IND-PAK Relation : इतिहास के वो पल जब भारत के भरोसे का पाकिस्तान ने किया कत्ल, बनते हुए रिश्ते कई बार बिगड़े
India-Pakistan Relation भारत और पाकिस्तान पड़ोसी देश है लेकिन बावजूद इसके दोनों देशों के रिश्ते 1947 से ही कड़वाहट भरे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि दोनों देशों ने हमेशा से एक दूसरे से सिर्फ बैर रखा है। बल्कि सच्चाई तो यह है कि भारत ने कई बार पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया लेकिन अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान ने हमेशा विश्वासघात किया।

नई दिल्ली, आशिषा सिंह राजपूत। India-Pakistan Relation: पाकिस्तान के इन दिनों हालात खस्ता हैं। महंगाई और आर्थिक तंगी की दोहरी मार झेल रहे देश में कोहराम मचा हुआ है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कई सालों से लगातार गिरती जा रही है। इसकी वजह से गरीब वर्ग के लोगों पर भी काफी दबाव है। उनके लिए अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों के लिए गुजारा करना लगभग असंभव हो गया है।
पाकिस्तान की मुसीबतें कई गुना बढ़ीं
पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ के बाद देश की मुसीबतें कई गुना बढ़ गई हैं। देशवासी आज का समय भले ही जैसे-तैसे काट रहे हैं, लेकिन उनके मन में भविष्य की चिंता घर किए हुए हैं। अर्थव्यवस्था की बदहाली के बीच पाकिस्तान में भुखमरी की भी समस्या बढ़ गई है।
भारत और पाकिस्तान पड़ोसी देश है लेकिन बावजूद इसके दोनों देशों के रिश्ते 1947 से ही कड़वाहट भरे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि दोनों देशों ने हमेशा से एक दूसरे से सिर्फ बैर रखा है। बल्कि सच्चाई तो यह है कि भारत ने कई बार पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान ने हमेशा विश्वासघात किया।
पाकिस्तान ने कई बार किया भारत पर हमला
कुछ मौकों पर तो पाकिस्तान ने घिनौनी और जानलेवा हरकतों को भी अंजाम दिया, जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया। वहीं, कश्मीर को लेकर दोनों ही देश एक दूसरे के शुरू से खिलाफ खड़े हैं। पाकिस्तान की तरफ से कई बार भारत पर हमला कर इसे हड़पने की भी कोशिश की गई हालांकि, वे इसमें नाकाम रहे। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार बार लड़ाईयां हो चुकी हैं। पहली लड़ाई 1947, दूसरी लड़ाई 1965, तीसरी लड़ाई 1971 और 1999 में चौथी लड़ाई करगिल वॉर के रूप में लड़ी गई थी।
पाकिस्तान के पीएम ने वार्ता की पेशकश
बुरे हालातों से जूझते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में सीधे तौर पर भारत से बातचीत की पेशकश की है। इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम शरीफ ने कहा कि पड़ोसी देश (भारत) बातचीत के लिए गंभीर हो तो उनकी सरकार उससे हर मुद्दे पर वार्ता को करने तैयार है।
क्या कहा पीएम शहबाज शरीफ ने?
- पीएम शरीफ ने कहा कि, 'पाकिस्तान हर देश से बात करना चाहता है। हम किसी के भी खिलाफ नहीं है। हमें अपने मुल्क को बनाना है। हम अपने पड़ोसी देश के साथ भी हर मुद्दे पर बात करने को तैयार हैं बशर्ते वह भी गंभीरता से आगे आये। क्योंकि अब युद्ध कोई विकल्प नहीं है।''
- आगे पीएम शहबाज ने भारत व पाकिस्तान के परमाणु शक्ति होने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि, ''पाकिस्तान अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियार रखे हुए है। हमारे बीच पिछले 75 वर्षों में तीन युद्ध हो चुके हैं। मैं इमानदारी से बताता हूं कि इससे गरीबी व बेरोजगारी बढ़ी है और आम जनता की भलाई के लिए, शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए कम फंड कम बचे हैं।''
आपको बता दें कि पिछले वर्ष सत्ता में आने के बाद यह दूसरा मौका है जब पीएम शहबाज शरीफ ने भारत के साथ बातचीत की पेशकश की है। हालांकि, पूर्व में वह वार्ता की बात करने के बाद वह मुकर गए थे।
भारत ने कई बार की बातचीत कर मधुर संबंध बनाने की कोशिश
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों ने कई बार आपसी दुश्मनी, मनभेद और मतभेत को दूर करने की कोशिश की। भारत की तरफ से लगातर कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान से मधुर संबंध बनाए जाने के प्रयास किए जाते रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान की सरकार के साथ भारत हमेशा एक साकारात्मक रवैया अपनाते हुए बात करना चाहा, लेकिन वहां के कट्टरपंथी संगठनों और वहां के सैन्य दबाव के चलते दोनों देशों के बीच खटास बरकरार रही और पाकिस्तान ने हमेशा भारत की पीठ में छुरा घोंपा।
पूर्व प्रधानमंत्री वाजयेपी के बिखेरे दोस्ती के रंग में पाक ने मिलाया भंग
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए फरवरी 1999 में दो दिवसीय दौरे पर लाहौर बस यात्रा की। अपनी यात्रा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात। इस दौरान दोनों देशों के बीच लाहौर घोषणापत्र का भी ऐलान हुआ,लेकिन पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ के नापाक मंसूबों ने इस पर पानी फेर दिया।
वाजपेयी ने इसका एक बार जिक्र करने हुए कहा था कि लाहौर के बाद भारत को कारगिल युद्ध का तोहफा मिला। वहीं, काठमांडू से भारतीय एयलाइंस के विमान को हाइजैक कर लिया गया। यही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने मुशर्रफ को आगरा बुलाया और उन्होंने हमें जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले के साथ ही साथ संसद पर हमले का उपहार दिया।
1999 में हुआ करगिल युद्द
26 जुलाई, 1999 का यह दिन हर भारतीय की जहन में होगा। इस दिन भारतीय सेना ने अदम्य साहस और अपने शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान को कारगिल की लड़ाई में हराया था। लेकिन यह वह युद्ध था, जिसने पाकिस्तान की नियत स्पष्ट कर दी कि वह भारत को सिर्फ अपना दुश्मन मानता है। भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में करगिल को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। एक तरफ तत्लानी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरफ लाहौर बस यात्रा कर रिश्ते सामान्य बनाने की कोशिश की गई तो वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान ने भारत की पीठ में खंजर डाल दिया।
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है। इस लड़ाई बल और सम्मान की थी। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत-पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया था। पाकिस्तान ने दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए दस्तावेजों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना पूरी तरह से इस युद्ध में शामिल थी।
संसद पर हमला कर पाक ने की बेशर्मी की हदे पार
3 दिसंबर 2001 में पाकिस्तान ने बेशर्मी की हदे पार करते हुए भारतीय संसद पर हमला कर बोला, जिसके बाद दोनों देशों के बनते रिश्तों में ऐसी कड़वाहट आई कि दोनों तरफ से सीमा पर करीब दस लाख सेनाओं को तैनात कर दिया गया। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकवादियों ने किया था। हालांकि भारत के सुरक्षाबलों ने आतंकियों को इस हमले में मार गिराया था। इस हमले में 6 पुलिसकर्मी और 3 संसद भवन कर्मी मारे गए थे, जबकि 15 घायल भी हुए थे।
भारतीय दूतावास पर हमले ने दोनों देशो के रिश्ते में घोला जहर
फरवरी 2005 में भारत के प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तान के प्रशासित कश्मीर के बीच बस सेवा की शुरूआत की गई थी, लेकिन जुलाई 2008 में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भारतीय दूतावास पर एक चरमपंथी हमला हुआ। भारत ने इसके लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की जिम्मेदार ठहराया और एक बार फिर दोनों देशों के रिश्ते में जहर घुल गया।
मुंबई हमले के बाद नजरों से गिरा पाकिस्तान
26 नवंबर 2008 को मुंबई हमला हुआ, जिसमें करीब 166 लोगों की मौत हो गई। इस आतंकी हमले ने पुरे देश को हिलाकर रख दिया। भारत ने इसके लिए जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद को जिम्मेदार ठहराते हुए पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कठघड़े में खड़ा करने की कोशिश की। फरवरी 2009 में अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान ने मुंबई हमले की जांच शुरू की।
यह पहला मौका था जब पाकिस्तान ने माना का मुंबई हमले की साचिश उसी के द्वारा रची गई थी। इस बात का भारत की तरफ से स्वागत किया गया, जिसके बाद जून 2009 में तत्कालीन भारतीय पीएम मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बीच शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन(एससीओ) की बैठक के दौरान मुलाकात हुई।
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