बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सरकार बनाएगी जोखिम गारंटी कोष, 20,000 करोड़ से होगा विकास
सरकार बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 20000 करोड़ रुपये का जोखिम गारंटी कोष बनाने पर विचार कर रही है। इस कोष का प्रबंधन एनसीजीटीसी द्वारा किया जा सकता है। इसका उद्देश्य परियोजना जोखिमों को साझा करके निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करना और परियोजना डेवलपर पर बोझ कम करना है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार निजी क्षेत्र से निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए 20,000 करोड़ रुपये का जोखिम गारंटी कोष बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बताया कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए जोखिम गारंटी कोष की स्थापना से परियोजना जोखिमों को साझा करके निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने और परियोजना डेवलपर पर बोझ कम करने की उम्मीद है।
कोष का उद्देश्य
एक अधिकारी ने बताया कि 20,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि वाले इस कोष का प्रबंधन राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा किया जा सकता है। यह फंड किसी नई परियोजना के विकास संबंधी जोखिम को वहन करेगा। इसके अलावा, डेवलपर द्वारा न्यूनतम हिस्सेदारी के रूप में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय भी किए जाने चाहिए और जोखिम-आधारित प्रीमियम भी लिए जा सकते हैं।
भारत की बुनियादी ढांचा जरूरतें
सूत्रों ने बताया कि यह कोष नीतिगत अनिश्चितता और अन्य गैर-वाणिज्यिक जोखिमों से होने वाले नुकसानों की भरपाई करेगा, जिससे ऋणदाताओं को बड़ी परियोजनाओं के लिए बड़े ऋण देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआइपी) रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि 2025 तक 5000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को साकार करने और 2030 तक वृद्धि की गति को जारी रखने के लिए भारत को 2030 तक बुनियादी ढांचे पर 4500 अरब डालर (लगभग 390 लाख करोड़ रुपये) खर्च करने की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की अपेक्षाकृत उच्च वृद्धि दर को बनाए रखने की महत्वाकांक्षा बुनियादी ढांचे के क्षेत्र पर निर्भर करती है। हालांकि देश कमजोर बुनियादी ढांचे से ग्रस्त है, जो बढ़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है।
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