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    माताओं और शिशुओं को स्वस्थ बनाने में भारत अव्वल, तेजी से मातृ-शिशु मृत्यु दर में भारी गिरावट

    Updated: Sun, 29 Jun 2025 06:49 AM (IST)

    माताओं और शिशुओं के बचाने में भारत दुनिया में अव्वल साबित हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़ी संस्था की रिपोर्ट के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। पूरी दुनिया में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर का अध्ययन करने वाली यूनाइटेड नेशंस इंटर-एजेंसी ग्रुप की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर दोनों में पूरी दुनिया के औसत से कहीं आगे है।

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    दुनिया की तुलना में भारत में ज्यादा तेजी से कम हो रहा है मातृ व शिशु मृत्यु दर (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। माताओं और शिशुओं के बचाने में भारत दुनिया में अव्वल साबित हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़ी संस्था की रिपोर्ट के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। पूरी दुनिया में शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर का अध्ययन करने वाली यूनाइटेड नेशंस इंटर-एजेंसी ग्रुप की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर दोनों में पूरी दुनिया के औसत से कहीं आगे है।

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    भारत में मातृ मुत्यु दर प्रति एक लाख जन्म में 80 पहुंच गई है

    यही नहीं, पिछले साल शुरू किये गए जीरो डोज क्रियान्यवयन अभियान के बाद एक वैक्सीन नहीं लेने वाले बच्चों की संख्या पूरी आबादी के 0.11 फीसद से कम होकर 0.06 फीसद आ गई है। संयुक्त राष्ट्र की 2000-2023 के बीच की रिपोर्ट से साफ है कि भारत में मातृ मुत्यु दर प्रति एक लाख जन्म में 80 पहुंच गई है, यानी इसमें कुल 86 फीसद की कमी आई है।

    दुनिया में मातृ मृत्यु दर में 48 फीसद की ही कमी आई

    वहीं 1990 के बाद पूरी दुनिया में मातृ मृत्यु दर में 48 फीसद की ही कमी आई है। इसी तरह से पांच साल से कम उम्र के शिशुओं की मृत्यु दर में भारत में 78 फीसद की कमी आई है, जबकि पूरी दुनिया का औसल 61 फीसद है। वहीं नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में भारत में 70 फीसद की कमी आई है, जबकि पूरी दुनिया में 54 फीसद की कमी आई है।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार भारत की यह उपलब्धि गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के लिए चलाए जा रहे सघन टीकाकरण अभियान का नतीजा है। इसके तहत हर साल 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ शिशुओं को हर साल टीका लगाया जाता है।

    सभी गर्भवती महिलाओं और शिशुओं का टीकाकरण जरूरी

    पहले बच्चों को छह बीमारियों के टीके लगाए जाते थे, लेकिन नए राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में 12 तरह से टीके लगाए जाते हैं। सभी गर्भवती महिलाओं और शिशुओं का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए 2017 में मिशन इंद्रधनुष शुरू किया, जो काफी असरदार साबित हुआ है।

    पिछले एक साल में भारत को सबसे बड़ी सफलता जीरो डोज क्रियान्वयन अभियान में मिली है। जीरो डोज अभियान उन बच्चों तक पहुंचने के लिए शुरू किया गया, जिन्हें एक भी टीका नहीं लगा हो। कम टीकाकरण वाले 11 राज्यों के 143 जिलों को इसमें शामिल किया गया।

    रो टीका वाले बच्चों की संख्या लगभग आधी

    इसके परिणाम स्वरूप पूरी जनसंख्या में जीरो टीका वाले बच्चों की संख्या लगभग आधी रह गई। सरकार इसे आगे बढ़ते हुए आने वाले सालों में हर बच्चे और गर्भवती महिला का टीकाकरण सुनिश्चित कराने की कोशिश में जुटी है।

    एक-एक गर्भवती महिला और शिशु के टीकाकरण पर नजर

    कोरोना के टीकाकरण में बड़ी भूमिका निभाने वाले कोविन पोर्टल को यू-विन पोर्टल में बदलकर टीकाकरण अभियान की मॉनिटरिंग की जा रही है और एक-एक गर्भवती महिला और शिशु के टीकाकरण पर नजर रखी जा रही है।