भारत की भूमि स्वामित्व योजना के कायल हुए कई बड़े देश, 22 देशों के प्रतिनिधि भारत से सीखने आ रहे ये गुर
भारत की स्वामित्व योजना भूमि विवादों को सुलझाने में मददगार साबित हो रही है। इस योजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण और भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण ने कई विकासशील देशों का ध्यान आकर्षित किया है। अफ्रीका लेटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के 22 देशों के अधिकारी भारत की तकनीकों से सीख ले रहे हैं। लिबेरिया सिएरा लियोन और टोगो सहित कई देशों नेभारत की नीतियों को अपनाने में रुचि दिखाई है।

जितेंद्र शर्मा, जागरण नई दिल्ली। भूमि के स्वामित्व की चुनौती सिर्फ भारत के सामने ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई विकासशील देशों के सामने यही संकट है। लिबेरिया, सिएरा लियोन और टोगो जैसे कई देश हैं, जो इस मामले में भूमि स्वामित्व के पुराने ढर्रे, भ्रष्टाचार व राजनीतिक हस्तक्षेप जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं और अब उन्हें भारत की स्वामित्व योजना में समाधान दिखाई दे रहा है।
यह तथ्य कई बार सामने आ चुका है कि न्यायपालिका पर एक बहुत बड़ा बोझ भूमि विवाद के मुकदमों का भी है। चुनौती बड़ी है, लेकिन इससे निपटने की दिशा में भारत सरकार ने भूमि दस्तावेजों के डिजिटलीकरण और सेटेलाइट सर्वे जैसे कदम उठाए हैं। खास तौर पर पंचायती राज मंत्रालय की स्वामित्व योजना कारगर साबित हो रही है।
भूमि प्रशासन को लेकर आयोजित कार्यशाला
पंचायती राज मंत्रालय और विदेश मंत्रालय द्वारा ''भूमि प्रशासन'' पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में शामिल होने के लिए अफ्रीका, लेटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के 22 देशों के 44 वरिष्ठ अधिकारी आए हैं। कार्यशाला के कुल छह दिन हैं।
गुरुग्राम स्थित हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में दो दिन के अकादमिक सत्रों में वह भारत की स्वामित्व योजना के बारे में जान-समझ चुके हैं। गांवों का दौरा कर स्वामित्व योजना के तहत होने वाले ड्रोन सर्वे व अन्य तकनीकी-विधायी प्रक्रिया का व्यावहारिक ज्ञान ले चुके हैं।
इसके साथ ही कुछ देशों के प्रतिनिधियों ने भूमि प्रशासन संबंधी उन चुनौतियों को सभी के साथ साझा भी किया, जिनका सामना उनके देश कर रहे हैं। जैसे कि लिबेरिया से आए लिबेरिया लैंड अथारिटी के आयुक्त महमूद सोलोमन और निदेशक एन. सिलवेस्टर एन. बुंदू ने अपने प्रस्तुतीकरण में निस्संकोच बताया कि उनके देश में संसाधनों की सीमित क्षमता है। उनकी तुलना में भूमि संबंधी विवाद कहीं अधिक हैं। इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप भी उनके लिए बहुत बड़ी समस्या है।
सिएरा के मंत्री ने अपने देश की समस्याएं गिनाईं
सिएरा लियोन की मिनिस्ट्री ऑफ लैंड, हाउसिंग एंड कंट्री प्लानिंग के प्रोफेशनल हेड ताम्बा एस. दाऊद और निदेशक राष्ट्रीय नियोजन साहर एम. कनावा ने विस्तार से अपने देश की परिस्थितियों के बारे में बताया कि 2015 की राष्ट्रीय भूमि नीति और 2022 के अधिनियमों से पहले सिएरा लियोन में भूमि प्रशासन को लेकर बिल्कुल स्पष्टता नहीं थी। क्राउन भूमि अधिनियम राज्य के स्वामित्व वाली भूमि के प्रबंधन और वितरण को विनियमित करता रहा। कानून बनाए जाने के बाद सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, लेकिन प्रथागत भूमि अधिकार अभी भी चुनौती बने हुए हैं। इसके अलावा भ्रष्टाचार, खराब दस्तावेजीकरण, भूमि हड़पना, कई दावे, कमजोर कानूनी प्रवर्तन, शहरी क्षेत्रों में भूमि की बढ़ती मांग, सीमित वित्तीय संसाधन, सुधार कार्यान्वयन में देरी सहित बहुत सारी समस्याएं हैं।
अबू एदोमी ने अपने देश के हालात साझा किए
टोगो गणराज्य से शहरी नियोजन, आवासन एवं भूमि सुधार मंत्रालय के महानिदेशक डा. एफो बिजो और नियोजक अबू एदोमी ने अपने देश के हालात साझा किए। बताया कि देश के बड़े हिस्से में विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथागत अधिकार अभी भी प्रचलित है। अधिकांश भूस्वामियों के पास अपनी भूमि पर अपना अधिकार साबित करने वाले लैंड टाइटल नहीं हैं। इन वैश्विक चुनौतियों की इन चर्चा के बीच स्वामित्व योजना की सफलता ने सभी को प्रभावित किया है। कई देशों के प्रतिनिधियों ने इस योजना से सीख लेने और इन तकनीकी विधियों को अपने यहां लागू कराने की इच्छा जाहिर की है।
लेसोथो के प्रतिनिधि और भूमि सर्वेक्षक लेबित्सा बेन लेबित्सा ने बताया कि लेसोथो में ड्रोन सर्वेक्षण का उपयोग केवल टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण के लिए किया गया है, न कि कैडस्ट्रल सर्वेक्षणों के लिए। वह अब भारत से प्रेरित होकर अपने देश में कैडस्ट्रल सर्वे के लिए ड्रोन को अपनाने पर विचार कर रहे हैं। तंजानिया की भूमि प्रशासन की सहायक आयुक्त हेलेन नजाऊ ने विशेष रूप से भूमि विवादों को हल करने और भूमि प्रबंधन में सुधार करने के लिए भारत की तकनीकों से सीखने में रूचि दिखाई।
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