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    भारतीय संगीतकार को जान बचाने के लिए बदलना पड़ा नाम और छिपानी पड़ी पहचान, भारत लौटकर बताई खौफनाक दास्तां

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 07:33 AM (IST)

    बांग्लादेश में हिंसा के दौरान भारतीय संगीतकार को अपनी जान बचाने के लिए नाम बदलना पड़ा और पहचान भी छिपानी पड़ी। भारतीय तबला वादक मैनाक विश्वास 48 घंटे ...और पढ़ें

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    भारतीय संगीतकार को जान बचाने के लिए बदलना पड़ा नाम और छिपानी पड़ी पहचान (फोटो- एक्स)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बांग्लादेश में हिंसा के दौरान भारतीय संगीतकार को अपनी जान बचाने के लिए नाम बदलना पड़ा और पहचान भी छिपानी पड़ी। भारतीय तबला वादक मैनाक विश्वास 48 घंटे की मशक्कत के बाद हिंसा प्रभावित बांग्लादेश से अपनी मातृभूमि सुरक्षित लौट सके, ढाका में जिस सरोद कलाकार के साथ उन्हें प्रस्तुति देनी थी, वह भी भारत विरोधी भीड़ के चंगुल से भागने में सफल रहे।

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    प्रसिद्ध सरोद वादक सिराज अली खान हिंसक भीड़ के चंगुल से बच निकले और कोलकाता लौट आए। ढाका के धानमंडी इलाके में अली खान के संगीत कार्यक्रम को निशाना बनाया गया, तोड़फोड़ की गई, जिसके बाद उनका निर्धारित कार्यक्रम रद कर दिया गया।

    शनिवार रात शहर पहुंचने पर संगीतकार ने बताया कि ढाका हवाई अड्डा जाते समय उन्होंने अपनी भारतीय पहचान छुपा दी थी, यह फैसला मजबूरी में लिया गया क्योंकि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें ऐसा करना पड़ेगा।

    अली खान की मां आयशा और मैनाक सहित उनकी टीम के बाकी सदस्य पड़ोसी देश में जारी अशांति के बीच फंस गए थे, सोमवार को ही लौट सके, हालांकि उनके मन में अभी भी चिंताएं और दर्दनाक यादें बाकी हैं।

    विश्वास ने कहा कि मैं पहले भी कई बार बांग्लादेश जा चुका हूं, लेकिन मैंने कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया जहां स्थानीय लोगों के एक वर्ग के बीच तनाव और शत्रुता की भावना इतनी महसूस की जा सके।

    उन्होंने याद किया कि 18-19 दिसंबर की मध्यरात्रि को हिंसा भड़कने के बाद से मैं ज्यादातर समय होटल के कमरे में ही बंद रहा और अपनी आवाजाही को होटल की लॉबी तक ही सीमित रखा। लेकिन, जब किसी अत्यावश्यक जरूरत के लिए मुझे बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा, तो मैंने अपनी भारतीय पहचान छिपाने का पूरा ध्यान रखा और अपना नाम बदलकर ऐसा रख लिया जो मुस्लिम नाम जैसा लगे।

    खान ने बताया कि होटल में पूर्वाभ्यास सत्र के दौरान ही उन्हें पता चला कि अगले दिन 19 दिसंबर को जहां उनका निर्धारित शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम स्थल है, वहां उन्मादी भीड़ ने हमला कर दिया। खान अगले ही दिन ढाका से रवाना हो गए।