नए साल में पूरी तरह बिजली से चलने लगेंगी ट्रेनें, कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी
भारतीय रेलवे 2026 तक दुनिया का पहला पूरी तरह से विद्युतीकृत ब्रॉड गेज नेटवर्क बनने को तैयार है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। 2025 में कश्मीर और ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण प्राइम। भारतीय रेलवे के लिए साल 2025 बेहद खास रहा। इस साल रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुईं। इस साल रेलवे के जरिए कश्मीर देश के अन्य हिस्सों से जुड़ गया। वहीं इसी साल बिरबी-सैरांग लाइन के चालू होने से मिजोरम तक रेल लाइन पहुंची। तमिलनाडु के पंबन में देश का पहला वर्टिकल-लिफ्ट और चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल जैसी ऐतिहासिक परियोजनाएं भी पूरी हुईं। विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 रेल सफर को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण हो सकता है। 2026 में रेल यात्रियों को वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का तोहफा मिलेगा। वहीं रेलवे के कवच सिस्टम को देशभर में लगाने का काम तेजी से किया जाएगा। इस साल भारतीय रेलवे पूरी तरह से इलेक्ट्रिक नेटवर्क सिस्टम पर चलने वाली दुनिया की पहली रेलवे भी बनेगी। नए साल में एआई जैसी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल, आत्मनिर्भर भारत की थीम पर काम करने और रेल यात्रियों को बेहतर अनुभव देने के लिए रेलवे में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
भारतीय रेलवे ने पिछले कुछ सालों में रेल यात्रा का अनुभव बेहतर बनाया है। भारतीय रेलवे ने देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन के तौर पर विश्व स्तरीय वंदे भारत ट्रेनों को चलाया। 26 दिसंबर, 2025 तक, भारतीय रेलवे नेटवर्क पर कुल 164 वंदे भारत ट्रेनें चलाई जाने लगी हैं। साल 2025 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 15 नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू की हैं। वहीं नए साल में भारतीय रेलवे वंदे भारत स्पीलर ट्रेनें चलाने की तैयारी कर रहा है।
आईसीएफ के पूर्व महाप्रबंधक और वंदे भारत ट्रेन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सुधांशु मणि कहते हैं केंद्र सरकार ने पिछले दस सालों में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है। रेल के जरिए कश्मीर और पूर्वोत्तर को जोड़ना एक बड़ी उपलब्धि है। उम्मीद है कि 2026 में देश के लोगों वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का तोहफा मिलेगा। ये ट्रेनें लंबी दूरी की यात्रा के अनुभव को पूरी तरह से बदल देंगी। ये ट्रेनें यात्रियों के लिए गति, आराम और आधुनिक सुविधाओं का बेहतरीन मेल होंगी। वहीं रेलवे को माल ढुलाई के काम को और तेजी से बढ़ाना होगा। आज इसमें 3 से 4 फीसदी की ही ग्रोथ है। इसे और तेज करने की जरूरत है।
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अमृत भारत ट्रेन और नमो भारत रैपिड रेल ने बदला अनुभव
रेल यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने के लिए रेलवे ने अमृत भारत ट्रेनें शुरू की हैं। ये ट्रेनें पूरी तरह से नॉन-एसी ट्रेनें हैं। वर्तमान में 12 स्लीपर और 8 जनरल कोचों के साथ यात्रियों को सेवाएं प्रदान कर रही हैं।साल 2025 के दौरान, 13 अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू की गईं। भारतीय रेलवे नेटवर्क पर कुल 30 अमृत भारत ट्रेनें चल रही हैं।
नमो भारत रैपिड रेल सेवाएं क्षेत्रीय संपर्क के लिए डिजाइन की गई हैं। इससे ज्यादा मांग वाले कॉरिडोर में कम और मध्यम दूरी की आवागमन सुविधा बेहतर होती है। देश में भुज-अहमदाबाद और जयनगर-पटना के बीच 2 नमो भारत रैपिड रेल सेवाएं संचालित हैं।
नए साल में पूरी तरह विद्युतीकृत होगा रेल नेटवर्क
भारतीय रेलवे के रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण मिशन मोड में किया जा रहा है। अब तक, ब्रॉड गेज नेटवर्क का लगभग 99.2% विद्युतीकृत हो चुका है। बाकी नेटवर्क में विद्युतीकरण का कार्य जारी है। दुनिया में अब तक ब्रिटेन का रेल नेटवर्क सिर्फ 39 फीसदी, रूस का 52 फीसदी और चीन का लगभग 82 फीसदी विद्युतीकृत हो सका है। रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य विजय दत्त कहते हैं कि फरवरी 1925 में देश का पहला विद्युतीकृत ट्रैक तैयार किया गया था। मुम्बई से कुर्ला के बीच पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चली थी। आज 100 साल पूरे हो चुके हैं। 2026 में भारत दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जिसका पूरा रेलवे ब्रॉडगेज ट्रैक विद्युतीकृत हो चुका होगा। सरकार ने भारतीय रेलवे को 2030 तक पूरी तरह से कार्बन उत्सर्जन मुक्त रेलवे बनाने का लक्ष्य रखा है। हम इस लक्ष्य को बहुत पहले ही हासिल कर लेंगे। भारतीय रेलवे में बिजली की जरूरत का बड़ा हिस्सा अक्षय ऊर्जा से पूरा किया जा रहा है।
सौर ऊर्जा से चलने वाले रेलवे स्टेशन
भारतीय रेलवे देशभर में लगभग 2,626 रेलवे स्टेशनों को सौर ऊर्जा से संचालित कर रहा है। रेलवे ने कुल 898 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए प्लांट लगाए हैं। इनमें से लगभग 70 फीसदी ऊर्जा का इस्तेमाल ट्रेनें चलाने के लिए किया जा रहा है। इससे ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई है, बिजली का खर्च कम हुआ है, कार्बन उत्सर्जन घटा है और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए रेलगाड़ियों को चलाए जाने को बढ़ावा मिला है।
रेल नेटवर्क को मिला विस्तार
2025 में भारतीय रेलवे ने लगभग 900 किलोमीटर से ज्यादा नई रेल लाइनें शुरू की हैं। इस बीच पटरियों को बदला भी गया है। इसके चलते रेलवे को अपनी रफ्तार बढ़ाने में भी मदद मिल रही है। इस वित्त वर्ष में 4,224 से अधिक एलएचबी कोचों का उत्पादन हुआ। ये नए कोच सुरक्षा और सुविधा दोनों में बेहतर हैं।
ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने पर जोर
भारतीय रेलवे ज्यादा ट्रेनें चलाने और गाड़ियों की स्पीड बढ़ाने के लिए तेजी से काम कर रही है। गोल्डन क्वाड्रिलैटरल, गोल्डन डायग्नल और अन्य मार्गों के कुछ हिस्सों को कवर करते हुए 599 किलोमीटर ट्रैक पर ट्रेनों की स्पीड को 130 किमी प्रति घंटे तक बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, उन्नत ट्रैक मशीनरी के साथ बुनियादी ढांचे के उन्नयन को मिलाकर 4,069 किलोमीटर ट्रैक पर 110 किमी प्रति घंटे की गति प्राप्त की गई है,जिससे तेज, सुरक्षित और अधिक कुशल ट्रेन संचालन सुनिश्चित हुआ है।

आधार के जरिए शुरू हुई टिकट बिक्री
तत्काल टिकटों की कालाबाजारी पर लगाम लगाने के लिए रेलवे ने आधार के जरिए सत्यापन की व्यवस्था शुरू की है। इसके तहत वास्तविक यात्रियों को प्राथमिकता के आधार पर ही टिकट मिल रहे हैं। आईआरसीटीसी वेबसाइट या ऐप पर रिजर्वेशन खुलने के पहले 15 मिनट के दौरान केवल आधार-प्रमाणित यात्रियों को ही सामान्य आरक्षित टिकट बुक करने की अनुमति दी गई है। तत्काल टिकट बुक करने की अनुमति भी केवल आधार-सत्यापित यात्रियों को ही है। आईआरसीटीसी ने अपने रजिस्टर्ड 5.73 करोड़ संदिग्ध और निष्क्रिय खातों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।
रेलवे ने माल ढुलाई को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत तीन आर्थिक गलियारे बनाए हैं। इन गलियारों के तहत 11.17 लाख करोड़ रुपये की लागत से 434 परियोजनाओं को विकसित करने की योजना है। पहले गलियारे के तहत ऊर्जा, खनिज और सीमेंट की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा है। वहीं बंदरगाहों के संपर्क को बढ़ाने के लिए दूसरा गलियारा विकसित होगा। तीसरा गलियारा उच्च यातायात घनत्व वाले मार्ग को चिन्हित कर बनाया जा रहा है। सभी 434 परियोजनाओं को पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर मैप किया गया है। इनमें से वर्तमान में 12,133 किलोमीटर ट्रैक लंबाई वाली 121 परियोजनाएं, जिनकी लागत 2,02,551 करोड़ रुपये है, स्वीकृत हो चुकी हैं।
डीएफसी ने बदली माल ढुलाई की तस्वीर
समर्पित माल ढुलाई कॉरिडोर (डीएफसी) रेलवे की एक मेगा रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना है। इसमें दो डीएफसी कॉरिडोर शामिल हैं। लुधियाना से सोन नगर (1337 किमी) तक इस्टर्न कॉरिडोर और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1506 किमी) तक वेस्टर्न कॉरिडोर विकसित हो चुका है। लगभग 102 किलोमीटर के वैतरणा-जेएनपीटी मुंबई खंड पर काम जारी है जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इन कॉरीडोर के विकसित होने से रेलवे को अतिरिक्त यात्री ट्रेनें चलाने में भी मदद मिल रही है।

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