Indian States in 1950: कुल चार भागों में बंटे 27 राज्य और 1 टेरिटरी, अब अस्तित्व में नहीं PEPSU नाम का प्रदेश
Indian States in 1950 देश जब आजाद हुआ तब भारत में 550 से अधिक रियासतें थीं। राज्यों का नक्शा भी ऐसा नहीं था जैसा आज हमें देखने को मिलता है। संविधान के अनुसार हमारा देश ‘राज्यों का संघ’ है जो राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से मिलकर बना है।

नई दिल्ली, जागरण डेस्क। देश जब आजाद हुआ तब भारत में 550 से अधिक रियासतें थीं। राज्यों का नक्शा भी ऐसा नहीं था, जैसा आज हमें देखने को मिलता है। संविधान के अनुसार हमारा देश ‘राज्यों का संघ’ है जो राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से मिलकर बना है। लेकिन आजादी के बाद देश में राज्यों को चार कैटेगरी में रखा गया था। इन चार कैटेगरी को पार्ट A States, पार्ट B States, पार्ट C States और पार्ट D क्षेत्र का नाम दिया गया था।
हालांकि, आजादी से पहले अंग्रेजों के शासनकाल में भारत दो भागों (1) ब्रिटिश भारतीय प्रांत और (2) रियासतों में विभाजित था। ब्रिटिश भारतीय प्रांतों को ब्रिटिश संसद में पारित अधिनियमों के साथ अंग्रेजों द्वारा सीधे प्रशासित किया जाता था, जबकि रियासतें विभिन्न क्षेत्रीय पृष्ठभूमि के शासकों द्वारा शासित की जाती थीं। आजादी के बाद इन प्रांतों और रियासतों को चार भागों में वर्गीकृत किया गया जिसको पार्ट A States, पार्ट B States, पार्ट C States और पार्ट D क्षेत्र कहा गया। तो आइए जानते हैं आखिर कौन-कौन से राज्य इन कैटेगरी में कैसे बांटे गए।
पार्ट A राज्य- जो राज्य ब्रिटिश भारत के पूर्व गवर्नर द्वारा शासित प्रांत थे, उन पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त राज्यपाल और एक निर्वाचित राज्य विधायिका का शासन था। पार्ट A के नौ राज्यों में असम, बिहार, बॉम्बे, मध्य प्रदेश (पूर्व मध्य प्रांत और बरार), मद्रास, उड़ीसा, पंजाब (पूर्व में पूर्वी पंजाब), उत्तर प्रदेश (पूर्व में संयुक्त प्रांत) और पश्चिम बंगाल थे।
पार्ट B राज्य- ऐसे राज्य जो पूर्व रियासतों या रियासतों के समूह थे और एक राजप्रमुख द्वारा शासित थे और जहां एक निर्वाचित विधायिका भी थी। राजप्रमुख को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया गया था। पार्ट B के आठ राज्यों में हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ (PEPSU), राजस्थान, सौराष्ट्र और त्रावणकोर-कोचीन थे।
पार्ट C राज्य- इस कैटेगरी में पूर्व मुख्य आयुक्त के प्रांत और रियासतें शामिल थीं और प्रत्येक को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक मुख्य आयुक्त द्वारा शासित किया जाता था। पार्ट C के दस राज्यों में अजमेर, भोपाल, बिलासपुर, कूर्ग, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा, और विंध्य प्रदेश थे।
पार्ट D क्षेत्र- इस कैटेगरी में एकमात्र क्षेत्र अंडमान और निकोबार द्वीप समूह था, जिसे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक उप राज्यपाल द्वारा प्रशासित किया जाता था।
राज्यों और रियासतों के इस वर्गीकरण के समय कुछ ऐसे राज्य भी थे जो अब अस्तित्व में नहीं हैं। इनमें से कुछ के तो आपने नाम भी नहीं सुने होंगे। तो आइए जानते हैं कि कौन-कौन से हैं वो राज्य...
PEPSU
पेप्सू को अंग्रेजी में PEPSU कहते थे और इसका फुल फॉर्म (Patiala and East Punjab States Union) है। इसका मतलब है पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ। यह अंग्रेजों के अधीन पंजाब प्रांत का एक हिस्सा था, जो 1948 से 1956 तक भारत का एक प्रांत रहा था। यह आठ जिलों पटियाला, जींद, नाभा, फरीदकोट, कलसिया, मलेरकोटला, कपूरथला और नालागढ़ से मिलकर बना था।
इसका गठन 15 जुलाई, 1948 को किया गया था और 1950 में यह भारत का एक प्रांत बन गया। इसकी राजधानी पटियाला थी और क्षेत्रफल 26,208 वर्ग किलोमीटर था। वर्तमान हिमाचल प्रदेश राज्य के शिमला, कसौली, कंडाघाट, धरमपुर और चैल भी तब इसका हिस्सा थे।
जब 1947 में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तब उस समय पंजाब में कई रियासतें थीं। इस पूरे क्षेत्र को दो राज्यों में बांटा गया था- पंजाब और पेप्सू। पंजाब की बोली पंजाबी (गुरुमुखी लिपि) में अपनाई गई थी; जबकि पेप्सू में पंजाबी और हिंदीभाषी क्षेत्र थे। 13 जनवरी 1949 को, ज्ञानी सिंह ररेवाला पेप्सू के पहले मुख्यमंत्री बने और कर्नल राघीर सिंह 23 मई 1951 को दूसरे मुख्यमंत्री बने।
1 नवंबर, 1956 को पेप्सू प्रांत का पुनर्गठन कर अधिकांश हिस्सों का पंजाब राज्य में विलय कर दिया गया। पेप्सू राज्य के ही कुछ हिस्से, जिनमें जींद के आसपास का दक्षिण-पूर्वी हिस्सा और नारनौल एन्क्लेव शामिल है, बाद में हरियाणा राज्य का भाग बने जो 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में आया। कुछ अन्य क्षेत्र जो पेप्सू का हिस्सा थे, विशेष रूप से सोलन और नालागढ़, वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
विंध्य प्रदेश (VINDYA PRADESH)
विंध्य प्रदेश राज्य का गठन 12 मार्च 1948 को और इसका उद्घाटन 4 अप्रैल 1948 को हुआ था। विंध्य प्रदेश, भारत का एक भूतपूर्व प्रदेश था जिसका क्षेत्रफल 23,603 वर्ग किमी. तक फैला था। भारत की स्वतंत्रता के बाद सेंट्रल इंडिया एजेंसी के पूर्वी भाग की रियासतों को मिलाकर 1948 में इस राज्य का गठन किया गया था। इस राज्य की राजधानी रीवा थी। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश एवं दक्षिण में मध्य प्रदेश था। विंध्य क्षेत्र पारंपरिक रूप से विंध्याचल पर्वत के आसपास के पठारी भाग को कहा जाता है।
इसके गठन के बाद 35 रियासतों को विंध्य प्रदेश राज्य के गठन के लिए मिला दिया गया था। ये रियासतें थीं- रीवा, पन्ना, दतिया, ओरछा, अजयगढ़, बाओनी, बरौंधा, बिजावर, छतरपुर, चरखारी, मैहर, नागोद, समथर, अलीपुरा, बांका-पहाड़ी, बेरी, भैसुंडा (चौबे जागीर), बिहट, बिजना, धुरवाई, गरौली, गौरीहार, जासो, जिगनी, खानियाधाना, कामता रजौला (चौबे जागीर), कोठी, किरुर (कुब्जे जागीर), लुगासी, नैगावां रेबाई, पहरा (चौबे जागीर), पालदेओ (चौबे जागीर), सरिला, सोहावल, तोरी-फतेहपुर (हष्ट भैया जागीर)।
25 जनवरी 1950 को 11 रियासतों बिहट, बांका-पहाड़ी, बाओनी, बेरी, बिजना, चरखारी, जिगनी, समथर, सरीला, तोरी-फतेहपुर और किरुर कुब्जे (कुछ हिस्से) को उत्तर प्रदेश और मध्य भारत में स्थानांतरित कर दिया गया। विंध्य प्रदेश, मध्य भारत और भोपाल राज्य को मिलकर 1 नवंबर 1956 को नवगठित मध्य प्रदेश राज्य में मिला दिया गया।
लक्कादीव, मिनिकॉय और अमिनदीवी द्वीपसमूह
अरब सागर में स्थित भारतीय द्वीपों को लक्षद्वीप के रूप में जाना जाता है। इन द्वीपों को 1 नवंबर 1956 को स्वतंत्र भारत के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में नामित किया गया था। इस द्वीपसमूह को पहले लक्कादीव, मिनिकॉय और अमिनदीवी द्वीपसमूह के नाम से जाना जाता थ। यह भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से 200 से 440 किमी (120 से 270 मील) दूर लक्षद्वीप सागर में स्थित एक द्वीपसमूह है।
अमिनिदिवी द्वीप- अमिनिदिवी द्वीप, भारत के लक्षद्वीप केंद्र शासित प्रदेश के तीन द्वीप उपसमूहों में से एक हैं। यह लक्षद्वीप का उत्तरी समूह है, जो लक्षद्वीप द्वीप समूह से मोटे तौर पर 11वें समानांतर उत्तर द्वारा अलग किया गया है। समूह का कुल भूमि क्षेत्र 9.26 वर्गकिमी है।
प्राचीन समय में, द्वीपों में पास के केरल के लोग बसे हुए थे, जो बाद में अरब मूल के लोगों से जुड़ गए थे। 1498 के आसपास, वास्को डी गामा ने इन द्वीपों का दौरा किया। पुर्तगालियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए, चिरक्कल या कोलात्तिरी राजा ने 16वीं शताब्दी के मध्य में कैनानोर साम्राज्य (अरक्कल साम्राज्य) के शासक परिवार को जागीर प्रदान की।
18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में कॉयर रस्सी व्यापार के एकाधिकार को लागू करने के बाद, लक्षद्वीप के अमीनदीवी समूह के द्वीपों ने विद्रोह कर दिया। 1784 में, उत्तरी द्वीप विद्रोह के बाद टीपू सुल्तान द्वारा शासित मैसूर साम्राज्य का हिस्सा बन गया। हालाँकि, कैनानोर द्वीप समूह का दक्षिणी समूह अरक्कल के प्रति वफादार रहा।
मिनिकॉय (Minicoy) द्वीप
इसे ‘महिलाओं का द्वीप’ भी कहा जाता है। अपने प्राचीन लैगून, साफ व गर्म पानी और मूंगा चट्टानों के साथ यह द्विप कुछ अनछुई जगहों में से एक है।लक्षद्वीप द्वीपसमूह के द्वीपों में मिनिकॉय दूसरा सबसे बड़ा और सबसे दक्षिणी द्वीप है। यह नौ डिग्री चैनल के दक्षिणी छोर पर कल्पेनी के दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में 201 किमी और आठ डिग्री चैनल के उत्तरी छोर पर थुराकुनु, मालदीव के उत्तर में 125 किमी दूर स्थित है।
मिनिकॉय (Minicoy) एक द्वीप है, जो 11 गांवों के लोगों का घर है। यहां इस क्षेत्र का मुख्य आधार टूना मछली पकड़ना है। यह लक्षद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है।यह लक्षद्वीप के भारतीय केंद्र शासित प्रदेश में एक सेंसस टाउन है। यह द्वीप केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम से 425 किमी पश्चिम में स्थित है।
मिनिकॉय, लक्षद्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है। इसी वजह से भारत के किसी भी हिस्से की तुलना में मालदीव के ज्यादा करीब है और यही कारण है कि यहां महल भाषा बोली जाती है, जो मालदीव के दिवेही की एक बोली है। जबकि लक्षद्वीप के बाकी हिस्सों मे मलयालम भाषा बोली जाती है।मिनिकॉय द्वीपवासी लंबे समय से बंगाल की खाड़ी के पार निकोबार द्वीप समूह में बसे हुए हैं।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम 31 अगस्त 1956 को अधिनियमित किया गया था। 1 नवंबर को इसके लागू होने से पहले, भारत के संविधान में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया गया। इस ऐतिहासिक सातवें संशोधन के तहत, पार्ट A राज्य, पार्ट B राज्य, पार्ट C राज्य और पार्ट डी क्षेत्र की मौजूदा शब्दावली को बदल दिया गया। पार्ट A और पार्ट B राज्यों के बीच का भेद हटाकर इन्हें ‘राज्य’ के रूप में जाना गया। वहीं, पार्ट C और पार्ट D के क्षेत्रों को मिलाकर इन्हें ‘केंद्र शासित प्रदेश’ के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया। और तभी से ‘राज्य’ और ‘केंद्र शासित प्रदेश’ की यह व्यवस्था लागू है।
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