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    India-China Relation: चीन की सीमा पर तैनात सैनिकों की संख्या नहीं होगी कम, सेना प्रमुख ने बताई वजह

    Updated: Mon, 13 Jan 2025 11:55 PM (IST)

    एलएसी पर बफर जोन जैसी कोई स्थिति होने से इनकार करते हुए कहा कि उत्तरी सीमा पर भारतीय सैनिकों की तैनाती मजबूत है और हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम ही नहीं तैयार भी हैं। सेना चीफ ने कहा कि सीमा पर अभी भी स्थिति संवेदनशील है। हालांकि सरहद पर दोनों तरफ से स्थिति अभी भी स्थिर है।

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    चीन की उत्तरी सीमा पर तैनात सैनिकों की संख्या में अभी सेना कोई कटौती नहीं करेगी: सेना प्रमुख।(फोटो सोर्स: जागरण)

    संजय मिश्र, नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवदी ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अभी कुछ गतिरोध बरकरार रहने की बात कहते हुए साफ कहा है कि उत्तरी सीमा पर तैनात सैनिकों की संख्या में अभी सेना कोई कटौती नहीं करेगी।

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    चीनी सीमा पर भारतीय सैनिकों की तैनाती मजबूत: सेना प्रमुख 

    एलएसी पर बफर जोन जैसी कोई स्थिति होने से इनकार करते हुए कहा कि उत्तरी सीमा पर भारतीय सैनिकों की तैनाती मजबूत है और हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम ही नहीं तैयार भी हैं।

    सेना प्रमुख ने वर्तमान सैन्य गतिरोध का हल निकालने के लिए भारत-चीन के बीच अलग-अलग स्तर के संस्थागत प्रक्रिया के जरिए बातचीत के प्रयासों को जारी रखने की वकालत की और कहा कि सीमा पर सैनिकों की तैनाती की कोई भी समीक्षा इसकी प्रगति पर ही निर्भर करेगी।

    कुछ बिंदुओं पर गतिरोध अभी कायम है: उपेंद्र द्विवदी

    सेना दिवस से पूर्व अपनी पहली सालाना प्रेस कांफ्रेंस में एलएसी पर चीन से जारी टकराव की ताजा स्थिति से जुड़े सवालों की बौछार के बीच जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि बीते अक्टूबर में टकराव का हल निकालने के लिए भारत-चीन के बीच बनी सहमति के बाद भी कुछ बिंदुओं पर गतिरोध अभी कायम है।

    उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 के बाद एलएसी पर बनी स्थिति में दोनों पक्षों ने अपने-अपने इलाके में बदलाव किए हैं और सैनिकों की तैनाती के साथ हथियार-साजोसमान भी जुटाए है। इस लिहाज से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। इसलिए दोनों देशों के बीच विश्वास की एक नई परिभाषा होनी चाहिए।

    टकराव खत्म करने के लिए अक्टूबर 2024 में बनी सहमति के तहत पेट्रोलिंग दुबारा शुरू होने को देखते हुए सैनिकों की कमी की संभावनाओं के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि दोनों देशों की सेनाओं के आपसी विश्वास बहाली के फैक्टर पर यह निर्भर है।

    'सैनिकों की संख्या में कोई कटौती नहीं'

    वर्तमान में एलएसी की दूसरी तरफ चीनी सैनिकों की मौजूदगी, संसाधनों व क्षमताओं के निर्माण को देखते हुए अभी सर्दियों में पूर्ण तैनाती जारी रखना जरूरी है और सैनिकों की संख्या में कोई कटौती नहीं की जा रही है। गर्मियों में समीक्षा की जाएगी पर संख्या में कमी गतिरोध का हल निकालने के लिए जारी बातचीत की प्रगति पर निर्भर करेगी।

    एलएसी पर पेट्रोलिंग दुबारा शुरू होने के संबंध में पूछे जाने पर जनरल द्विवेदी ने कहा कि डेपसांग तथा डेमचोक में दोनों पक्ष आगे बढ़ गए हैं और पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है। पेट्रोलियम का अपने-अपने स्तर पर दोनों पक्षों ने दो बार सत्यापन भी किया है।

    पशु चराने के लिए चरवाहे पारंपरिक इलाकों में जा रहे: सेना प्रमुख  

    सेना प्रमुख ने कहा कि सीमा पर छोटे-मोटे मामलों को स्थानीय स्तर पर ही सुलझा लेने के लिए कोर और डिवीजनल कमांडरों को छोटे मुद्दों पर निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। अक्टूबर के बाद बनी स्थिति में अब हम चरवाहों को पशु चराने के लिए पारंपरिक इलाकों में जाने की अनुमति दे रहे हैं। जबकि पहले किसी अप्रिय घटना की स्थिति भड़कने से रोकने के लिए चरवाहों को इन जगहों पर जाने से रोका जा रहा था।

    गलवन घाटी की घटना तथा हॉट स्पि्रंग, पैंगौंग त्सो, गोगरा इलाके में टकराव के बाद एलएसी पर बने बफर जोन की वर्तमान स्थिति से जुड़े सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि बफर जोन जैसी कोई चीज नहीं होती।

    गतिरोध के संदर्भ में जब दोनों पक्षों ने बातचीत की तो एक अस्थायी स्थगन पर सहमति हुई ताकि दोनों पक्षों के सैनिक पीछे रहने और विवादित क्षेत्रों में न जाने के लिए सहमत हों क्योंकि आमने-सामने का फासला कम रहने की स्थिति में हिंसा बढ़ने की आशंकाएं थी।

    मणिपुर की स्थिति पर क्या बोले सेना प्रमुख 

    इस दौरान मणिपुर की स्थिति पर जनरल द्विवेदी ने कहा कि सुरक्षा बलों के समन्वित प्रयासों और सक्रिय सरकारी पहल से स्थिति नियंत्रण में आयी है मगर सुलह के प्रयासों के लिए जनजातीय समुदाय के नेताओं से संपर्क किया जा रहा है। म्यांमार में जारी अंदरूनी विद्रोहों को लेकर सीमा पर निगरानी बढ़ाए जाने की चर्चा करते हुए कहा कि हम म्यांमार की सेना के साथ भी संपर्क में हैं।

    सेना प्रमुख ने 2025 को को सेना के लिए ''सुधारों का वर्ष'' घोषित करते हुए कहा कि इसका लक्ष्य सेना को आत्मनिर्भर बल में बदलते हुए पूरी तैयारी सुनिश्चित करना है। सेना के पुनर्गठन, संयुक्त अभियान, आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी और मानव संसाधन के पांच प्रमुख स्तंभों पर यह सुधार लागू किए जाएंगे।  

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