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    UNSC में सुधार के लिए भारत की कोशिशें तेज, स्थाई सदस्यता के लिए दावा कर रहे देशों का किया समर्थन

    By Jagran NewsEdited By: Amit Singh
    Updated: Fri, 18 Nov 2022 07:04 PM (IST)

    यूएनएससी में अस्थाई सदस्य के तौर पर भारत का कार्यकाल अगले महीने खत्म हो जाएगा। गुरुवार को यूएनएससी में भारत ने एक बार फिर सुरक्षा परिषद को नये वैश्विक माहौल के मुताबिक बदलने की अपनी मांग को जोरदार तरीके से रखा।

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    सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत की कोशिशें तेज

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अस्थाई सदस्य के तौर पर भारत का कार्यकाल अगले महीने खत्म हो जाएगा, लेकिन इस बीच सुरक्षा परिषद में बदलाव की कोशिशें तेज कर दी है। गुरुवार को यूएनएससी में भारत ने एक बार सुरक्षा परिषद को नये वैश्विक माहौल के मुताबिक बदलने की अपनी मांग को जोरदार तरीके से रखा। भारत ने जोर देकर कहा कि यूएनएससी में सुधार की प्रक्रिया को जितना लटकाया जाएगा, इसके प्रतिनिधित्व के प्रति लोगों का भरोसा उतना ही कम होगा। यह बात भारत की यूएन में प्रतिनिधि रूचिरा काम्बोज ने अपने भाषण में कही।

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    एक दूसरे की दावेदारी के समर्थन में चारों देश

    एक महत्वपूर्ण बात यह रही है कि भारत की तरफ से यह उद्बोधन उन चार देशों की तरफ से दिया गया जो संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए एक साथ कोशिश कर रहे हैं। ये देश हैं भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील। इन्हें समूह-4 का नाम दिया गया है और सितंबर, 2022 में न्यूयार्क में ही इनके विदेश मंत्रियों की बैठक भी हुई थी। ये चारों देश एक दूसरे की दावेदारी की समर्थन करते हैं। गुरूवार को हुई इस बैठक में ब्रिटेन की यूएन में राजदूत बारबरा वूडवार्ड ने भारत समेत इन चारों देशों की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य बनने की दावेदारी का समर्थन किया।

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    मौजूदा ढांचे में बदलाव की मांग का समर्थन

    सितंबर, 2022 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत दूसरे दर्जनों देशों ने नेताओं संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा ढांचे को बदलने की मांग का समर्थन किया था। यूएनएससी में सुधार पर आयोजित इस सालाना बैठक में भारतीय राजदूत काम्बोज ने कहा है कि, हमें यह याद रखना चाहिए इस साल यूएन की महासभा में 70 देशों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग करते हुए इसे प्राथमिकता के तौर पर लेने की बात कही है। इस साफ है कि सुरक्षा परिषद को बदलते वैश्विक परिवेश के मुताबिक बनाने की मांग को बहुत बड़ा समर्थन हासिल है। इसे जितने लंबे समय तक लंबित रखा जाएगा, इसके प्रतिनिधित्व के प्रति लोगों का भरोसा उतना ही कम होता जाएगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक हालात बहुत ही चुनौतीपूर्ण व दुरूह हो गये हैं और परिषद को इसके लिए तैयार करना होगा। यह काम इसमें बदलाव के जरिए ही किया जा सकता है।

    ब्रिटेन ने भी दावेदारी का किया समर्थन

    बाद में ब्रिटेन की राजदूत वूडवर्ड ने साफ तौर पर कहा कि उनका देश भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील की तरफ से स्थाई सदस्य बनने की दावेदारी का समर्थन करता है। उन्होंने अफ्रीकी देशों को भी इसमें प्रतिनिधित्व देने का समर्थन किया। अमेरिका भी भारत के रुख का समर्थन करता है। गुरुवार की बैठक में भी अमेरिका की यूएन में राजदूत लिंडा-थामस ग्रीनफील्ड ने कहा कि, हमारे पास आज यह सवाल है कि हमें पुराने पड़ चुके व्यवस्था को ही जारी रखना है या इसमें सुधार करना है जो 21 वीं सदी की हकीकत के मुताबिक हो। हमें आगे बढ़ना चाहिए और इसमें आवश्यक सुधार को लागू करना चाहिए।

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