AI Plane Crash Report: 'अहमदाबाद विमान हादसे के लिए पायलटों को दोषी ठहराना अनुचित', ICPA ने आरोपों को बताया निराधार
देश के पायलट संगठनों ने अहमदाबाद में एअर इंडिया बोइंग ड्रीमलाइनर दुर्घटना पर मीडिया में लगाई जा रही अटकलों की निंदा की है। भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ (आईसीपीए) ने पायलटों पर लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि चालक दल ने आपातकाल के लिए अपने प्रशिक्षण के अनुसार काम किया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के पायलट संगठनों ने अहमदाबाद में एअर इंडिया बोइंग ड्रीमलाइनर दुर्घटना के बारे में अटकलों को लापरवाह बताते हुए इसकी निंदा की है, क्योंकि मीडिया के एक वर्ग ने संकेत दिया है कि इस दुखद घटना के लिए पायलट जिम्मेदार हैं।
भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ (आईसीपीए) ने रविवार को दुर्घटना के लिए पायलटों पर लगाए जा रहे आरोपों को निराधार और असंवेदनशील बताया। कहा कि चालक दल ने आपातकाल के लिए अपने प्रशिक्षण के अनुरूप काम किया। आईसीपीए ने एक बयान में कहा कि अटकलें गैर-जिम्मेदाराना और क्रूर हैं। इस स्तर पर इस तरह के दावे का कोई आधार नहीं है।
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की आलोचना की
उन्होंने कहा कि अधूरी जानकारी के आधार पर इस तरह का गंभीर आरोप लगाना बेहद असंवेदनशील है। एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलपीए) ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट की आलोचना की और कहा कि इसमें पारदर्शिता का अभाव है। इसने मांग की है कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए पायलटों को भी कम से कम पर्यवेक्षकों के तौर पर जांच प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
पायलट संगठनों ने प्रारंभिक रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले चुनिंदा मीडिया संस्थानों को इसे लीक करने पर भी सवाल उठाया है। पीटीआई के अनुसार, आईसीपीए ने कहा कि विमान के चालक दल ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने प्रशिक्षण और जिम्मेदारियों के अनुरूप काम किया। पायलटों को अनुमान के आधार पर बदनाम नहीं किया जाना चाहिए। संगठन ने जोर देकर कहा कि जब तक आधिकारिक जांच पूरी नहीं हो जाती और अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हो जाती, तब तक कोई भी अटकलबाजी अस्वीकार्य है। इसकी निंदा की जानी चाहिए।
आईसीपीए ने कहा कि वह मीडिया और सार्वजनिक चर्चाओं में उभर रहे काल्पनिक नैरेटिव खासकर पायलट पर लगाए जा रहे बेतुके और निराधार आरोपों से बेहद व्यथित है। इस समय इस तरह के दावे का कोई आधार नहीं है। अधूरी या प्रारंभिक जानकारी के आधार पर इस तरह का गंभीर आरोप लगाना न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि इसमें शामिल व्यक्तियों और परिवारों के प्रति बेहद असंवेदनशील भी है।
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