US ने पाकिस्तान को बेचे थे 2 अरब डॉलर के हथियार, भारतीय सेना ने ट्रंप को याद दिलाई 54 साल पुरानी वो बात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी के बीच भारतीय सेना ने 54 साल पुरानी एक खबर साझा की है। इसके अनुसार अमेरिका ने 1954 से 1971 के बीच पाकिस्तान को 2 बिलियन डॉलर से अधिक के हथियार भेजे थे। सेना ने एक्स पर 5 अगस्त 1971 के अखबार की कटिंग पोस्ट की जिसमें तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री वीसी शुक्ला का राज्यसभा में दिया गया बयान भी शामिल है।

संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने तीनों सेनाओं की सैन्य ऑपरेशन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए करीब 67000 करोड़ रूपए के रक्षा उपकरणों-हथियारों के खरीद की आवश्यकता के प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी।
इसके तहत सेना की रात्रि इफैंट्री क्षमता में इजाफे लिए थर्मल इमेजर तो नौसेना के लिए ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और लांचर से लेकर बराक-1 पॉइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम का उन्नयन किया जाएगा।
रडार खरीद का प्रस्ताव भी है शामिल
वहीं सीमावर्ती पहाड़ी इलाकों में भारतीय वायुसेना के एयर डिफेंस को मजबूती देने के लिए इसमें रडार खरीद का प्रस्ताव भी शामिल है।वहीं युद्ध के बदलते आयामों के मद्देनजर तीनों सेनाओं के लिए तीनों सेनाओं के लिए मध्यम ऊंचाई वाले लंबी दूरी के (एमएएलई) रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (आरपीए) की खरीद भी की जाएगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डीएसी की मंगलवार को हुई बैठक में सेनाओं के लिए इन रक्षा उपकरणों हथियारों की खरीद की आवश्यकता के 67000 करोड़ रूपए के विभिन्न प्रस्तावों को स्वीकृति दी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार इसमें सेना के लिए थर्मल इमेजर-आधारित ड्राइवर नाइट साइट की खरीद आवश्यकता की स्वीकृति प्रदान की गई है।
नौसेना को भी मिलेगा उन्नत डिफेंस सिस्टम
इससे सेना के बीएमपी की रात्रिकालीन ड्राइविंग क्षमता में वृद्धि होगी और मैकेनाइज्ड इंफैट्री को बेहतर गतिशीलता और परिचालन लाभ मिलेगा। नौसेना के लिए कांपैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट, ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और लांचर की खरीद की जाएगी।
साथ ही नौसेना को अपने बराक-1 पॉइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम को उन्नत करने का भी मौका मिलेगा। कांपैक्ट ऑटोनॉमस सरफेस क्राफ्ट की खरीद से भारतीय नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध अभियानों में खतरों का पता लगाने, उनका वर्गीकरण करने और उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमता प्राप्त होगी।
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"This Day That Year" Build Up of War - 05 Aug 1971 #KnowFacts.
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— EasternCommand_IA (@easterncomd) August 5, 2025
आपरेशन सिंदूर के बाद सैन्य बलों की ताकत में बहुआयामी इजाफा करने की महसूस की जा रही जरूरत के बीच डीएसी ने इस रक्षा खरीद प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार डीएसी ने जिन हथियारों के खरीद की आवश्यकता प्रस्ताव को मंजूरी दी है उसमें भारतीय वायु सेना के लिए पर्वतीय रडारों की खरीद शामिल है।
क्या-क्या होंगे खासियत
साथ ही वायुसेना के सक्षम स्पाइडर हथियार प्रणाली को उन्नत बनाया जाएगा। पर्वतीय रडारों की खरीद से पहाड़ी क्षेत्र में सीमाओं के साथ-साथ हवाई निगरानी क्षमता में बढ़ेगी। पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी सीमा पर वायुसेना की निगरानी क्षमता को मजबूत बनाने में इसकी अहम भूमिका होगी। वहीं एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली के साथ एकीकरण हेतु सक्षम स्पाइडर प्रणाली के उन्नयन से वायु रक्षा क्षमता में वृद्धि होगी।
डीएसी ने इसके साथ ही तीनों सेनाओं के लिए मध्यम ऊंचाई वाले लंबी दूरी के रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट की खरीद के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। सैन्य ऑपेरशनों में कई पेलोड और हथियार ले जाने में सक्षम रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट लंबी दूरी के मिशनों के संचालन से लेकर हमले को अंजाम देने में सक्षम होते हैं।
सेना को मिलेगा फायदा
जाहिर तौर पर इससे सशस्त्र सेनाओं की चौबीसों घंटे निगरानी और युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार डीएसी ने वायुसेना के परिवहन विमान सी-17 और सी-130जे बेड़े के रखरखाव और एस-400 लंबी दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के व्यापक वार्षिक रखरखाव का अनुबंध करने के प्रस्ताव पर भी अपनी मुहर लगा दी है।
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