पाक के आतंकी करतूतों से ब्रिक्स राष्ट्र प्रमुखों को रूबरू कराएगा भारत
इस्लामाबाद के खास दोस्त चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल हैं जिन्हें उड़ी हमले में पाकिस्तान की करतूतों की विशेष जानकारी दी जाएगी।
संजय मिश्र, नई दिल्ली । भारत उड़ी आतंकी हमले में पाकिस्तानी हाथ होने के अकाट्य सबूतों से ब्रिक्स राष्ट्राध्यक्षों को भी रूबरू कराएगा। इसमें इस्लामाबाद के खास दोस्त चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल हैं जिन्हें उड़ी हमले में पाकिस्तान की करतूतों की विशेष जानकारी दी जाएगी।
ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद पर चर्चा
सरकारी सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आक्रामक कूटनीति अभियान को जारी रखने की रणनीति के तहत गोवा में 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन के मंच का भी भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा। इस क्रम में अनौपचारिक तौर पर उड़ी हमले में मारे गए चारों पाक आतंकियों से जुड़े साक्ष्यों के साथ उनसे बरामद हथियारों और सामानों के पाकिस्तानी होने के साक्ष्यों की जानकारी भी दी जाएगी। गौरतलब है कि सेना ने उड़ी आतंकी आपरेशन खत्म होने के बाद इन सबूतों को रक्षा मंत्रालय को सौंपा था।
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ब्रिक्स में चर्चा के केंद्र में होगा पाक
विदेश मंत्रालय ने तो कूटनीतिक स्तर पर पहले ही ब्रिक्स देशों को भारत में आतंक फैलाने में पाक की करतूतों की जानकारी दे दी थी। लेकिन राष्ट्र प्रमुखों के स्तर पर उड़ी आतंकी हमले को लेकर पहली चर्चा गोवा में होगी। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के अलावा रूसी राष्ट्रपति पुतिन और ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति के साथ अपनी चर्चाओं में पाक की आतंकी करतूतों पर खास चर्चा करेंगे।
इन सबूतों के जरिए ब्रिक्स के मंच से भी जहां पाकिस्तान की घेरेबंदी की कोशिश होगी वहीं दूसरी ओर भारत चीन पर मसूद अजहर को लेकर अपनी नीति में बदलाव का दबाव बनाएगा। अभी इसी हफ्ते चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जमात उद दावा के आतंकी सरगना हाफिज सईद को अंतराष्ट्रीय आतंकी सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव को तकनीकी आधार पर दूसरी बार रोक दिया है।
इस लिहाज से उड़ी हमले के सबूतों के साथ पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के माहौल में चीनी नेतृत्व से सईद पर अपना रूख बदलने के लिए साफ तौर पर कहा जाएगा। वैसे चीन के अलावा ब्रिक्स के बाकी देशों ने उड़ी के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत के रूख का समर्थन किया है। रूस ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की सर्जिकल कार्रवाई का समर्थन किया है। तो दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ने भी इस मुद्दे पर भारत का साथ दिया है। पाकिस्तान के संदर्भ में आतंकवाद को लेकर चीन की दोहरी नीति ही भारत की परेशानी का सबब है। इस लिहाज से चीनी नेतृत्व को पाक के कारनामों के साक्ष्यों से रूबरू करना भारत की जरूरत है।
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