माप-तौल व मीटर की गड़बड़ियों पर लगेगी लगाम, निजी संस्थाओं के 12 परीक्षण केंद्रों को मंजूरी
केंद्र सरकार ने माप-तौल उपकरणों की जांच में गड़बड़ी रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 11 निजी संस्थाओं के 12 परीक्षण केंद्रों को मंजूरी दी गई है। इससे स ...और पढ़ें

सरकार द्वारा अनुमोदित 12 परीक्षण केंद्रों को मंजूरी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब बाजार में खरीदी जाने वाली सब्जी का वजन, घर का बिजली-पानी का बिल और अस्पताल में होने वाली जांच सभी में माप से जुड़ी गड़बडि़यों पर काफी हद तक रोक लगेगी। केंद्र सरकार ने माप-तौल से जुड़े उपकरणों की जांच को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 11 निजी संस्थाओं को सरकार द्वारा अनुमोदित 12 परीक्षण केंद्रों को मंजूरी दी है।
इससे माप-तौल और मीटरों की जांच की व्यवस्था व्यापक और प्रभावी होगी, जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा। अभी तक माप-तौल के उपकरणों की जांच मुख्य रूप से सरकारी विभागों के जिम्मे थी। कई राज्यों में संसाधन और कर्मचारियों की कमी के कारण सत्यापन में देरी होती थी। नतीजा होता था कि दुकानों, कारखानों, पेट्रोल पंपों और सेवा देने वाली संस्थाओं में इस्तेमाल होने वाले उपकरण लंबे समय तक बिना जांच के चलते रहते थे।
18 तरह के उपकरण जांच के दायरे में
इससे उपभोक्ताओं को कम तौल, गलत बिल एवं गलत माप जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। निजी परीक्षण केंद्रों को मान्यता मिलने से यह समस्या काफी हद तक दूर होगी, क्योंकि अब ज्यादा जगहों पर और समय पर जांच संभव हो सकेगी। नई व्यवस्था के तहत 18 तरह के उपकरणों को जांच के दायरे में शामिल किया गया है।
इनमें तराजू और बाट के अलावा बिजली मीटर, पानी का मीटर, गैस मीटर, प्रवाह मापक, सांस जांचने की मशीन, गति मापक, रक्तचाप मापने की मशीन और तापमापी जैसे उपकरण शामिल हैं। इसका मतलब साफ है कि अब बिजली-पानी के बिल सही खपत के आधार पर बनेंगे और अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाली मशीनें ज्यादा भरोसेमंद होंगी। इससे न सिर्फ आर्थिक नुकसान से बचाव होगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी भरोसा बढ़ेगा। रोजमर्रा के लेन-देन में पारदर्शिता आएगी।
किराना दुकानों, मंडियों, माल और पेट्रोल पंपों के माप-तौल उपकरणों की नियमित रूप से जांच होगी। इससे कम तौलने या गलत माप देने की शिकायतें घटेंगी। व्यापारियों और उद्योगों के लिए भी व्यवस्था राहत देने वाली है। जांच और सत्यापन का समय कम होगा और नियमों का पालन करना आसान बनेगा। इससे अनावश्यक विवाद और शिकायतों में भी कमी आने की उम्मीद है। साथ ही, राज्य विधिक माप विज्ञान अधिकारियों को उपभोक्ता शिकायतों के समाधान और निगरानी पर ज्यादा ध्यान देने का मौका मिलेगा।

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