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    LR-LACM Missile: पाकिस्तान के दोस्त की अब खैर नहीं! भारत और ग्रीस के 'चक्रव्यहू' में कैसे फंसा तुर्किये?

    भारत की ओर से ग्रीस को लंबी दूरी की एलआर-एलएसीएम मिसाइल देने की कथित पेशकश से तुर्की चिंतित है। यह मिसाइल जिसकी मारक क्षमता 1500 किलोमीटर है तुर्की के अहम ठिकानों को निशाना बना सकती है। तुर्की मीडिया के अनुसार भारत ने यह पेशकश एथेंस में DEFEA-2025 डिफेंस एक्सपो के दौरान की थी। तुर्की को डर है कि भारत का यह कदम पाकिस्तान को समर्थन देने के जवाब में है।

    By Digital Desk Edited By: Chandan Kumar Updated: Tue, 08 Jul 2025 05:19 PM (IST)
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    भारत और तुर्किये के बीच रिश्ते अब तक के सबसे खराब स्तर पर पहुंच चुकी है। जागरण

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने तुर्किये की नींद उड़ा दी है। खबर है कि भारत ने अपनी खतरनाक लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LR-LACM) ग्रीस को देने की पेशकश की है। ये मिसाइल भारत की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने बनाई है, जिसकी मारक क्षमता 1,500 किलोमीटर तक है।

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    तुर्किये के मीडिया ने इस खबर पर हंगामा मचा दिया है, क्योंकि ग्रीस और तुर्किये के बीच समुद्री सीमा और साइप्रस को लेकर पुराना विवाद है। अगर ग्रीस को ये मिसाइल मिली, तो तुर्किये के अहम ठिकाने, जैसे एयरबेस और रडार सिस्टम इसके निशाने पर आ सकते हैं।

    तुर्किये के न्यूज चैनल TR Haber ने दावा किया है कि भारत ने मई 2025 में एथेंस में हुई DEFEA-2025 डिफेंस एक्सपो के दौरान ग्रीस को ये मिसाइल ऑफर की। हालांकि, न तो भारत और न ही ग्रीस ने इस डील पर कोई आधिकारिक बयान दिया है। फिर भी, खामोशी के पीछे गुपचुप बातचीत की अटकलें तेज हैं।

    तुर्किये को लगता है कि भारत ये कदम उसकी पाकिस्तान की मदद के जवाब में उठा रहा है, खासकर मई 2025 के भारत-पाकिस्तान टकराव, ऑपरेशन सिंदूर, के दौरान तुर्किये ने पाकिस्तान को ड्रोन और हथियार दिए थे।

    LR-LACM मिसाइल की क्या-क्या हैं खूबियां?

    LR-LACM एक सबसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो DRDO के निर्भय मिसाइल प्रोजेक्ट का उन्नत वर्जन है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसका 1,500 किलोमीटर का रेंज, जिससे ये दुश्मन के इलाके में गहरे ठिकानों को निशाना बना सकती है।

    ये मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जा सकती है। इसका मैनिक टर्बोफैन इंजन इसे रडार से बचने की ताकत देता है, क्योंकि ये जमीन के करीब उड़ान भरती है और जटिल रास्तों से टारगेट तक पहुंचती है।

    DEFEA-2025 में इस मिसाइल ने ग्रीक अधिकारियों का ध्यान खींचा, जहां इसे अमेरिका की टॉमहॉक और रूस की कैलिबर मिसाइलों से भी बेहतर बताया गया।

    द वीक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अपने दोस्त देशों के साथ इस मिसाइल को मिलकर बनाने की भी पेशकश की, जिससे ग्रीस की दिलचस्पी और बढ़ी। भारतीय नौसेना के 30 जंगी जहाजों पर इसका नौसैनिक वर्जन, जिसका रेंज 1,000 किलोमीटर है, पहले से तैनात है। ये मिसाइल रडार सिस्टम, एयर डिफेंस इंस्टॉलेशन और सैन्य ठिकानों को सटीक निशाना बनाने में माहिर है।

    भारत-ग्रीस की दोस्ती से तुर्किये की बेचैनी बढ़ी

    भारत और ग्रीस के बीच सैन्य सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास और बड़े स्तर पर सैन्य आदान-प्रदान कर रहे हैं। हाल ही में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एथेंस का दौरा किया, जहां उन्होंने ग्रीक वायुसेना के साथ राफेल जेट्स के इस्तेमाल पर चर्चा की।

    तुर्किये को डर है कि ग्रीस इस मिसाइल से उसके इजमिर और चनक्काले जैसे एयरबेस, तटीय रडार और यहां तक कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बना सकता है।

    तुर्किये की चिंता इसलिए भी बढ़ी है, क्योंकि भारत और तुर्किये के रिश्ते ऑपरेशन सिंदूर के बाद तनावपूर्ण हो गए हैं। तुर्किये ने पाकिस्तान को ड्रोन, सैन्य सलाहकार और युद्धपोत दिए। अब भारत ग्रीस को हथियार देकर तुर्किये को उसी अंदाज में जवाब दे रहा है। तुर्किये की मीडिया इसे भारत का 'बदला' बता रही है। अगर ग्रीस को LR-LACM मिली, तो पूर्वी भूमध्य सागर में सैन्य संतुलन बदल सकता है।

    कैसे विकसित हुआ LR-LACM?

    LR-LACM का विकास 2020 में डिफेंस एक्सपो में शुरू हुआ था। भारतीय नौसेना और वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर DRDO ने इसे बनाया। ये मिसाइल निर्भय प्रोजेक्ट का हिस्सा है और इसमें ज्यादातर स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। हालांकि कुछ सेंसर और रिंग लेजर जायरो स्वदेशी नहीं हैं। 2 जुलाई 2020 को डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने इसे खरीदने की मंजूरी दी थी।

    ये मिसाइल जमीन से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर और जहाजों से यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल (UVLM) के जरिए दागी जा सकती है।

    UVLM को ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने बनाया है और ये भारतीय नौसेना के 30 जहाजों पर पहले से मौजूद है। मिसाइल का पहला टेस्ट 12 नवंबर 2024 को ओडिशा के चांदीपुर में हुआ, जिसमें इसने सभी लक्ष्य पूरे किए। DRDO ने इसके लिए 20 टेस्ट उड़ानों की योजना बनाई है।

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