अब आसमान से रहेगी दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर, 670 ड्रोन खरीदेंगी भारतीय सेनाएं
भारतीय सेना आने वाले वर्षों में आधुनिक ड्रोन शामिल करने जा रही है जिससे सीमा की निगरानी और दुश्मन सेना पर 24 घंटे नजर रखी जा सकेगी। 15 वर्षीय रक्षा आधुनिकीकरण रोडमैप के तहत सेना युद्ध में उपयोगी और सर्विलांस में काम आने वाले ड्रोन खरीदने की योजना बना रही है। वायुसेना हाइब्रिड आरपीए ड्रोन का उपयोग करेगी जो 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना आने वाले कुछ वर्षों में और भी एडवांस ड्रोन को शामिल करने वाली है। इन ड्रोन की मदद से न केवल सीमा की निगरानी की जाएगी बल्कि, 24 घंटे दुश्मन सेना पर निगाह रखेंगे।
दरअसल, हाल के दिनों में 15 वर्षीय रक्षा आधुनिकरण रोडमैप के तहत यह कदम उठाया गया है। आइए आपको बताते हैं क्या है भारतीय सेना की तैयारी...
कैसे ड्रोन की होनी है खरीदारी?
बताया जा रहा है कि भारत की सेनाएं युद्ध में उपयोगी, सर्विलांस में अलग-अलग उपयोग किए जाने वाले ड्रोन खरीदने की योजना बना रही है।
योजना का क्या है उद्देश्य?
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह योजना टेक्नोलॉजी पस्पेक्टिव एंड कैपबिलिटी रोडमैप में पेश की गई है। इस योजना का उद्देश्य भारत की सेनाओं की भविष्य की तकनीकी जरूरतों का खाता तैयार करना है। इसके पीछे की वजह है कि रक्षा उद्योग इस संबंध में पहले से तैयारी कर सके और देश में ही हथियारों से लैस ड्रोन बना सके।
वायुसेना करेगी हाइब्रिड आरपीए ड्रोन का उपयोग
बता दें कि हाइब्रिड आरपीए जिसको सामान्य भाषा में रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट भी कहते हैं, एक ऐसे प्रकार का ड्रोन है जो फिक्स्ड-विंग और रोटरी-विंग दोनों तकनीकों को जोड़ते हैं। जानकारी के अनुसार, ये ड्रोन बीस हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ने की क्षमता रखते हैं। वर्तमान स्थिति के हिसाब से भारतीय वायुसेना को 10-20 हाइब्रिड आरपीए की जरूरत है।
क्या होते हैं एमएएलई ड्रोन?
जानकार बताते हैं कि ये ड्रोन 30 से 40 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता रखते हैं। इतना ही नहीं यह करीब 24 घंटे से अधिक समय तक उड़ने की क्षमता रखते हैं। कहा जा रहा है कि तीनों सेनाएं 120 से अधिक ऐसे ड्रोन खरीदेगी। इन ड्रोन की मदद से सीमा पर 24 घंटे की निगरानी की जा सकती है। वहीं, दुश्मन की हर एक एक्टिविटी पर भी नजर रखने में आसानी रहेगी।
सेना क्यों करती हैं ड्रोन का इस्तेमाल
आज के बदलते समय में ड्रोन ने युद्ध का स्वरूप बदल दिया है। पाकिस्तान और चीन जैसे खतरों से निपटने में ये ड्रोन काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन ड्रोन के शामिल होने से सेनाओं को टार्गेटेड अटैक की क्षमता मिलेगी।
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