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    रेयर अर्थ मैगनेट की सप्लाई पर चीन का भरोसा, क्या भारत को खुश होना चाहिए?

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 09:54 PM (IST)

    चीन के विदेश मंत्री ने भारत को रेयर अर्थ मैगनेट और खाद की सप्लाई का भरोसा दिया है पर विशेषज्ञों के अनुसार भारत को सतर्क रहना चाहिए। भारत अभी भी कई कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है जिससे निर्यात और घरेलू उत्पादन प्रभावित हो सकता है। जीटीआरआई के अनुसार भारत एंटीबायोटिक दवाओं सिलिकन वेफर सोलर सेल और विस्कास यार्न के लिए भी चीन पर निर्भर है।

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    चीन के विदेश मंत्री की तरफ से रेयर अर्थ मैगनेट की सप्लाई का भरोसा

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री की तरफ से रेयर अर्थ मैगनेट और खाद की सप्लाई शुरू करने का भरोसा दिया गया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इससे भारत को खुश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि रेयर अर्थ मैगनेट और खाद की तरह भारत अब भी विभिन्न महत्वपूर्ण कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर करता है जिनकी सप्लाई बाधित होने पर हमारा निर्यात और घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग प्रभावित हो सकता है। भारत के प्रति चीन के पूर्व रवैये को देखते हुए चीन कभी भी ऐसा कर सकता है।

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    पिछले साल भारत ने चीन से लैपटाप के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन उससे पहले तक करीब 90 प्रतिशत लैपटाप चीन से आ रहे थे। अब भी लैपटाप व इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम के निर्माण से जुड़े कच्चे माल का भारी मात्रा में चीन से आयात किया जाता है।

    भारत की चीन पर निर्भरता

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष तक एंटीबायोटिक दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाले 97 एरिथ्रोमाइसिन के लिए भारत चीन पर निर्भर था। इलेक्ट्रानिक व चिप निर्माण में इस्तेमाल होने वाले 96 प्रतिशत सिलिकन वेफर, 82 प्रतिशत सोलर सेल तो 98 प्रतिशत विस्कास यार्न के लिए भारत की चीन पर निर्भरता है।

    रोजमर्रा की चीजें चीन से आ रही

    चीन ने हाल ही में भारत स्थित एपल स्मार्टफोन की फैक्ट्री से अपने इंजीनियर को वापस बुला लिया था। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि चीन ने भारत को जो थोड़ी छूट दी है, वह चीन का चालाकी भरा कदम है।

    भारत को अगले पांच साल में चीन से होने वाले आयात में 50 प्रतिशत तक की कटौती का लक्ष्य तय करके काम करना चाहिए। क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तु से लेकर उपभोक्ता वस्तु और इलेक्टि्रक वाहन में इस्तेमाल होने वाले लिथियम से लेकर कई रोजमर्रा की चीजें चीन से आ रही है।

    चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ा

    तभी तमाम कोशिश के बावजूद चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है और पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में यह घाटा 100 अरब डालर तक पहुंच गया। इस अवधि में भारत ने चीन को सिर्फ 27.7 अरब डालर का निर्यात किया और चीन से 100 अरब डालर का आयात किया। इस व्यापार घाटे में पूर्व के वित्त वर्ष के मुकाबले 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही।

    चालू वित्त वर्ष 2025-26 में भी अप्रैल-जुलाई में सबसे अधिक चीन से 40.66 अरब डालर का आयात किया गया जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है। हालांकि इस साल अप्रैल- जुलाई में चीन होने वाले निर्यात में भी इजाफा हुआ है। लेकिन यह निर्यात सिर्फ 5.76 अरब डालर का है।

    टेक्नोलॉजी सिखाने के लिए तत्पर

    चीन से व्यापार कहने वाले व्यापारियों के मुताबिक कुछ सालों से चीन के इंजीनियर को भारत में वीजा मिलने में होने वाली दिक्कत को देखते हुए मशीन बेचने वाली चीन की कंपनियां भारत के इंजीनियर को अपनी टेक्नोलाजी सिखाने के लिए तत्पर दिख रही थी। अब चीन के इंजीनियर आसानी से अगर भारत आ जाएंगे तो वे भारतीय इंजीनियर को टेक्नोलाजी क्यों सिखाएंगे।

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