भारत-यूरोपीय संघ ट्रेड डील, 20 में से 10 चीजों पर हुआ समझौता; पीयूष गोयल बताई पूरी बात
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर सकारात्मक प्रगति हुई है। 20 अध्यायों में से 10 पर सहमति बन चुकी है। कार्बन टैक्स जैसे मुद्दों पर भी बातचीत जारी है। भारत, यूरोपीय संघ में सेवा क्षेत्र में व्यापार चाहता है, क्योंकि भारत में निवेश की आपार संभावना है। इस साल के अंत तक समझौते की उम्मीद है।

भारत-यूरोपीय संघ ट्रेड डील (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इस सप्ताह ब्रसेल्स के दौरे से वापस आने के बाद वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को बताया कि भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर जारी वार्ता की काफी सकारात्मक प्रगति है।
समझौते के लिए 20 अध्याय पर बातचीत तय थी और इनमें से 10 अध्याय पर दोनों पक्षों में समझौता हो चुका है। चार-पांच अध्याय पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बन चुकी है। ईयू के व्यापार आयुक्त के अगले सप्ताह भारत आने की पूरी संभावना है। ब्रसेल्स में ईयू का मुख्यालय है।
गोयल ने यह भी कहा कि ईयू के साथ अमेरिका व कई अन्य देशों के साथ भी भारत की व्यापार वार्ता की ट्रेन कई ट्रैक पर चल रही है। न्यूजीलैंड के साथ भी भारत की व्यापार वार्ता अगले सप्ताह से शुरू होने जा रही है।गोयल ने बताया कि भारत और ईयू के बीच व्यापार समझौते की वार्ता आपसी सहयोग व एक दूसरे के संवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
किस मुद्दे पर हुई वार्ता
उन्होंने बताया कि कार्बन बार्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबैम) को लेकर भी ईयू के साथ विस्तार से चर्चा हुई है और उम्मीद है कि इस मसले पर कोई न कोई रास्ता निकल आएगा। ईयू अगले साल से स्टील, एल्युमीनियम जैसे उत्पादों के आयात पर अधिक टैक्स लगाने जा रहा है क्योंकि इनके उत्पादन में अधिक कार्बन का उत्सर्जन होता है।
ऐसे में भारत का स्टील व एल्युमीनियम निर्यात प्रभावित होगा क्योंकि अभी भारत में ग्रीन स्टील का उत्पादन काफी कम होता है। भारत इस कार्बन टैक्स को हटवाना चाहता है।गोयल ने बताया कि व्यापार के साथ निवेश और मोबिलिटी को लेकर भी ईयू के साथ सकारात्मक चर्चा चल रही है।
EU के साथ क्यों समझौता करना चाहता है भारत
ताकि भारतीय यूरोप में जाकर अपनी सेवा दे सके। इसलिए भारत ईयू के साथ वस्तु के साथ सेवा क्षेत्र में भी व्यापार समझौता करना चाहता है। ईयू के साथ दुनिया के कई देश भारत में इसलिए निवेश करना चाहते हैं क्योंकि यहां प्रशिक्षित युवा श्रमिक है और भारत का बाजार बड़ा है जहां काफी अधिक खपत हो रही है।
भारत का ब्रिटेन के साथ पहले ही व्यापार समझौता हो चुका है। हालांकि अभी इस पर अमल में तीन-चार महीने लग सकते हैं। ईयू के साथ इस साल के आखिर तक व्यापार समझौते की पूरी संभावना है, लेकिन सबकुछ दोनों पक्षों के हित पर निर्भर करता है। इन दिनों भारत आधा दर्जन से अधिक देशों के साथ व्यापार समझौते को लेकर वार्ता कर रहा है।

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