छोटे परमाणु रिएक्टर बना रहा भारत, जहां चाहें वहां कर सकेंगे स्थापित
भारत स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 200 मेगावाट तक के छोटे परमाणु रिएक्टर बना रहा है, जिन्हें जहाजों पर भी स्थापित किया जा सकता है। भाभा प ...और पढ़ें

छोटे परमाणु रिएक्टर। (रॉटयर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इस कड़ी में देश में 200 मेगावाट तक के छोटे आकार वाले परमाणु ऊर्जा रिएक्टर विकसित कर रहा है। इन रिएक्टरों को वाणिज्यिक जहाजों समेत किसी भी स्थान पर स्थापित किया जा सकेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''परमाणु ऊर्जा, परमाणु विखंडन द्वारा उत्पन्न ऊष्मा से पैदा होती है जिससे बिजली का उत्पादन होता है। आप इस रिएक्टर को जहां चाहें वहां स्थापित कर सकेंगे, यहां तक कि जहाज पर भी।''
उन्होंने कहा कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के विज्ञानी 55 मेगावाट और 200 मेगावाट के दो परमाणु ऊर्जा रिएक्टर विकसित कर रहे हैं जिन्हें सीमेंट उत्पादन जैसे अधिक ऊर्जा की जरूरत वाली कंपनियों के कैप्टिव पावर प्लांट में भी स्थापित किया जा सकता है।
मर्चेंट नेवी के जहाजों में भी किया जा सकेगा उपयोग
परमाणु पनडुब्बियों में इनके उपयोग के सवालों को टालते हुए उक्त अधिकारी ने कहा, ''ये परमाणु रिएक्टर बहुत सुरक्षित हैं और इनका उपयोग मर्चेंट नेवी के जहाजों में भी किया जा सकता है।'' उन्होंने कहा कि ये भारत स्माल माड्यूलर रिएक्टर (बीएसएमआर) देश में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने का मुख्य आधार बनेंगे।
गौरतलब है कि वर्तमान में भारत के पास दो स्वदेश निर्मित परमाणु पनडुब्बियां आइएनएस अरिहंत और आइएनएस अरिघात हैं, जो 83 मेगावाट के रिएक्टरों से संचालित होती हैं। तीसरी परमाणु पनडुब्बी आइएनएस अरिधमान का परीक्षण चल रहा है।
परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 में संशोधन करेगी सरकार
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह असैन्य परमाणु क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश की अनुमति देने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 में संशोधन करेगी। योजना के अनुसार, सरकार निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन करने और परमाणु ईंधन चक्र के प्रारंभिक चरण को भी संभालने की अनुमति दे सकती है।
2047 तक परमाणु उर्जा क्षमता को 100 गीगावाट करने का लक्ष्य
संशोधनों पर चर्चा के अनुसार, सरकार निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए विदेश से ईंधन खरीदने की भी अनुमति दे सकती है, जिसमें खर्च किए गए ईंधन को मूल देश वापस ले जाने का प्रविधान भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक परमाणु उर्जा क्षमता को वर्तमान 8.8 गीगावाट से बढ़ाकर 100 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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