जल्द ही यूरोप में भी चलेगा भारत का UPI, रेस्तरां, होटल, दुकानें और टैक्सी हर जगह बिना झंझट होगी पेमेंट
भारतीय रिजर्व बैंक और एनपीसीआई इंटरनेशनल ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ मिलकर यूपीआई को यूरोप के इंस्टैंट पेमेंट सिस्टम टिप्स से जोड़ने की पहल की है। इससे भारतीय पर्यटक फ्रांस, जर्मनी, इटली जैसे देशों में यूपीआई से भुगतान कर सकेंगे। यह सुविधा 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है और इससे छोटे-मध्यम उद्यमियों को विशेष लाभ होगा। यह कदम जी-20 दिशानिर्देशों के तहत उठाया गया है।

भारत का यूपीआई यूरोप में भी चलेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और एनपीसीआई इंटरनेशनल ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक के साथ मिलकर ऐतिहासिक पहल की है जो भविष्य में यूरोपीय देशों की यात्रा पर जाने वाले पर्यटकों या वहां कारोबार करने वालों को काफी सहूलियत देगी।
इसके तहत अब भारत का यूपीआई जल्द ही यूरोप के इंस्टैंट पेमेंट सिस्टम टिप्स यानी टार्गेट इंस्टैंट पेमेंट सेटलमेंट से जुड़ जाएगा। दोनों पक्षों ने इसके “रियलाइजेशन फेज'' को शुरू करने पर सहमति दे दी है। इसके लागू होने के बाद फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, नीदरलैंड आदि देशों में घूमने गए भारतीय पर्यटक सीधे अपने फोन से यूपीआई स्कैन करके खरीदारी कर सकेंगे।
इन जगहों पर मिलेगी यूपीआई की सुविधा
रेस्तरां, होटल, दुकानें, टैक्सी हर जगह भारतीय यूपीआई काम करेगा, बिना विदेशी क्रेडिट/डेबिट कार्ड या नकदी के झंझट के। साथ ही पैसा तुरंत व बहुत ही कम फीस में ट्रांसफर होगा। साथ ही यूरोप से आने वाले लोग भी भारत में आसानी से पेमेंट कर सकेंगे। माना जा रहा है कि इससे छोटे-मध्यम उद्यमियों को खास तौर पर फायदा होगा क्योंकि लेन-देन सस्ता, तेज और पारदर्शी हो जाएगा।
कब से चालू होगी यह सुविधा
वर्तमान में भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) की बातचीत अपने अंतिम चरण में है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूपीआई-टिप्स लिंकेज इस समझौते को तेजी से अमलीजामा पहनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच वित्तीय एकीकरण की जमीन पहले से ही तैयार होगी। आरबीआई और एनपीसीआई तकनीकी एकीकरण, रिस्क मैनेजमेंट और सेटलमेंट व्यवस्था पर तेजी से काम कर रहे हैं।
उम्मीद है कि 2026 की पहली छमाही तक यह सुविधा चालू हो जाएगी। आरबीआई की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक यह कदम जी-20 दिशानिर्देशों के तहत उठाया गया है जिसके सभी सदस्य देशों ने आपस में वित्तीय लेन-देन को सुविधाजनक बनाने की सहमति दी है।

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