2026 में कारोबारी रिश्तों की नई मिसाल पेश करेगा भारत, इन देशों के साथ होगी ट्रेड डील
वर्ष 2026 व्यापार के लिए मुक्त व्यापार समझौते का वर्ष होगा। भारत का यूरोपीय यूनियन और न्यूजीलैंड के साथ एफटीए होने की संभावना है। मार्च या अप्रैल में ...और पढ़ें

राजीव कुमार, नई दिल्ली। व्यापार के लिहाज से वर्ष 2026 मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का वर्ष होगा। नए साल में सबसे पहले यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ एफटीए हो सकता है और उसके बाद न्यूजीलैंड के साथ। मार्च या अप्रैल में ब्रिटेन के साथ हो चुके एफटीए पर अमल शुरू हो जाएगा। नए साल में पेरू व चिली के साथ भी व्यापार समझौते की संभावना है।
पेरू के साथ व्यापार समझौते को लेकर नौ चरण तो चिली के साथ चार चरण की वार्ता पूरी की जा चुकी है। कनाडा के साथ एक बार फिर से व्यापार समझौते को लेकर हाल ही में बातचीत शुरू की गई है। अमेरिका के साथ भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर छह चरण की वार्ता पूरी हो चुकी है और नए साल में कभी भी पहले चरण का व्यापार समझौता हो सकता है।
भारत व ईयू के बीच व्यापार समझौता जल्द
वाणिज्य मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आगामी जनवरी में वाणिज्य व उद्योग मंत्री यूरोपीय यूनियन के मुख्यालय ब्रसेल्स का दौरा करेंगे और बहुत उम्मीद है कि इस दौरान भारत व ईयू के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाए। गत 3-9 दिसंबर के बीच व्यापार समझौते पर वार्ता के लिए ईयू की टीम भारत में थी। 8-9 दिसंबर को ईयू व भारत के वाणिज्य मंत्री के बीच बैठक की गई जिसमें दोनों ओर की टीम को व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर विभिन्न प्रकार के निर्देश दिए गए।
ईयू में फ्रांस, जर्मनी, इटली, बेल्जियम, स्पेन जैसे विकसित देशों को मिलाकर दो दर्जन से अधिक देश शामिल हैं। ईयू के साथ व्यापार समझौता हो जाने पर आगामी वित्त वर्ष 2026-27 में भारतीय निर्यात नई ऊंचाई को छू सकता है। चिली और पेरू के साथ एफटीए होने से दक्षिण अमेरिका में भारतीय व्यापार के लिए नए दरवाजे खुलेंगे। ऐसा नहीं है कि ईयू व अन्य देशों के साथ एफटीए होने से सिर्फ वस्तु निर्यात को ही फायदा होगा।
सभी एफटीए में सेवा सेक्टर के साथ लोगों की आवाजाही की प्राथमिकता को भी शामिल किया जा रहा है। इसका फायदा यह होगा कि इन देशों में आईटी व अन्य सर्विस सेक्टर के निर्यात के साथ भारतीय श्रमिकों व प्रोफेशनल्स को भी इन देशों में काम करने का मौका मिलेगा। इससे भी विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलेगी। विभिन्न देशों के साथ एफटीए का एक फायदा यह भी होगा कि निर्यात के लिए भारत किसी देश पर निर्भर नहीं रहेगा और भारतीय निर्यात के लिए बाजार का विकल्प बढ़ता जाएगा।
ओमान के साथ 18 दिसंबर को सीपा
भारत और ओमान के बीच 18 दिसंबर को कंप्रेहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीपा) होने जा रहा है। पिछले दो साल से दोनों देशों के बीच सीपा को लेकर वार्ता चल रही थी। प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी अभी तीन देश के दौरे पर हैं और आखिर में ओमान जाएंगे।
ओमान गल्फ कोपरेशन कंट्रीज (जीसीसी) का सदस्य है। इस कारण ओमान के साथ सीपा होने से जीसीसी के अन्य सदस्य देशों के साथ भी व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी। ओमान व भारत के बीच 10.6 अरब डालर का कारोबार होता है। इनमें भारत का निर्यात 4.1 अरब डालर का है। ओमान से भारत गैस, पेट्रोलियम पदार्थ जैसे आइटम का आयात करता है।

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