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    'कनाडा में पढ़ने जाने से पहले सोचें', भारतीय उच्चायुक्त ने बताई सच्चाई; कहा- हर हफ्ते आते थे दो शव

    By Agency Edited By: Sachin Pandey
    Updated: Fri, 25 Oct 2024 10:21 PM (IST)

    कनाडा में पढ़ाई करने का सपना देख रहे छात्रों को थोड़ ठहरकर और सोच समझकर फैसला करना चाहिए क्योंकि वहां की तस्वीर जैसी दिखती है हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। इसका खुलासा किया है खुद भारतीय उच्चायुक्त के तौर पर वहां पदस्थ रहे संजय वर्मा ने जिन्हें सरकार ने हाल ही में वापस बुलाया है। पढ़ें उन्होंने क्या-क्या किए हैं खुलासे।

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    संजय वर्मा ने भारतीय छात्रों को वहां के हालात के बारे में चेताया है। (File Image)

    पीटीआई, नई दिल्ली। कनाडा से वापस बुलाए गए भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा ने कहा है कि वहां पर अध्ययन करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए। लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद कई छात्र घटिया कालेजों में दाखिला ले लेते हैं और उन्हें नौकरी का कोई मौका नहीं मिलता। इसके परिणामस्वरूप वे अवसादग्रस्त हो जाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एक विशेष साक्षात्कार में संजय वर्मा ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान एक समय ऐसा भी था, जब हर सप्ताह कम से कम दो छात्रों के शव कनाडा से भारत भेजे जाते थे। असफल होने के बाद छात्र अपने माता-पिता का सामना करने के बजाय आत्महत्या कर लेते थे। संजय वर्मा ने कहा कि छात्र वहां उज्ज्वल भविष्य का सपना लेकर जाते हैं, लेकिन उनके शव बॉडी बैग में वापस आते हैं।

    'कॉलेज के बारे में अच्छी तरह से ले लें जानकारी' 

    उन्होंने कहा कि अभिभावकों को निर्णय लेने से पहले कालेजों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। बेईमान एजेंट भी उन छात्रों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं, जो अल्पज्ञात कालेजों में प्रवेश पाते हैं। इस तरह के कई कॉलेज सप्ताह में शायद एक ही कक्षा संचालित करते हैं। चूंकि सप्ताह में एक बार कक्षा होती है, इसलिए वे सिर्फ उतना ही पढ़ेंगे और उनका कौशल विकास भी उसी हिसाब से होगा।

    (संजय वर्मा ने एक हालिया साक्षात्कार में इन बातों का खुलासा किया है। File Image)

    उन्होंने कहा कि इसके बाद आप देखेंगे कि इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर कोई छात्र कैब चला रहा है या किसी दुकान पर चाय-समोसा बेच रहा है। इसलिए वहां की जमीनी हकीकत बहुत उत्साहजनक नहीं है। भारतीय राजनयिक ने कहा कि कनाडा जाने के बाद छात्र फंस जाते हैं। उनमें से कई के माता-पिता ने अपनी जमीनें और अन्य संपत्तियां बेच दी होती हैं। उन्होंने कर्ज लिया होता है।

    आत्महत्या कर रहे हैं छात्र

    उनके मुताबिक इसके बाद छात्र वापस लौटने के बारे में नहीं सोच सकता, क्योंकि लौटने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं बचा होता है। इसके परिणामस्वरूप आत्महत्याएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीनों में मैंने कई छात्रों से उनकी समस्याओं के बारे में वीडियो रिकॉर्ड करवाकर यूट्यूब पर अपलोड कराई है।

    प्रत्यर्पण संबंधी केवल पांच अनुरोधों का समाधान

    संजय वर्मा ने कहा कि कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए भारत की ओर से भेजे गए 26 अनुरोधों में से केवल पांच का समाधान किया है। 21 अनुरोध दशकों से लंबित हैं। इसलिए मैं कहूंगा कि यह निष्क्रियता है। एएनआई के अनुसार, संजय वर्मा ने कहा कि केवल कुछ प्रतिशत कनाडाई सिख खालिस्तानी मुद्दे का समर्थन करते हैं। अगर कनाडा को इसकी परवाह है तो उन्हें उनके लिए जगह देनी चाहिए और इसे खालिस्तान कहना चाहिए।

    प्रवासियों की संख्या घटाएगा कनाडा

    कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मान लिया है कि उनकी सरकार महामारी से बाहर आने के बाद प्रवासियों को लेकर सही संतुलन बनाने में विफल रही है। अब सरकार ने नए प्रवासियों की संख्या को घटाने का फैसला किया है। ट्रूडो सरकार ने अगले दो वर्षों तक हर साल पांच लाख नए स्थायी निवासियों को देश में आने की अनुमति देने की योजना बनाई थी। अब उन्होंने कहा है कि अगले साल का लक्ष्य 3.95 लाख नए स्थायी निवासियों का होगा। 2026 में यह आंकड़ा 3.80 लाख तक गिर जाएगा। ट्रूडो ने कहा कि कनाडा के भविष्य के लिए आव्रजन आवश्यक है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए।