तांबा, जस्ता, सोना और चांदी... हिंद महासागर में खजाना ढूंढने के लिए भारत ने किया ये समझौता
भारत ने हिंद महासागर में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड की खोज के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण के साथ 15 साल का अनुबंध किया है। यह अनुबंध तांबा जस्ता सोना और चांदी जैसी धातुओं की खोज में मदद करेगा जो स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए महत्वपूर्ण हैं। जितेंद्र सिंह ने कहा कि इससे देश की समुद्री और खनिज क्षमताओं में वृद्धि होगी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने हिंद महासागर में पॉलीमेटेलिक सल्फाइड के अन्वेषण के लिए विशेष अधिकार के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण के साथ 15 वर्ष के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
पॉलीमेटेलिक सल्फाइड समुद्र तल पर हाइड्रोथर्मल वेंट के आसपास बनते हैं। इसमें तांबा, जस्ता, सोना और चांदी जैसी धातुओं की उच्च सांद्रता होती है, जो स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य उच्च-तकनीकी अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक हैं।
जितेंद्र सिंह ने क्या कहा?
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इन समझौतों से देश की समुद्री और खनिज अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारत पालीमेटेलिक सल्फाइड के लिए दो आईएसए अनुबंध प्राप्त करने वाला पहला देश है। संयुक्त राष्ट्र निकाय के साथ पहले हुए एक समझौते में मध्य और दक्षिण-पश्चिम भारतीय रिज शामिल थे।
एक बयान में कहा गया है कि देश के पास अब इन गहरे समुद्र के खनिज भंडारों के लिए आईएसए द्वारा आवंटित सबसे बड़ा अन्वेषण क्षेत्र है। एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रशांत महासागर में अन्वेषण लाइसेंस भी प्राप्त करने की मांग कर रहा है।
(न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)
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