सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, इन देशों के साथ भी हैं भारत के एग्रीमेंट... जानिए क्यों पड़ती है संधि की जरूरत
शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो की मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने वहां दो जुलाई 1972 को एक समझौते पर दस्तखत किया। इस समझौते को हम शिमला समझौता के नाम से जानते हैं। पहलगाम हमले के बाद उठाए गए कदम से बौखलाया पाकिस्तान इस समझौते को रद करने की गीदड़भभकी दे रहा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में मीटिंग्स का दौर चल रहा है। आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत कमर कस चुका है। कल कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में भारत ने 5 बड़े फैसले किए, जिसमें सिंधु जल समझौते को रद करना और पाकिस्तानियों को देश छोड़ने का अल्टीमेटम देना शामिल है।
भारत को एक्शन मोड में देखकर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। वह बार-बार भारत को गीदड़भभकी दे रहा है। पहले पाकिस्तान ने कहा कि सिंधु जल समझौते को रद करना वह युद्ध की पहल के रूप में मानेगा। इसके बाद उनसे शिमला एग्रीमेंट को खत्म करने की भी गीदड़भभकी दी।
आज के एक्सप्लेनर में जानेंगे कि भारत के पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ कौन-कौन से एग्रीमेंट व संधि हैं और आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ती है...
सबसे पहले जानते हैं कि आखिर भारत को संधि या एग्रीमेंट की जरूरत क्यों पड़ी। दरअसल सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के हर देश को अन्य देशों के साथ समझौतों और संधि करने की जरूरत पड़ती है। कोई देश अगर सुपरपावर भी है या बेहद अमीर है, फिर भी संधि करना उसके ही हित का माध्यम है।
ऐसा इसलिए क्योंकि संधि करना विदेश नीति का एक हिस्सा है। अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने, वैश्विक शांति और भाईचारे को बनाए रखने या कई बार मतभेद हो जाने की भी स्थिति में संधि व एग्रीमेंट की जरूरत पड़ती है। सिंधु जल समझौता और शिमला एग्रीमेंट भी इसी का हिस्सा हैं।
पाकिस्तान के साथ भारत के ये समझौते
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए प्रमुख समझौतों में सिंधु जल संधि, ताशकंद समझौता और शिमला समझौता शामिल है। सिंधु जल समझौते में सहमति बनी थी कि रावी, व्यास और सतलज का पानी भारत जबकि सिंधु, झेलम और चेनाब के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार मिला। हालांकि ये नदियां भारत से होकर पाकिस्तान में प्रवेश करती हैं और भारत ने इसी संधि को रद किया है।
वहीं ताशकंद समझौता 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ, जब दोनों देशों ने युद्धविराम के बाद नियमों का पालन करने और एक-दूसरे के युद्ध क्षेत्रों को वापस करने पर सहमति जताई थी। जब 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना, तब शिमला एग्रीमेंट किया गया था। पाकिस्तान इसी एग्रीमेंट को तोड़ने की धमकी दे रहा है।
बांग्लादेश और भूटान के साथ भी कई समझौते
- पाकिस्तान के अलावा भारत ने अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश और भूटान से भी समझौते किए हैं। बांग्लादेश और भूटान दोनों के साथ ही भारत की मैत्री संधि है, जिसमें एक-दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करने पर प्रतिबद्धता जताई गई थी। इसके अलावा भूटान के साथ भारत के जलविद्युत परियोजनाओं पर भी समझौते हैं।
- बांग्लादेश के साथ भारत ने गंगा जल बंटवारा संधि की है, जिसके तहत दोनों देशों के बीच गंगा जल से वितरण में संतुलन स्थापित करने पर सहमति बनी थी। इसके अलावा 2015 में हुए भूमि सीमा समझौते में दोनों देशों की सीमाओं पर स्थित एनक्लेव्स के आदान-प्रदान पर सहमति बनी।
चीन और रूस के साथ हुए समझौते
पाकिस्तान की तरह ही चीन भी सीमा विवाद को अक्सर जन्म देता रहता है। हालांकि चीन के साथ 1954 में नेहरू ने पंचशील समझौता किया था, जिसमें आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने और संप्रभुता का सम्मान करने सहित कई बातें निहित थीं। इसी तरह सीमा विवाद को कम करने के लिए 1993 में शांति और ट्रैंक्विलिटी संधि भी की गई थी, जो पूरी तरह सफल नहीं हो सकी।
रूस भारत का बेहद पुराना मित्र है। दोनों देशों के बीच रक्षा, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से 1971 में भारत-सोवियत मित्रता एवं सहयोग संधि की गई थी। साल 2000 में रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी समझौता भी हुआ था, जिसने भारत-रूस संबंधों को नई ऊंचाई दी।
अमेरिका और EU के साथ भी समझौते
भारत ने अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप के दिशानिर्देशों से छूट मिली हुई है। इसके अलावा अमेरिका के साथ डिफेंस उत्पादों टेक्नोलॉजी के आदान-प्रदान के लिए लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट और कई अन्य समझौते हुए हैं।
यूरोपियन यूनियन के साथ भारत ने 1994 में सहयोग समझौता किया था, जिसने निवेश और व्यापार को बढ़ाने में मदद की और ईयू के साथ भारत के रिश्ते प्रगाढ़ हुए। ट्रेड, साइंस, टेक्नोलॉजी और कल्चरल सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 2004 में रणनीतिक साझेदारी हुई थी।
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