UNGA में अफगानिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव से भारत ने बनाई दूरी, भारतीय राजदूत बोले- सिर्फ सजा देने की नीति ठीक नहीं
संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित हुआ जिसमें भारत ने वोट नहीं दिया। भारत ने कहा कि बिना नई पहल के जैसे चल रहा है वैसे चलने दो का रवैया अफगान लोगों के लिए उचित नहीं है। भारत ने मानवाधिकारों की रक्षा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की।

एएनआई, संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में सोमवार को अफगानिस्तान की आंतरिक स्थिति को लेकर एक प्रस्ताव पास हुआ, लेकिन भारत ने इस पर वोटिंग से खुद को अलग कर लिया।
भारत ने साफ कहा कि बिना नई और ठोस पहल के "जैसे चल रहा है, वैसे चलने दो" वाला रवैया अफगानी लोगों के लिए वह नतीजे नहीं लाएगा, जो वैश्विक समुदाय चाहता है। इस प्रस्ताव को 116 वोटों से मंजूरी मिली, जबकि अमेरिका और इजरायल ने इसके खिलाफ वोट दिया और 12 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने UN में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर भारत की पैनी नजर है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह आतंकवादी संगठनों, जैसे अल-कायदा, आईएसआईएल, लश्कर-ए-तय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ एकजुट होकर यह सुनिश्चित करे कि अफगान जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए न हो।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत आवाज
हरीश ने कहा, "भारत अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि UN की ओर से नामित आतंकी संगठन और उनके क्षेत्रीय समर्थक अब अफगान जमीन का दुरुपयोग न करें।"
UNGA ने अपने प्रस्ताव में अफगानिस्तान से मानवाधिकारों की रक्षा, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की, क्योंकि वहां मानवीय संकट गहराता जा रहा है।
हरीश ने हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और तालिबानी विदेश मंत्री के बीच हुई बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि अफगान पक्ष ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। इसके अलावा, भारत के विदेश सचिव और तालिबान के विदेश मंत्री के बीच भी बैठक हुई, जिसमें द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई।
#IndiaAtUN
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) July 7, 2025
PR @AmbHarishP delivered the explanation of vote on the UNGA resolution on the situation in Afghanistan.
PR highlighted:
➡️ India as Afghanistan’s contiguous neighbour has been guided by our longstanding friendship and special relationship with Afghan people.
➡️… pic.twitter.com/ZPnYmCi7kJ
अफगानिस्तान के साथ भारत का रिश्ता दोस्ताना
हरीश ने जोर देकर कहा कि भारत का अफगानिस्तान के साथ हमेशा से दोस्ताना और खास रिश्ता रहा है। उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान हमारा पड़ोसी है, और हमारे ऐतिहासिक व सांस्कृतिक रिश्ते गहरे हैं। भारत हमेशा से अफगान लोगों के साथ शांति और स्थिरता के लिए खड़ा रहा है।"
भारत 2022 के बाद से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास के लिए सक्रिय रहा है, जिसमें हाल ही में दोहा में हुई UN की बैठकें शामिल हैं।
भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। हरीश ने बताया कि भारत ने अगस्त 2021 से अब तक 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 330 मीट्रिक टन दवाइयां और टीके, 40,000 लीटर कीटनाशक मालाथियॉन और 58.6 मीट्रिक टन अन्य जरूरी सामान मुहैया करवाया है। इससे लाखों अफगानों को मदद मिली।
मानवीय सहायता और शिक्षा में भी भारत ने दी मदद
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थ और अपराध कार्यालय (UNODC) के साथ मिलकर 84 मीट्रिक टन दवाइयां और 32 मीट्रिक टन सामाजिक सहायता सामग्री दी, खासकर महिलाओं के लिए ड्रग रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के लिए। इसके अलावा, भारत ने 2023 से अब तक 2,000 अफगान छात्रों को स्कॉलरशिप दी है।
हरीश ने यह भी कहा कि किसी भी संघर्ष के बाद की स्थिति को संभालने के लिए नीतियों का सही मिश्रण जरूरी है। केवल सजा देने वाली नीतियां कामयाब नहीं होंगी। हमें सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहन देना होगा और नकारात्मक कार्यों को रोकना होगा।
'जैसे चल रहा है, वैसे चलने दो से काम नहीं चलेगा'
हरीश ने चेतावनी दी कि अगस्त 2021 से अफगानिस्तान में गहराते मानवीय संकट को हल करने के लिए कोई नई नीति नहीं अपनाई गई है।
"दूसरे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में UN और वैश्विक समुदाय ने संतुलित और बारीक रणनीतियां अपनाई हैं, लेकिन अफगानिस्तान में ऐसा नहीं हुआ। बिना नई और लक्षित पहल के हम वह नतीजे नहीं पा सकते, जो अफगान लोगों के लिए चाहिए।"
पार्वथानेनी हरीश, भारत के स्थायी प्रतिनिधि, UN
आखिर में भारत के स्थाई सदस्य हरीश ने भारत और अफगान लोगों के बीच ऐतिहासिक रिश्तों को दोहराते हुए कहा कि भारत उनकी मानवीय और विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, "हम सभी हितधारकों के साथ जुड़ाव बनाए रखेंगे और एक स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध अफगानिस्तान के लिए वैश्विक प्रयासों का समर्थन करेंगे, लेकिन इस प्रस्ताव पर भारत ने वोट न देने का फैसला किया है।"
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