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    Nuclear Reactor: भारत 2032 तक 18 और परमाणु क्षमता वाले बनाएगा रिएक्टर, फिलहाल 24 हो रहे संचालित

    By Agency Edited By: Sonu Gupta
    Updated: Mon, 26 Feb 2024 12:06 AM (IST)

    भारत 13800 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले 18 और परमाणु ऊर्जा रिएक्टर बनाएगा जिससे 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा की कुल हिस्सेदारी 22480 मेगावाट हो जाएगी। नपीसीआइएल ने कहा कि केएपीएस तीन और चार उन्नत सुरक्षा सुविधाओं वाले सबसे बड़े स्वदेशी दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) हैं जो दुनिया के मानकों के बराबर हैं। इन रिएक्टरों को एनपीसीआइएल द्वारा डिजाइन निर्मित चालू और संचालित किया गया है।

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    भारत 2032 तक 18 और परमाणु क्षमता वाले बनाएगा रिएक्टर।

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारत 13,800 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले 18 और परमाणु ऊर्जा रिएक्टर बनाएगा, जिससे 2031-32 तक परमाणु ऊर्जा की कुल हिस्सेदारी 22,480 मेगावाट हो जाएगी।

    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पिछले सप्ताह गुजरात के काकरापार में दो घरेलू निर्मित 700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों को देश को समर्पित करने के बाद न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआइएल) ने इसकी घोषणा की थी। वर्तमान में एनपीसीआइएल 8,180 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 24 रिएक्टर संचालित करता है।

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    पीएम मोदी ने 22 फरवरी को किया था राष्ट्र को समर्पित

    प्रधानमंत्री ने 22 फरवरी को काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन की यूनिट तीन और चार को राष्ट्र को समर्पित किया था। उनकी काकरापार यात्रा से दो दिन पहले 20 फरवरी को केएपीएस-4 को पश्चिमी पावर ग्रिड से जोड़ा गया था। एनपीसीआइएल ने कहा कि केएपीएस तीन और चार उन्नत सुरक्षा सुविधाओं वाले सबसे बड़े स्वदेशी दबावयुक्त भारी पानी रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) हैं, जो दुनिया के मानकों के बराबर हैं।

    एनपीसीआइएल करता है संचालित

    इन रिएक्टरों को एनपीसीआइएल द्वारा डिजाइन, निर्मित, चालू और संचालित किया गया है। इसमें उपकरणों की आपूर्ति और भारतीय कंपनियों द्वारा अनुबंधों का निष्पादन किया गया है।

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    तमिलनाडु में बनाए जा रहे चार परमाणु ऊर्जा संयंत्र

    यह आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना को दर्शाता है। रूसी सहायता से तमिलनाडु के कुडनकुलम में 1,000 मेगावाट के चार परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाए जा रहे हैं। चार 700 मेगावाट के घरेलू निर्मित पीएचडब्ल्यूआर राजस्थान में रावतभाटा (आरएपीएस-7 और 8) और हरियाणा में गोरखपुर (जीएचएवीपी-1 और 2) में बन रहे हैं।

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