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    खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ भारत सरकार का बड़ा कदम, आर्थिक कमर तोड़ने के लिए एजेंसियों को सौंपी ये जिम्मेदारी

    एनआईए द्वारा कनाडा स्थित नामित आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की संपत्तियों को जब्त करने के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों से विदेश में बैठे भारत में वांछित अन्य आतंकियों की संपत्तियों की पहचान करने को कहा है। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने एजेंसियों से अमेरिका ब्रिटेन कनाडा और आस्ट्रेलिया में बसे खालिस्तान समर्थक आतंकियों की पहचान करने और उनका OCI) कार्ड रद करने को कहा है।

    By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 24 Sep 2023 09:57 PM (IST)
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    खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ मोदी सरकार का बड़ा कदम (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, आईएएनएस। एनआईए द्वारा कनाडा स्थित 'नामित आतंकी' गुरपतवंत सिंह पन्नू की संपत्तियों को जब्त करने के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों से विदेश में बैठे भारत में वांछित अन्य आतंकियों की संपत्तियों की पहचान करने को कहा है।

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    ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया कार्ड होगा रद

    सूत्रों ने कहा कि सरकार ने एजेंसियों से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और आस्ट्रेलिया में बसे खालिस्तान समर्थक आतंकियों की पहचान करने और उनका ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड रद करने को कहा है, ताकि वे भारत न आएं।

    एक दिन पहले NIA ने किया था पन्नू की संपत्तियों को जब्त

    सरकार की यह योजना एनआईए द्वारा चंडीगढ़ और अमृतसर में पन्नू की संपत्तियों को जब्त करने के एक दिन बाद आई है। इस कदम से सरकार को भारत से इन आतंकवादियों की फंडिंग रोकने में मदद मिलेगी और उन्हें यहां आने की अनुमति भी नहीं मिलेगी।

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    सरकार की कार्रवाई से आतंकियों से निपटने में मिलेगी मदद

    सूत्रों ने कहा कि सरकार की कार्रवाई से ओसीआई कार्ड के साथ विदेश में रह रहे आतंकियों से निपटने में मदद मिलेगी और भारत में उनकी गतिविधियों पर रोक लगेगी। इससे वे भारत में भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए निशाना नहीं बना सकेंगे।

    साइबरस्पेस का दुरुपयोग कर रहा था पन्नू का संगठन

    पन्नू मामले में एनआईए की जांच से पता चला है कि उसका संगठन सिख्स फॉर जस्टिस भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें अपराध और आतंकी गतिविधियों की खातिर उकसाने के लिए साइबरस्पेस का दुरुपयोग कर रहा था। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि पन्नू सिख्स फार जस्टिस का मुख्य संचालक था। भारत सरकार द्वारा 10 जुलाई, 2019 को एसएफजे को 'गैरकानूनी संगठन' घोषित किया गया था।

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