अयोध्या-काशी और उज्जैन में भारी भीड़, अमृतसर में होटल फुल... साल के अंतिम हफ्ते में हर जगह श्रद्धालुओं का तांता
वर्ष के अंतिम दिनों में देशभर के प्रमुख तीर्थस्थलों पर श्रद्धालुओं का भारी सैलाब उमड़ पड़ा है। अयोध्या, काशी, उज्जैन, वृंदावन, अमृतसर और वैष्णो देवी ध ...और पढ़ें

नववर्ष का स्वागत लोग आस्था और विश्वास के साथ करना चाहते हैं (फोटो: पीटीआई)
जागरण टीम, नई दिल्ली। देशभर के प्रमुख तीर्थस्थलों पर वर्ष के अंतिम दिनों में आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ पड़ा है, जिसने सड़कों, गलियों, घाटों और मंदिर परिसरों को भक्ति के रंग में रंग दिया है। अयोध्या में राम मंदिर, वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर, काशी में बाबा विश्वनाथ, उज्जैन में महाकाल, अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब से लेकर जम्मू में माता वैष्णो देवी धाम तक-हर ओर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें यह दर्शा रही हैं कि नववर्ष का स्वागत लोग आस्था और विश्वास के साथ करना चाहते हैं।
अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए वर्ष के अंतिम सप्ताह में ही भारी भीड़ उमड़ रही है। प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। वर्ष के अंतिम दिन और प्रतिष्ठा द्वादशी के अवसर पर बुधवार को दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। अभी स्थिति यह है कि सुबह से देर रात तक दर्शनार्थियों की करीब दो किलोमीटर तक लंबी कतारें बनी रहती हैं और प्रशासन ने भी उसी अनुरूप व्यवस्थाएं की हैं।
अयोध्या में जुट रही भीड़
अयोध्या में यह दृश्य यह संकेत देता है कि राम मंदिर अब केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आस्था का प्रतीक बन चुका है। काशी में नववर्ष से पहले ही हालात असाधारण हो गए हैं। बीते तीन दिनों में 11 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं। अनुमान है कि वर्ष के अंतिम दिन यह संख्या छह लाख से अधिक और नववर्ष के दिन नौ से 10 लाख तक पहुंच सकती है। गलियां, घाट, होटल और धर्मशालाएं पूरी तरह भरी हुई हैं।
मंदिर प्रशासन ने महाकुंभ और सावन जैसी भीड़ प्रबंधन योजना लागू की है। स्पर्श दर्शन पर अस्थायी रोक, जिग-जैग बैरीकेडिंग और अलग प्रवेश-निकास द्वार-ये सब व्यवस्थाएं इस बात का प्रमाण हैं कि श्रद्धा का प्रवाह अपने चरम पर है।वृंदावन में ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन के लिए हालात और भी चुनौतीपूर्ण हैं। यहां सप्ताहांत में प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जबकि वर्ष के अंतिम दो दिनों में चार से पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।ॉ
उज्जैन में भी उमड़े श्रद्धालु
प्रशासन ने दो जनवरी तक बाहरी वाहनों का शहर में प्रवेश बंद कर दिया है और दर्शन को कतारबद्ध कराने के लिए रेलिंग की व्यवस्था की जा रही है। यह भीड़ केवल संख्या नहीं, बल्कि उस भाव का प्रतीक है, जिसमें लोग नववर्ष की शुरुआत श्रीकृष्ण की शरण में करना चाहते हैं। उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं का रेला लगा हुआ है। वर्ष के अंतिम दिनों में भस्म आरती से लेकर सामान्य दर्शन तक भक्तों की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है। ठंड के बावजूद आस्था की गर्माहट यहां स्पष्ट महसूस की जा सकती है।
अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब, जलियांवाला बाग और दुग्र्याणा तीर्थ में प्रतिदिन एक लाख से अधिक पर्यटक पहुंच रहे हैं। नववर्ष पर यह संख्या दो लाख से अधिक होने की संभावना है। शहर के लगभग 900 होटल और 65 सराय पूरी तरह फुल हैं। कड़ाके की ठंड में भी परिक्रमा में लगी लंबी कतारें यह दिखाती हैं कि श्रद्धा किसी मौसम की मोहताज नहीं होती। माता वैष्णो देवी धाम में भी नववर्ष की शुरुआत मां के दर्शन से करने की चाह लिए देशभर से श्रद्धालु कटड़ा पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन 25 से 30 हजार की संख्या अब 40 से 45 हजार तक पहुंचने की संभावना है।
सुरक्षा और दर्शन की पुख्ता व्यवस्थाएं की गई हैं। कुल मिलाकर, वर्ष के अंतिम दिनों में देशभर के तीर्थस्थलों पर उमड़ रही यह भीड़ केवल यात्रा नहीं, बल्कि एक साझा भावना की अभिव्यक्ति है। इसमें आस्था, उम्मीद और नववर्ष के लिए सकारात्मक संकल्प नजर आ रहा है। यह ²श्य बताता है कि भारत का आत्मा आज भी मंदिरों, घाटों और तीर्थों में धड़कता है, जहां प्रत्येक चेहरा विश्वास से चमकता और हर कदम श्रद्धा से भरा हुआ है।

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