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    एयर डिफेंस सिस्टम, एंटी-शिप मिसाइल और ड्रोन... भारतीय नौसेना बढ़ाने वाली है इतने गुना ताकत

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    भारतीय नौसेना 80 हजार करोड़ रुपये की लागत से चार बड़े एंफीबियस युद्धपोत तैयार करने की योजना बना रही है जिससे समुद्र जमीन और आसमान में उसकी ताकत बढ़ेगी। इन युद्धपोतों को लैंडिंग प्लेटफॉर्म डाक (एलपीडी) भी कहा जाता है जिन पर हाइटेक एयर डिफेंस सिस्टम लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलें और ड्रोन होंगे।

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    भारतीय नौसेना का होने जा रहा करार।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। समुद्र के साथ-साथ जमीन और आसमान में अपनी ताकत को कई गुना बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना अब तक के सबसे बड़े डिफेंस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने जा रही है। इसके तहत चार बड़े आकार के एंफीबियस युद्धपोत तैयार किए जाएंगे। इन पर 80 हजार करोड़ की लागत आएगी। इसके लिए जल्दी ही टेंडर जारी किए जाने की संभावना है।

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    एंफीबियस युद्धपोत जमीन और समुद्र में देश की सामरिक क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगे। इन युद्धपोतों को लैंडिंग प्लेटफॉर्म डाक (एलपीडी) भी कहा जाता है। इन पर हाइटेक एयर डिफेंस सिस्टम लगाया जाएगा। इससे ये युद्धपोत किसी भी तरह के हवाई हमलों से सुरक्षित रहेंगे।

    ऐसे बढ़ेगी ताकत

    इसके अलावा, इनमें लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल और ड्रोन जैसी आक्रामक क्षमताएं भी होंगी। नौसेना युद्धपोतों से फिक्स्ड-विंग नेवी ड्रोन संचालित करने की क्षमता भी विकसित करना चाहती है। साथ ही इन ड्रोन को कमांड और कंट्रोल सेंटर के तौर पर भी इस्तेमाल करना चाहती है ताकि समुद्र से सतह पर लंबे समय तक आपरेशन चलाया जा सके।

    रक्षा अधिकारियों ने क्या कहा?

    रक्षा अधिकारियों ने बताया कि नौसेना के प्रस्ताव पर विचार के लिए जल्दी ही उच्च स्तरीय बैठक की जाएगी। यह परियोजना देश में सतह के युद्धपोतों के निर्माण के लिए सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक होगी।

    इस अनुबंध में भारतीय शिपबिल्डर्स प्रमुख भूमिका निभाएंगे, जिसमें एलएंडटी, मजगांव डाकयार्ड, कोचिन शिपयार्ड और हिंदुस्तान शिपबिल्डर्स लिमिटेड जैसे प्रमुख दावेदारों की भागीदारी देखने को मिल सकती है।

    नौसेना क्या चाहती है?

    अंतरराष्ट्रीय शिपबिल्डर्स जैसे नवांटिया, नेवल ग्रुप और फिनकांटियरी को युद्धपोतों के डिजाइन के लिए साझेदार बनने की संभावना है। ये युद्धपोत देश में ही बनाए और एकीकृत किए जाएंगे। नौसेना चाहती है कि इन युद्धपोतों में दायरे से हटकर आकस्मिक अभियान चलाने की भी क्षमता हो। साथ ही संचालन क्षेत्र में बड़े आकार के सैन्य बलों को ले जाने और तैनात करने की खूबी हो।

    इसके अलावा इन युद्धपोतों के जरिये मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों में भी हिस्सा लिया जा सके।

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