क्या है भारत का सीड ऑपरेशन, जिससे खौफ में हैं पाकिस्तानी, पढ़िए पूरी डिटेल्स
भारत ने पाकिस्तान के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला किया जिसे सीड ऑपरेशन कहा जाता है। इसका उद्देश्य दुश्मन के एयर डिफेंस को नष्ट करना है ताकि भारतीय लड़ाकू विमान सुरक्षित रूप से हमला कर सकें। अमेरिका को सीड ऑपरेशन का अनुभव है। भारत ने लाहौर में पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह करके अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।

जागरण डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार की सुबह पाकिस्तान के अलग-अगल शहरों में उसके रडार और एयर डिफेंस सिस्टम पर हमला किया। सेना की भाषा में इसे सीड (एसईएडी) ऑपरेशन कहा जाता है। आइये जानते हैं क्या है सीड ऑपरेशन और सबसे पहले किसने इसका उपयोग किया था?
क्या है सीड यानी सप्रेशन ऑफ एनीमे एयर डिफेंस
इसका मतलब है हमला करके दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर देना जिससे भारत के लड़ाकू विमान पाकिस्तान में अंदर घुस कर हमला कर सकें और पाकिस्तान उन पर हमला न कर सके। कई बार इसे डेड (डीईएडी) यानी डिस्ट्रक्शन आफ इनेमी एयर डिफेंसेज भी कहा जाता है। अमेरिका को सीड ऑपरेशन चलाने का काफी अनुभव है।
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मिसाइलों के खतरे से निपटना सीड ऑपरेशन का सबसे अहम लक्ष्य होता है सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एसएमएम) के खतरे को खत्म करना। जब यह खतरा कम हो जाता है लड़ाकू विमान आसानी से दुश्मन के क्षेत्र में घुस कर मनचाही जगह पर हमला कर सकते हैं। सीड का इतिहास द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की वायु सेना ने लड़ाकू विमान के जरिये दुश्मन के एयर डिफेंस का पता लगाने और उसे नष्ट करने का पहला प्रयास किया था।
लड़ाई के दौरान रडार, संचार, कमांड सेंटर और एयर डिफेंस को एक सिस्टम में एकीकृत करने में अपनी सफलता हासिल करने के बाद ब्रिटेन ने जर्मनी का इसी तरह का सिस्टम खोजने और उन्हें हराने के लिए यह रणनीति अपनाई। ऐसे बदला सीड अभियानों का स्वरूप वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका की वायुसेना ने सीड ऑपरेशन चलाया था।
अमेरिकी की वायुसेना को ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि वियतनाम की सेना ने सोवियत रूस में बने एस ए 2 गाइडलाइन मिसाइल पर आधारित एक प्रभावी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम स्थापित कर लिया था। उस समय अमेरिकी की वायुसेना को इस खतरे को खत्म करने के लिए कई तरह के नए हथियारों और इलेक्ट्रानिक वारफेयर उपकरणों का इस्तेमाल किया।
एयर डिफेंस सिस्टम तबाह करने की क्षमता
इसे आधुनिक सीड अभियानों के लिहाज से अहम घटनाक्रम माना जाता है। वियतनाम युद्ध के बाद के दौर में एडवांस एंटी रेडिएशन मिसाइलों, विशेष इलेक्ट्रानिक युद्धक उपकरणों और सीड अभियानों के लिए नई हवाई रणनीति का विकास और उपयोग देखा गया। इसके जवाब में कई स्तरों वाले इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्टम भी तैयार किए गए। भारत का सीड अभियान भारत ने लाहौर में पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम तबाह करके सीड अभियान की अपनी क्षमता दिखाई है।
भारत के पास पाकिस्तान में ऐसे स्थानों पर हमला करने की क्षमता है एसएएम को तैनात किया गया है। ऐसा करके भारत पूर्ण युद्ध में एयर सुपीरियारटी हासिल कर सकता है। सीड अभियानों के लिए आम तौर पर हवा से जमीन में मार करने वाली एंटी रेडिएशन मिसाइलों की जरूरत होती है। ये मिसाइलें रडार सिग्नल को पकड़ कर उन जगहों पर हमला करती हैं जहां दुश्मन की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात रहती हैं। इलेट्रानिक वारफेयर एयरक्राफ्ट भी रडार सिग्नल को जाम करके एसएएम आपरेटर्स को नकारा बना सकते हैं। इसके बाद मिसाइल लांच की जाती है।
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