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    'मुझे मौका नहीं मिला...', जस्टिस वर्मा ने इनहाउस जांच रिपोर्ट को SC में दी चुनौती; महाभियोग से पहले लगाई अर्जी

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Fri, 18 Jul 2025 11:30 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने आधी जली नकदी मामले में दोषी पाए जाने वाली जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है। जस्टिस वर्मा ने कहा है कि उनके खिलाफ जो कार्रवाई की गई वह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने का पूरा मौका नहीं दिया गया।

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    जस्टिस यशवंत वर्मा ने जली नकदी मामले में रिपोर्ट को दी चुनौती (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने उस जांच रिपोर्ट को रद करने की मांग की है जिसमें उन्हें आधी जली नकदी मामले में दोषी पाया गया था।

    जस्टिस वर्मा ने कहा है कि उनके खिलाफ जो कार्रवाई की गई, वह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और उन्हें खुद को सही साबित करने का पूरा मौका नहीं दिया गया।

    इनहाउस रिपोर्ट को रद करने की मांग की

    जस्टिस यशवंत वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर इनहाउस जांच समिति की रिपोर्ट को रद करने की मांग की है। यह रिपोर्ट 8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा तैयार की गई थी, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की गई थी।

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    अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच प्रक्रिया में उनसे ही यह साबित करने को कहा गया कि वे निर्दोष हैं, जो कानून के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच समिति पहले से तय राय के साथ चली और तेजी से निष्कर्ण तक पहुंचने की कोशिश की गई।

    जांच में क्या पाया गया?

    तीन जजों की जांच समिति का नेतृत्व पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने किया था। जांच में पाया गया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस कमरे पर नियंत्रण था जहां आधी जली हुई बड़ी मात्रा में नकदी पाई गई थी।

    जांच समिति ने इस मामले में 10 दिनों तक जांच की और 55 गवाहों के बयान दर्ज किए। घटनास्थल पर जाकर निरीक्षण किया गया और रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा की भूमिका को गंभीर बताते हुए हटाने की सिफारिश की गई। इसके आधार पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महाभियोग की सिफारिश की थी।

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