निमिषा प्रिया को बचाने के लिए आगे क्या किया जाएगा? केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
Nimisha Priya Case यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लग गई है। उन्हें 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई थी। केंद्र सरकार निमिषा को सुरक्षित वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लग गई है। 38 साल की निमिषा को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर के कत्ल के जुर्म में सजा-ए-मौत सुनाई गई है। 2023 में उनकी आखिरी अपील भी ठुकरा दी गई थी।
अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है, जहां केंद्र सरकार ने कहा है कि वह निमिषा को सुरक्षित वापस लाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले को सुना। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटारमणि ने कोर्ट को बताया कि निमिषा की फांसी को टाल दिया गया है और उनकी जान बचाने के लिए कोशिशें जारी हैं। कोर्ट ने भी सरकार के प्रयासों की तारीफ की और कहा कि वह हरसंभव मदद कर रही है।
निमिषा को बचाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाए सरकार
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि निमिषा को सबसे पहले यमन में माफी हासिल करनी होगी। इसके बाद ब्लड मनी का मुद्दा आएगा, जो यमन के कानून में सजा को कम करने का एक जरिया है।
यमन के कानून के मुताबिक, अगर पीड़ित का परिवार माफी दे दे और ब्लड मनी स्वीकार कर ले, तो सजा को रद या कम किया जा सकता है। निमिषा के लिए यह रास्ता अभी भी खुला है, लेकिन इसके लिए कूटनीतिक स्तर पर भारी मेहनत की जरूरत है।
कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया कि निमिषा की सजा-ए-मौत अब टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को और गहराई से सुनने के लिए 14 अगस्त की तारीख तय की है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह निमिषा को बचाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाए।
(एएनआई इनपुट्स के साथ)
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