हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री रणनीति को लेकर भारतीय नौसेना प्रमुख का बयान; बताया क्या है इंडियान नेवी का प्लान
भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर जोर दिया। इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलाग 2025 में उन्होंने समुद्री व्यापार में कमी और लाल सागर संकट जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने अवैध मछली पकड़ने और समुद्री प्रदूषण के खतरों के बारे में भी बताया। नौसेना 2028 तक इन्फॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर की क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य बना रही है।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री रणनीति को लेकर भारतीय नौसेना प्रमुख का बयान (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने मंगलवार को बढ़ते जटिल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक, सहयोगात्मक और टेक्नोलाजी-आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि विश्व में बदलते गठबंधनों और मिली-जुली चुनौतियों के इस मुश्किल दौर में समुद्री सुरक्षा को अब सिर्फ खतरे को रोकने के छोटे नजरिए से नहीं देखा जा सकता। एडमिरल त्रिपाठी ने यहां मानेकशा सेंटर में तीन दिवसीय (28 से 30 अक्टूबर) इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलाग 2025 के 11वें संस्करण का उद्घाटन किय।
कौन-कौन ले रहा हिस्सा?
इसमें कई देशों के नौसेना अधिकारी और एक्सपर्ट हिस्सा ले रहे हैं। 30 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भविष्य को ''संवाद, सहयोग और आपसी विश्वास के माध्यम से साथ मिलकर आकार दिया जाना चाहिए''।
उन्होंने कहा कि इस साल की थीम भारत के विस्तारित समुद्री विजन - 'सागर' (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) से लेकर 'महासागर' (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए आपसी और समग्र उन्नति) तक को दर्शाती है जो एक सुरक्षित तथा समावेशी समुद्री व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
एडमिरल त्रिपाठी ने समुद्री वातावरण की ''डायनेक्सिटी'' (गतिशीलता और जटिलता का मिश्रण) पर प्रकाश डालते हुए कहा, ''वैश्विक समुद्री व्यापार वृद्धि में 2024 में 2.2 प्रतिशत के मुकाबले 2025 में 0.5 प्रतिशत कमी आने का अनुमान है जो एक रणनीतिक कमजोरी का संकेत है।''
उन्होंने लाल सागर संकट का हवाला देते हुए कहा कि यह इस बात की याद दिलाता है कि कैसे चोकप्वाइंट (अवरोधक बिंदु) वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को अस्थिर कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ''लाल सागर संकट ने दिखाया है कि कैसे एक अकेला समुद्री चोकप्वाइंट वैश्विक माल ढुलाई सूचकांक, बीमा प्रीमियम और खाने की कीमतों पर असर डाल सकता है।''
किनकों किया आगाह?
उन्होंने अवैध रूप से मछली पकड़ने, तस्करी और समुद्री प्रदूषण में वृद्धि के खिलाफ भी आगाह किया जो खासकर छोटे द्वीप वाले विकासशील देशों में लोगों की आजीविका के लिए खतरा है। नेवी चीफ ने यह भी कहा कि गुरुग्राम में स्थित इन्फार्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओशन रीजन में 15 इंटरनेशनल लायजन आफिसर हैं और हमारा मकसद 2028 तक इसकी क्षमता को बढ़ाकर 50 तक करना है।

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