'आपका रिकॉर्ड बहुत खराब', अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी को लेकर भारत का पाकिस्तान को करारा जवाब
भारत ने दिल्ली में क्रिसमस के दौरान तोड़फोड़ पर पाकिस्तान की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अल्पसं ...और पढ़ें

भारत का पाकिस्तान को करारा जवाब। (सोशल मीडिया)
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में क्रिसमस के दौरान भारत में तोड़फोड़ पर पाकिस्तान की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि जब अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव की बात आती है तो पाकिस्तान का रिकॉर्ड बहुत ही खराब है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम उस देश की इन टिप्पणियों को खारिज करते हैं जिसका इस मामले में बहुत खराब रिकॉर्डव खुद सब कुछ कहता है।
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का सिस्टमैटिक उत्पीड़न- जयसवाल
रणधीर जयसवाल ने पत्रकारों के जवाब में कहा कि पाकिस्तान द्वारा अलग-अलग धर्मों के अल्पसंख्यकों का भयानक और सिस्टमैटिक उत्पीड़न एक जानी-मानी सच्चाई है। कितने भी आरोप-प्रत्यारोप से आप से आप इसे छिपा नहीं पाएंगे।
पाकिस्तान ने भारत पर लगाए थे आरोप
बता दें कि आज, पाकिस्तान ने क्रिसमस के दौ रान में भारत में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं का मुद्दा उठाया था और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा पर चिंता जताई थी। इस्लामाबाद से जारी एक बयान में कहा गया था, "भारत में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न गहरी चिंता का विषय है।"
बयान में आगे कहा गया, "क्रिसमस के दौरान तोड़फोड़ की हाल की निंदनीय घटनाओं, साथ ही मुसलमानों को निशाना बनाने वाले सरकारी अभियानों जिनमें उनका घर गिराना और बार-बार लिंचिंग शामिल है। इसने मुसलमानों के बीच डर और अलगाव को और बढ़ा दिया है।"
अमेरिकी सीनेटर ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जताई चिंता
आपको बता दें कि पिछले महीने अमेरिकी सीनेटर जिम रिश ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले व्यवहार पर चिंता जताई थी। यह चिंता पाकिस्तान की टॉप मानवाधिकार संस्था की एक रिपोर्ट के बाद जताई गई थी, जिसमें कहा गया था कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में खतरनाक बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन और कम उम्र में शादी का भी जिक्र किया गया था।
भारत ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों जिनमें,हिंदुओं, सिखों और अन्य के साथ होने वाले बर्ताव का मुद्दा उठाया है। उसने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भी यह मुद्दा उठाया था।

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