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    भारतीय युद्धपोत ने बीच समुद्र लिया अमेरिकी नौसेना के टैंकर से तेल, समझौते के तहत पहली बार ऐसा हुआ

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Tue, 15 Sep 2020 08:11 AM (IST)

    भारत और अमेरिका की नौसेनाओं ने आपसी सहयोग बढ़ाते हुए सोमवार को समुद्र के बीच में ईंधन का लेन-देन किया। समझौते के तहत पहली बार ऐसा हुआ है... ...और पढ़ें

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    भारतीय युद्धपोत ने बीच समुद्र लिया अमेरिकी नौसेना के टैंकर से तेल, समझौते के तहत पहली बार ऐसा हुआ

    नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत और अमेरिका की नौसेनाओं ने आपसी सहयोग बढ़ाते हुए सोमवार को समुद्र की मध्य ईंधन का लेन-देन किया। भारतीय युद्धपोत आइएनएस तलवार इन दिनों उत्तरी अरब सागर में तैनात है, वहीं उसने अमेरिकी नौसेना के टैंकर यूएसएनएस यूकोन से तेल प्राप्त किया। ईंधन का यह लेन-देन दोनों देशों के बीच 2016 में हुए समझौते के चलते पहली बार हुआ है। भारत और अमेरिका के बीच 2016 में रणनीतिक सुविधाओं के लेन-देन का समझौत हुआ था।

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    इस समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे के वायुसेना और नौसेना के अड्डों का इस्तेमाल कर सकते हैं। भोजन, ईंधन, उपकरण आदि की मदद ले और दे सकते हैं। रक्षा उपकरणों की मरम्मत में मदद दे और ले सकते हैं। भारत ने ऐसा ही समझौता फ्रांस, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भी कर रखा है। जापान से यह समझौता दो रोज पहले ही हुआ है। अमेरिका के साथ 2018 में हुए एक अन्य समझौते के तहत दो देशों की थल सेनाएं तमाम तरह के मामलों में मिलकर कार्य कर सकती हैं।

    एक-दूसरे को उच्च तकनीक वाले हथियार दे और ले सकती हैं। तकनीक हस्तांतरण भी कर सकती हैं। जुलाई में ही भारतीय नौसेना ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के पास अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज के बेड़े के साथ युद्धाभ्यास किया था। निमित्ज दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली समुद्री बेड़ा है। परमाणु हथियारों से लैस इस बेड़े में गाइडेड मिसाइलों वाले कई क्रूजर और डिस्ट्रॉयर भी हैं।

    यह घटना ऐसे समय हुई है जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव बरकरार है। बीते दिनों मास्‍को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच सीमा पर गतिरोध के समाधान के लिए पांच सूत्रीय योजना पर सहमति बनी थी लेकिन चीन की ओर से अभी भी इस बारे में कोई पहल नहीं नजर आई है। हालांकि दिल्‍ली में चीनी राजदूत ने कहा है कि दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाया जाना बेहद जरूरी है।