युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सेना कर रही एआई का इस्तेमाल, ऑपरेशन सिंदूर में ऐसे आया था काम
भारतीय सेना राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए अपने युद्धक उपकरणों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को शामिल कर रही है। सेना एक स्वदेशी एकीकृत एआई प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है जो परिचालन खुफिया रसद और प्रशिक्षण अनुप्रयोगों को एकीकृत करेगा। ऑपरेशन सिंदूर में भी एआई का इस्तेमाल किया गया था। इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस कोलेशन एंड एनालिसिस सिस्टम (ईसीएएस) एक महत्वपूर्ण पहल है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में अधिक गति और सटीकता लाने के लिए भारतीय सेना ने अपने युद्धक उपकरणों में एआई को शामिल करने के लिए परिवर्तनकारी पहल शुरू की है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार साहनी ने कहा कि सेना एक स्वदेशी एकीकृत एआई प्लेटफॉर्म विकसित कर रही है, जो एक ही सुरक्षित ढांचे पर परिचालन, खुफिया, रसद और प्रशिक्षण अनुप्रयोगों को एकीकृत करेगा।
'ऑपरेशन सिंदूर में किया था एआई का इस्तेमाल'
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी एआई इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि एआई को एक सुव्यवस्थित और सतर्क तरीके से अपनाया जा रहा है।
लेफ्टिनेंट जनरल साहनी ने कहा कि कर्मियों के लिए जोखिम को कम करने, निर्णय लेने में सुधार लाने और लचीलापन बढ़ाने के लिए एआई को बढ़ावा दिया जा रहा है। सैन्य अधिकारी ने कहा कि एआई संचालित अभियानों में विश्वसनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत परीक्षण की जरूरत है।
ईसीएएस भी महत्वपूर्ण पहल
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस कोलेशन एंड एनालिसिस सिस्टम (ईसीएएस) एक महत्वपूर्ण पहल है, जो गंभीर खतरों की पहचान और प्राथमिकता तय करेगी, जिससे रणनीतिक प्रभुत्व हासिल करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने आगे कहा कि त्रिनेत्र एक अन्य एप है जो बेहतर समन्वय, स्थितिजन्य जागरूकता और निर्णय श्रेष्ठता के लिए एक साझा परिचालन तस्वीर प्रदान करता है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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