ट्रेनों की बढ़ेगी गति, पटरियों के मेंटेनेंस के लिए आधुनिक मशीनों का हो रहा इस्तेमाल; ट्रैक अपग्रेड का काम जारी
भारतीय रेल ने ट्रैक अपग्रेडेशन में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। अब 78% से अधिक ट्रैक 110 किमी प्रति घंटा या उससे अधिक की गति के लिए सक्षम हैं जबकि 2014 में यह आंकड़ा केवल 39.6% था। लगभग 59800 किमी ट्रैक 130 किमी प्रति घंटा की गति के लिए तैयार है। रेलवे ने ट्रैक को मजबूत बनाने के लिए कई तकनीकी सुधार किए हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय रेल में ट्रैक अपग्रेडेशन के मामले में बड़ा बदलाव आया है। पहले की तुलना में ट्रैक अब ज्यादा सुरक्षित और मजबूत हैं। ट्रैक की बनावट एवं क्षमता को अत्याधुनिक तकनीक से बढ़ाया गया है, जिससे ट्रेनों की गति में वृद्धि हुई है।
रेलवे के कुल ट्रैक का 78 प्रतिशत से अधिक हिस्सा इस तरह अपग्रेड किया गया है कि 110 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की गति से ट्रेनें चल सकें। रेल मंत्रालय के अनुसार 2014 में सिर्फ 39.6 प्रतिशत ट्रैक की क्षमता 110 किमी प्रति घंटा या उससे अधिक की गति के लिए सक्षम थी।
बढ़ेगी ट्रेनों की रफ्तार
अब यह आंकड़ा 78.4 प्रतिशत हो गया है। 110 किमी प्रति घंटा से अधिक लगभग 130 किमी प्रति घंटा की स्पीड के लिए 59,800 किलोमीटर ट्रैक तैयार है। इसी तरह 23,010 किलोमीटर ट्रैक 130 किमी प्रति घंटा से भी अधिक की गति के लिए उपयुक्त है।
ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए रेलवे ने पिछले एक दशक के दौरान कई उपाय किए हैं। इनमें 60 किलोग्राम से अधिक वजन वाली रेल पट्टियां, चौड़े आधार वाले कंक्रीट स्लीपर एवं लंबे रेल पैनल जैसे कई तकनीकी सुधार शामिल हैं।
आधुनिक मशीनों का हो रहा उपयोग
ट्रैक मेंटेनेंस के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।इन सुधारों के जरिये वंदे भारत जैसी सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों को 160 किमी प्रति घंटा से भी ज्यादा की गति से चलाया जा रहा है।
इन ट्रेनों की डिजाइन स्पीड 180 किमी प्रति घंटा है। वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप तैयार हो चुका है, जो कमीशनिंग की प्रक्रिया में है।
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