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पाकिस्तानी लड़की में अब धड़केगा हिंदुस्तानी दिल, आर्थिक तंगी के बाद भी डॉक्टरों ने ऐसे किया सफल हृदय प्रत्यारोपण

पाकिस्तान की रहने वाली 19 वर्षीय मरीज आयशा राशिद ( Ayesha Rashid) का चेन्नई में सफल हृदय प्रत्यारोपण किया गया। प्रत्यारोपण के दौरान उनके सीने में हिंदुस्तानी दिल को सफलतापूर्वक लगा दिया गया। आयशा का साल 2019 में पहली बार हृदय रोग के कारण कराची में दिल का दौरा हुआ था। वहीं बेहतर उपचार की तलाश में उन्होंने चेन्नई की यात्रा की।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Published: Fri, 26 Apr 2024 06:49 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2024 06:49 PM (IST)
पाकिस्तानी लड़की में अब धड़केगा हिंदुस्तानी दिल। फोटोः एएनआई।

एएनआई, चेन्नई। भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में कड़वाहट लंबे समय से जारी हैं। हालांकि, इन दोनों देशों के रिश्तों में चेन्नई के डॉक्टरों ने थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन कड़वाहट को खत्म कर दिया। दरअसल, पाकिस्तान की रहने वाली 19 वर्षीय मरीज आयशा राशिद (Ayesha Rashid) का चेन्नई में सफल हृदय प्रत्यारोपण किया गया। प्रत्यारोपण के दौरान उनके सीने में हिंदुस्तानी दिल को सफलतापूर्वक लगा दिया गया।

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कराची में हुआ था हार्ट अटैक

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पाकिस्तान के कराची की रहने वाली 19 वर्षीय मरीज आयशा राशिद का भारत के चेन्नई में सफल हृदय प्रत्यारोपण किया गया। आयशा का साल 2019 में पहली बार हृदय रोग के कारण कराची में दिल का दौरा पड़ा था था। वहीं, बेहतर उपचार की तलाश में उन्होंने चेन्नई की यात्रा की।

आर्थिक तंगी नहीं आई आड़े

वहीं, पैसों की तंगी के कारण आयशा का इलाज संभव नहीं लग रहा था। हालांकि, आयशा के परिवार की दुर्दशा को देखते हुए चेन्नई में एमजीएम हेल्थकेयर में हार्ट ट्रांसप्लांट के प्रसिद्ध प्रमुख डॉ. केआर बालाकृष्णन ने सहायता की पेशकश की। चेन्नई स्थित हेल्थ केयर ट्रस्ट ऐश्वर्याम (Aishwaryam) के सहयोग ने आयशा के लिए एक आशा की नई किरण लेकर आई।

दिल्ली से लाया गया चेन्नई

मालूम हो कि आयशा राशिद के लिए एक हृदय को हवाई मार्ग से दिल्ली से चेन्नई लाया गया, जिसके बाद डॉक्टरों ने आयशा की जीवनरक्षक प्रत्यारोपण सर्जरी कर उनके सीने में हिंदुस्तानी दिल को सफलतापूर्वक लगाया।

भारत आते ही हुआ था दिल में ब्लॉकेः डॉक्टर

इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट के अध्यक्ष डॉ. केआर बालाकृष्णन ने कहा कि आयशा पहली बार हमारे पास साल 2019 में आई थी। जब वह यहां आई थी उसी दौरान उसके हार्ट में ब्लॉकेज हो गया था, जिसके बाद उसका सीपीआर किया गया और बाद में एक कृत्रिम हृदय पंप लगाया गया।

भारत सरकार का जताया आभार

उन्होंने आगे कहा कि मरीज के परिवार में उसकी मां है और उनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है। इसलिए वह खुद, ऐश्वर्याम ट्रस्ट और कुछ अन्य हृदय रोगियों के साथ 19 वर्षीय की मदद के लिए आगे आए। वहीं,  हृदय के सफल प्रत्यारोपण के बाद आयशा राशिद ने भारत सरकार और डॉक्टरों को धन्यवाद दिया है। आयशा ने कहा कि वह भविष्य में फैशन डिजाइनर बनना चाहती हैं।  

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