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    बांग्लादेश की राजनीतिक हकीकत को समझ रहा भारत, बीएनपी और जमात से संपर्क  

    By Jayaprakash RanjanEdited By: Deepak Gupta
    Updated: Sat, 27 Dec 2025 09:24 PM (IST)

    भारत बांग्लादेश के बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी जैसे दलों से संपर्क में है, भले ही उनका रुख भारत विरोधी रहा हो। इसका उद्देश्य बांग्लादेश की राजनीतिक वास्त ...और पढ़ें

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    रणधीर जायसवाल। (फाइल)

    जयप्रकाश रंजन,नई दिल्ली। बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का पुराना रुख भारत विरोध का रहा है और इसकी सहयोगी पार्टी जमाते-इस्लामी का एंटी-इंडिया स्टैंड भी सभी को दिख रहा है। इसके बावजूद भारत इन दोनों राजनीतिक दलों के साथ संपर्क में है।

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    वजह यह है कि भारत बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक वास्तविकता से आंखें नहीं चुराना चाहता और वहां के राजनीतिक माहौल के लिहाज से अपने रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए भी इसे जरूरी मानता है। लेकिन भारत पूर्व पीएम शेख हसीना की सुरक्षा को लेकर भी अडिग है।

    बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर ढाका से आ रहे अनुरोधों पर भारत ने कोई उत्सुकता नहीं दिखाई है। इस बारे में पड़ोसी देश के नेताओं की तरफ से उठ रही मांग पर जब सवाल पूछा गया तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि, “इस बारे में भारत का स्टैंड पुराना ही है, कोई बदलाव नहीं आया है।'

    सूत्रों के मुताबिक, “भारत बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक वास्तविकता से आंखें नहीं चुराया जा सकता। हमारे उच्चायुक्त वहां के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से संपर्क बना कर रखे हुए हैं। यह भारतीय उच्चायुक्त का काम है कि वह जिस देश में हो वहां के हर राजनीतिक दलों के साथ संपर्क में रहे। ढाका में भी हम ऐसा कर रहे हैं।'

    संभवत: ढाका में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा की तरफ से बांग्लादेश में दूसरे राजनीतिक दलों से होने वाली मुलाकातों को लेकर जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही हो। भारतीय उच्चायुक्त वर्मा की बीएनपी नेताओं, खासकर महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर से सितंबर, 2024 में हुई मुलाकात की सूचना जरूर सार्वजनिक की गई थी, लेकिन उसके बाद ऐसा नहीं किया गया है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि वह बांग्लादेश के सभी राजनीतिक पक्षों के साथ संपर्क में हैं।

    यह भी बताते चलें कि इसी रणनीति के तहत ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में बीएनपी की प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के स्वास्थ्य की कामना की थी। मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “बेगम खालिदा जिया के स्वास्थ्य के बारे में जानकर गहरी चिंता हुई,जो बांग्लादेश के सार्वजनिक जीवन में कई वर्षों से योगदान दे रही हैं। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की हमारी ईमानदार प्रार्थनाएं और शुभकामनाएं। भारत सभी संभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।''

    इस पर बीएनपी की ओर से आधिकारिक रूप से पार्टी के एक्स अकाउंट पर धन्यवाद और आभार व्यक्त किया गया। पार्टी ने इसे सद्भावना का संकेत बताया। बीएनपी के वरिष्ठ नेता इश्तियाक अजीज उल्फत ने इसे 'बहुत सकारात्मक कदम' और 'सही समय पर सही निर्णय' बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए अच्छा संकेत है।

    यह सच है कि पूर्व में जब भी बीएनपी की सरकार पड़ोसी देश में सत्ता में आई है तो उसके कई कदम भारत के हितों को प्रभावित करने वाले रहे हैं। लेकिन भारत की तरफ से पूर्व में भी खालिदा जिया की सरकार के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश हुई है। इस कोशिश के तहत ही वर्ष 2006 में खालिदा जिया बतौर प्रधानमंत्री भारत की राजकीय यात्रा पर आई थीं। यह यात्रा 20-22 मार्च 2006 को हुई थी, जिसमें दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई और संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी। इस यात्रा के दौरान भारत ने बीएनपी मुखिया के मन में भारत विरोधी कई संदेह को दूर करने की कोशिश की थी।

    पीएम पद से हटने के बाद भी खालिदा जिया के साथ भारत के संबंध बने रहे। वर्ष 2012 में वे बतौर विपक्ष की नेता भारत आई थीं। यह यात्रा अक्टूबर, 2012 को हुई, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

    भारत सरकार ने उनके अजमेर शरीफ की यात्रा पर जाने का प्रबंध किया। हालांकि भारत से लौटने के बाद पीएम शेख हसीना के साथ उनके संबंध खराब होते चले गये। अगले वर्ष 2013 में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ढाका का दौरा किया था। उनकी मुलाकात नेता प्रतिपक्ष जिया से तय थी। लेकिन अंत समय में खालिदा जिया ने इस मुलाकात को सुरक्षा कारणों का हवाला दे कर रद कर दिया था।