भारत ने आधिकारिक तौर पर शुरू की G-20 देशों की अध्यक्षता, निर्णायक और सहयोगात्मक तरीके से होगा आयोजन
भारत ने आधिकारिक तौर पर जी-20 देशों की अध्यक्षता की शुरुआत कर दी है। इसका आरंभ गुरुवार को जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम से हुआ है और समापन 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में आर्थिक दृष्टिकोण से दुनिया के शीर्ष 20 देशों के प्रमुखों की बैठक के साथ होगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: एक दिसंबर, 2022 को भारत ने आधिकारिक तौर पर जी-20 देशों की अध्यक्षता की शुरुआत कर दी है। इसका आरंभ गुरुवार को जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम से हुआ है और समापन 9-10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आर्थिक दृष्टिकोण से दुनिया के शीर्ष 20 देशों के प्रमुखों की बैठक के साथ होगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले दिन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत इस समूह की अध्यक्षता आपसी विमर्श, सहयोग और निर्णायक तरीके से करेगा ताकि विश्व के समक्ष मौजूदा चुनौतियों का हल निकालने में मदद हो।
विश्व करता है भारत पर भरोसा
जयशंकर ने कहा कि एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देश भारत पर भरोसा करते हैं कि हम उनकी आवाज उठाएंगे और भारत अपनी भूमिका निभाने को इच्छुक है। देश के 75 विश्वविद्यालयों को जोड़े हुए यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि इस समूह की अध्यक्षता भारत के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। भारत इस जिम्मेदारी को अपने तरीके से निभाएगा। भारत ने बेहद महत्वपूर्ण समय में इस संगठन की अध्यक्षता संभाली है। पिछले तीन वर्षों से कोविड महामारी का काफी आर्थिक व सामाजिक दुष्प्रभाव हम देख रहे हैं। विकासशील देशों की आर्थिक स्थिति खराब हुई है। विकासशील व विकसित देशों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अंतर बढ़ रहा है। यूक्रेन विवाद का असर भी दिख रहा है। ऐसे में यह जरूर है कि वैश्विक नेता सही मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित रखें।
ऊर्जा सुरक्षा व खाद्य सुरक्षा प्रमुख वरीयताएं
विदेश मंत्री ने ऊर्जा सुरक्षा व खाद्य सुरक्षा को दो प्रमुख वरीयताओं के तौर पर गिनाया। इसके अलावा पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज से जीवन स्तर में बदलाव करने संबंधी स्लोगन लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट) को विश्वव्यापी बनाने के लिए काम करेगा। भारत इस बारे में समग्र तौर पर कदम उठाने में विश्वास करता है और अपनी अध्यक्षता के तौर पर इसकी कोशिश करेगा। विदेश मंत्री ने बाली शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से यह युद्ध का युग नहीं है वाले बयान का भी जिक्र किया और कहा कि सिर्फ बातचीत व कूटनीति से ही मौजूदा समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। भारत की कोशिश होगी कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के बीच हर मुद्दे पर इमानदार बहस हो और इसमें विकासशील व गरीब देशों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाए।
जी-20 का आयोजन गौरवशाली क्षण
भारत के 50 शहरों से ज्यादा शहरों में दो सौ से ज्यादा कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए जयशंकर ने बताया कि पूरे कार्यक्रम के दौरान ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव पी के मिश्रा ने भारत की अध्यक्षता में जी-20 के आयोजन को देश के इतिहास में एक गौरवशाली क्षण के तौर पर चिन्हित किया है और कहा है कि इस आयोजन में केंद्र के हर विभाग, मंत्रालय के अलावा हर राज्य व हर नागरिक की भूमिका होगी। हमारे पास यह अवसर है कि हम दुनिया के समक्ष अपनी विविधता से परिपूर्ण इतिहास व संस्कृति को पेश करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वो अपने बेहतरीन छात्रों का चयन करें जो जी-20 आयोजनों को सफल बनाने में मदद करेंगे।
कई देशों को किया गया आमंत्रित
बताते चलें कि इस आयोजन में 20 देशों के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, नीदरलैंड, यूएई, ओमान, नाइजीरिया, सिंगापुर, स्पेन, मिस्त्र को बतौर मेहमान राष्ट्र के तौर पर आमंत्रित किया है। ये देश जी-20 से जुड़ी हर बैठक में हिस्सा लेंगे। बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि पहले दिन देश के सौ से ज्यादा ऐतिहासिक स्मारकों को विशेष तौर पर प्रकाशमान किया जा रहा है। साथ ही नागालैंड की राजधानी कोहिमा में आयोजित होने वाले होर्नबिल समारोह को जी-20 के शुभारंभ से जोड़ा गया है। अलग अलग कार्यक्रमों के जरिए विश्वविद्यालयों व स्कूलों को आने वाले महीनों में जोड़ा जाएगा। सरकार इस आयोजन को सिर्फ सरकारी आयोजन नहीं बनाना चाहती बल्कि इसे आम भारतीय के कार्यक्रम के तौर पर आगे बढ़ाने की सोच है।
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