कोयला खदान खोलने की आसान हुई प्रक्रिया, सरकार ने नियमों में किए ये बदलाव; पूरी डिटेल
सरकार ने कोयला खदान खोलने की प्रक्रिया को आसान बनाया है, कोलियरी कंट्रोल रूल्स, 2004 में संशोधन किया गया है। अब कोयला कंपनियों के बोर्ड अपने स्तर पर ख ...और पढ़ें

कोयला खदान खोलने की प्रक्रिया अब हुई सरल (सांकेतिक तस्वीर)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में कोयला उत्पादन बढ़ाने की राह की 'अंतिम अड़चन' भी सरकार ने खत्म कर दी है। केंद्र सरकार ने बताया है कि कोयला खनन से जुड़े कोलियरी कंट्रोल रूल्स, 2004 में एक अहम संशोधन करते हुए खदानों को खोलने की मंजूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है।
अब संबंधित कोयला कंपनियों के बोर्ड को यह अधिकार सौंप दिया गया है कि वह अपने स्तर पर ही इस बारे में फैसला करें। कोयला खदान खोलने से जुड़ी बेहद जटिल मंजूरी प्रक्रिया को पूर्व में कई एजेंसियों ने देश में कोयला उत्पादन बढ़ाने की राह में 'अंतिम अड़चन' के तौर पर चिन्हित किया है।
कोयला खदान खोलने की प्रक्रिया अब हुई सरल
इससे कोयला खनन में होने वाली अनावश्यक देरी खत्म हो जाएगी। वैसे सरकार की नियामक निगरानी बरकरार रहेगी। कोयला मंत्रालय की तरफ से 23 दिसंबर 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार कोलियरी कंट्रोल (अमेंडमेंट) रूल्स, 2025 में रूल 9 को संशोधित किया गया है।
पहले, कोयला या लिग्नाइट खदान के मालिक को कोल कंट्रोलर ऑर्गनाइजेशन (सीसीओ) से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती थी। यह मंजूरी हर तरह के खदान (नई या पुराना आवंटन) के लिए आवश्यक थी। अगर खदान 180 दिनों से अधिक समय तक बंद रहती थी, तो भी सीसीओ की मंजूरी जरूरी होती थी। अब इस अनुमति की जरूरत ही नहीं होगी।
कंपनियां अपने बोर्ड के अनुमोदन से ही आगे बढ़ सकती हैं। हालांकि, बोर्ड को यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्र/राज्य सरकारों और वैधानिक निकायों से सभी आवश्यक अनुमतियां प्राप्त हो चुकी हैं। खदान खोलने के 15 दिनों के भीतर सीसीओ को सूचना देनी होगी और इस के लिए सिर्फ एक फार्म भरने की जरूरत होगी।
कंपनियों के बोर्ड को मिली खदान खोलने की मंजूरी
गैर-कंपनी इकाइयों के लिए सीसीओ की अनुमति अभी भी अनिवार्य रहेगी।कोयला मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस सुधार से खदानों के संचालन में दो महीने तक की बचत होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि पहले से ही रिकार्ड पर पहुंच चुका कोयला उत्पादन और तेजी से बढ़ेगा।
2024-25 में देश का कुल कोयला उत्पादन 104.77 करोड़ टन रहा था जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.71 फीसद ज्यादा था। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और उसकी सहायक कंपनियों में लगातार कोयला उत्पादन बढ़ा है और चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्पादन 111 करोड़ टन पहुंचने की उम्मीद है। कैप्टिव और कॉमर्शियल खदानों से सबसे अधिक वृद्धि होने की सूचना भी कोयला मंत्रालय दे रहा है।
कोयला उत्पादन में तेजी लाने का लक्ष्य है
मौजूदा सरकार ने कोयला खनन को लेकर 'सिंगल विंडो क्लियरेंस' की नीति पहले ही लागू कर दी है। पिछले पांच वर्षों में हर साल औसतन 10 फीसद की वृद्धि से कोयला उत्पादन बढ़ा है।भारत में बिजली उत्पादन, स्टील और सीमेंट उद्योगों की मांग बढ़ने से कोयला की जरूरत भी लगातार बढ़ रही है।
वर्ष 2024-25 में बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की मांग 94 करोड़ टन पहुंच गई थी। एक अनुमान के मुताबिक भारत के ताप बिजली संयंत्रों में कोयले की मांग लगातार तीन-चार फीसद की रफ्तार से अगले पांच वर्षों तक बढ़ेगी। हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के बढ़ते उपयोग से कोयले की बिजली उत्पादन में हिस्सेदारी 2025 के 70 प्रतिशत से घटकर 2030 तक 60 प्रतिशत रहने की संभावना है।

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