के ब्रांच की संख्या तो सिर्फ 12 तक पहुंची, लेकिन इसने डेबिट और क्रेडिट कार्ड खूब जारी किए। रिजर्व बैंक हर महीने देश के सभी बैंकों के डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, उन पर हुए लेनदेन का लेखा-जोखा जारी करता है। आरबीआई की इस सूची में दिसंबर 2020 तक एसबीएम इंडिया का नाम नहीं था। लेकिन अप्रैल 2021 में इसके क्रेडिट कार्ड की संख्या 1.22 लाख और डेबिट कार्ड की 10,778 हो गई थी। अप्रैल 2022 में यह संख्या क्रमशः 7.04 लाख और 57,693 हो गई। दिसंबर 2022 में इसके क्रेडिट कार्ड की संख्या 9.68 लाख और डेबिट कार्ड की 4.70 लाख हो गई। अर्थात डेढ़ साल में इसके क्रेडिट कार्ड की संख्या करीब छह गुना हो गई।

तुलनात्मक रूप से देखें तो देश में पहले से सक्रिय अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक ने यहां अब तक 13.17 लाख और सिटी बैंक ने 24.87 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए हैं। एसबीएम बैंक इंडिया ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि इसकी ब्रांच सिर्फ मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, मेडक, बेंगलुरु, नई दिल्ली, पालघर, अहमदाबाद, पुणे, चंडीगढ़, अबितघर (पालघर) और कोलकाता में हैं।

स्लाइस के प्रीपेड कार्ड पर भी लगी थी रोक

इससे पहले स्लाइस (Slice) फिनटेक के मामले में भी अनियमितता के आरोप लगे थे। स्लाइस ग्राहकों को कार्ड देती थी जो वास्तव में क्रेडिट कार्ड जैसे होते थे। यानी कार्ड से पेमेंट करके ग्राहक बाद में पैसे चुका सकते थे। इसके लिए उसे बैंकिंग पार्टनर की जरूरत थी, जिसे एसबीएम बैंक इंडिया ने पूरा किया। कहने को वे प्रीपेड कार्ड थे, लेकिन उनका इस्तेमाल क्रेडिट कार्ड के तौर पर किया जाता था। आरबीआई ने पिछले साल उसके प्रीपेड कार्ड पर रोक लगा दी थी।

एसबीएम इंडिया का फिनटेक बैंकिंग मॉडल

टैक्स हैवन होने के कारण एक समय मॉरीशस दुनिया की अनेक प्रमुख कंपनियों के लिए बड़ा फाइनेंशियल सेंटर बन गया था, जिसका फायदा वहां के बैंकों ने उठाया। कालेधन पर रोक लगाने के लिए भारत (2016) समेत कई देशों ने मॉरीशस के साथ समझौता किया तो उन बैंकों का बिजनेस कम होने लगा। उसके बाद वे बैंक बिजनेस के विस्तार के लिए दूसरे रास्ते तलाशने लगे। इसी क्रम में एसबीएम बैंक ने दिसंबर 2018 में भारत में बैंकिंग का लाइसेंस हासिल किया। बैंक ने स्टार्टअप्स और फिनटेक के जरिए बिजनेस बढ़ाने का मॉडल अपनाया। फिनटेक को किसी बड़े बैंक से साझीदारी को अंतिम रूप देने में कई महीने लग जाते हैं, इसलिए उन्हें भी एसबीएम इंडिया का मॉडल आसान लगा। एसबीएम इंडिया ने करीब तीन दर्जन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ साझीदारी कर रखी है।

(जागरण प्राइम ने इस खबर के लिए नियो और एसबीएम बैंक को ईमेल भेजा है। जवाब आते ही खबर अपडेट कर दी जाएगी।)