कॉम्बैट वर्दी से दुश्मन को चकमा दे सकेंगे जवान, हर परिस्थिति में रंग बदलकर करेगी मदद
कानपुर से खबर है कि अब सेना के जवान डिजिटल प्रिंट तकनीक से बनी कांबैट वर्दी पहनेंगे। यह नई वर्दी जवानों को रेगिस्तान झाड़ी पेड़ और पहाड़ों में छिपने में मदद करेगी। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलाजी ने इस वर्दी को डिजाइन किया है जिसे सेना ने मंजूरी दे दी है। टीसीएल कानपुर को 6.80 लाख वर्दी बनाने का काम सौंपा गया है।

विवेक मिश्र, कानपुर । देश की सरहद व दुर्गम इलाकों में गश्त करने वाले सेना के जवान अब अगले साल से डिजिटल प्रिंट तकनीक से तैयार कांबैट वर्दी पहनकर दुश्मनों की नजरों को चकमा दे सकेंगे। यह ऐसी आधुनिक सैन्य वर्दी है, जिसमें डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग होने की वजह से जवानों को मरुस्थल, झाड़ी, पेड़ों व पहाड़ों की परिस्थिति अनुसार छद्मावरण में मदद मिलेगी।
इस वर्दी के कारण जवान आसपास के माहौल में ज्यादा बेहतर तरीके से घुलमिल जाएंगे। पारंपरिक प्रिंट वाली वर्दी की तुलना में इस वर्दी की लंबे समय तक गुणवत्ता व रंगत भी बनी रहेगी। द नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलाजी से इस नई वर्दी का डिजाइन तैयार कराया गया है, जिसे भारतीय सेना की सहमति मिल चुकी है। सेना अब इस वर्दी का उपयोग करेगी।
परिस्थिति के अनुरूप मिलेगी सहायता
इसका वर्दी का डिजाइन ऐसा है कि सीधे कपड़े में ही प्रिंट समाए हुए हैं, जिससे परिस्थिति अनुरूप छद्मावरण में सहायता मिलेगी। भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) समेत अन्य सैन्य बलों को आरामदायक फैब्रिक व टिकाऊ डिजिटल पैटर्न के संयोजन वाली विभिन्न पृष्ठभूमि की वर्दी उनकी कार्यक्षमता को और बढ़ाएगी।
आयुध निर्माणियों की ओर से अभी तक सेना के लिए जैतून रंग की वर्दी बनाई जा रही थी। ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) के सीएमडी सुनील दाते ने बताया कि डिजाइन पर सेना की सहमति पर वर्दी के पैटर्न को बदला गया है। अब छद्म आवरण वाली नए पैटर्न की वर्दी बनवानी शुरू की है।
सेना ने डिजिटल प्रिंट कांबैट यूनिफार्म के अंतर्गत जैकेट, ट्राउजर व कैप फार मेल (क्यू थ्री) का सेट तैयार करने का आर्डर दिया है। सैन्य बलों को नए पैटर्न की 6.80 लाख वर्दी उपलब्ध कराने के लिए रक्षा मंत्रालय ने टीसीएल, कानपुर मुख्यालय को जिम्मेदारी दी है। टीसीएल के अंतर्गत आयुध वस्त्र निर्माणी अवाडी (तमिलनाडु) में 3.80 लाख व शाहजहांपुर स्थित निर्माणी में तीन लाख वर्दी का सेट बनाने का काम चल रहा है। मार्च 2026 तक सैन्य बलों को डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी की आपूर्ति करने का लक्ष्य है।
क्या है डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी
डिजिटल प्रिंट कांबैट वर्दी में जैतून, मिट्टी, खाकी, हरे व भूरे रंगों का मिश्रण छद्म आवरण के रूप में काम करेगा। यह पहाड़ों, घने जंगलों, पेड़ों व झाड़ियों के झुरमुट में अपना रंग उसी अनुरूप बदल लेगा। कपड़े में ही यह प्रिंट समाए हुए होंगे, जो उसी परिवेश के अनुसार दिखेंगे। इसमें 50 प्रतिशत खाकी, 45 प्रतिशत हरा व पांच प्रतिशत भूरा रंग शामिल है। वर्दी में 80 प्रतिशत काटन, 19 प्रतिशत पालिएस्टर व एक प्रतिशत स्पैंडेक्स का मिश्रण रहेगा।
डिजिटल पैटर्न कांबैट यूनिफार्म छद्म आवरण वाली होती हैं। खाकी, हरे व भूरे रंग के मेल से बनी ये वर्दी जवान को बेहतर कैमोफ्लाज (छद्म आवरण) देती है। ये किसी भी युद्ध या आपरेशन के वक्त जवानों को दुश्मन की नजरों से बचाने में मददगार साबित होगी। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके व बंगाल की उमस में भी ये वर्दी जवानों के लिए आरामदायक होगी। नए पैटर्न वाली छह लाख वर्दी बनाने का काम टीसीएल के अंतर्गत दो आयुध निर्माणियों में चल रहा है। - राजीव शर्मा, निदेशक (आपरेशन), टीसीएल समूह कानपुर।
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