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    'भारतीय सभ्यता सबसे पुरानी', NSA डोभाल बोले- आलोचक भी नहीं उठा सकते कोई सवाल

    By Agency Edited By: Anurag Gupta
    Updated: Wed, 10 Apr 2024 08:47 PM (IST)

    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने मंगलवार को कहा कि भारतीय सभ्यता सबसे पुरानी और निरंतर सभ्यताओं में से एक है और इसका विस्तार भी विशाल है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद का गठन उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपने इतिहास की सामान्य समझ और अपने भविष्य की सामान्य दृष्टि साझा करते हैं। इसके अलावा उन्होंने अलेक्जेंडर की भारत यात्रा का भी जिक्र किया।

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    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (फोटो: एएनआई)

    एएनआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने मंगलवार को कहा कि भारतीय सभ्यता सबसे पुरानी और निरंतर सभ्यताओं में से एक है और इसका विस्तार भी विशाल है। साथ ही कहा कि अपने इतिहास का समान बोध तथा अपने भविष्य की समान दृष्टि रखने वाले लोग राष्ट्रीयता का निर्माण करते हैं। डोभाल नई दिल्ली में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (VIF) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

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    अजीत डोभाल ने क्या कुछ कहा?

    उन्होंने कहा कि देश के इतिहास को लेकर किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया है और न ही उठा सकता है, यहां तक कि भारत के आलोचक भी नहीं। पहली है इसकी प्राचीनता। यह सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और शायद मानव जीवन विकसित हो चुका था और समाज ने खुद को बहुत ऊपर तक परिपूर्ण कर लिया था। अब, यह किसने किया? क्या वे मूल लोग थे या वे बाहर से आए थे, वे इसके बारे में तो पक्षपाती हो सकते हैं, लेकिन वे सभी मानते हैं कि यह प्राचीन सभ्यता है।

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    डोभाल ने भारतीय सभ्यता की दूसरी विशेषता इसकी निरंतरता बताई। उन्होंने कहा,

    अगर इसकी शुरुआत 4000 या 5000 साल पहले हुई तो यह आज तक लगातार जारी है। उसमें कोई रुकावट नहीं है। तीसरी विशेषता इसका विशाल विस्तार है। यह कोई छोटा-मोटा गांव नहीं थी, जो आपको किसी विकसित द्वीप या उस जैसी किसी जगह पर मिलती हो।

    डोभाल ने अलेक्जेंडर की भारत यात्रा का किया उल्लेख

    उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद का गठन उन लोगों द्वारा किया जाता है, जो अपने इतिहास की सामान्य समझ और अपने भविष्य की सामान्य दृष्टि साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को इतिहास की अलग-अलग समझ है यानी अगर मेरा नायक आपका खलनायक है तो आप और मैं एक राष्ट्र नहीं बना सकते। इसके अलावा उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अलेक्जेंडर की भारत यात्रा भारतीय इतिहास में एक घटना नहीं थी, बल्कि पश्चिमी इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी।

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