रात में हमला... सुबह पहुंचे NSG कमांडो, तहव्वुर पर अब श्रेय लेने की होड़; तब जवाबी कार्रवाई में लाचार क्यों दिखा था भारत?
मुंबई में हुए आंतकी हमले के दौरान हर स्तर पर शीर्ष पदाधिकारियों व एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव और जवाबी कार्रवाई में देरी देखी गई थी। यही वजह है कि आतंकी हमले तो रात को हुए लेकिन एनएसजी की कार्रवाई सुबह सात बजे शुरू हो सकी थी। विमान नहीं होने के कारण कई घंटे विलंब से पहुंच सके एनएसजी कमांडो।

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद देश में श्रेय लेने की भी होड़ है। लेकिन हकीकत यह है कि आतंकी हमले के दौरान हर स्तर पर शीर्ष पदाधिकारियों व एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव और जवाबी कार्रवाई में देरी देखी गई थी। इसका नतीजा था कि रात को 9.30 बजे हुए आतंकी हमले के खिलाफ एनएसजी की कार्रवाई सुबह सात बजे शुरू हो सकी थी।
दरअसल 26 नवंबर 2008 को 9.30 बजे मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आतंकी हमले शुरु हुए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देखमुख केरल में थे। उन्हें शहर में प्रमुख स्थानों पर हमलों की जानकारी दी गई।
पूरी स्थिति की गंभीरता समझने के बाद उन्होंने 11 बजे रात में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल को फोन कर 200 एनएसजी कमांडो भेजने की मांग की। लेकिन मानेसर में रह रहे एनएसजी कमांडो को मुंबई ले जाने के लिए कोई विमान ही नहीं थी। इसके लिए जरूरी आईएल-76 विमान चंडीगढ़ में था।
देर रात दिल्ली पहुंचा आईएल-76 विमान
रात में पायलट को उठाकर इंधन भराकर विमान को दिल्ली भेजा गया, जो दो बजे मुंबई के लिए उड़ सका। आईए-76 विमान की स्पीड कम होने के कारण यह तीन घंटे में मुंबई पहुंचा और वहां से कमांडो को ताज होटल तक ले जाने में 40 मिनट लग गए। सुबह सात बजे आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन शुरू हो सका। ऑपरेशन के दौरान भी विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव दिखता रहा।
होटल का ले-आउट भी काफी देर से मिला
दाउद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली की रेकी की वजह से आतंकी होटल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। वहीं, एनएसजी के पास होटल का ले-आउट तक नहीं पहुंचा। बीएमसी से काफी से देरी से ले-आउट प्लान मिल सका। इसके अलावा हमले की लाइव रिपोर्टिंग कर रहे न्यूज चैनलों के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय की ओर से कोई निर्देश नहीं था। पाकिस्तान में बैठे आतंकी आका होटल के भीतर के आतंकियों के लाइव रिपोर्टिंग देखकर रणनीति समझा रहे थे।
रोकी गई चैनलों की लाइव रिपोर्टिंग
खुफिया एजेंसियों द्वारा उनकी बातचीत सुनने के बाद न्यूज चैनलों को लाइव रिपोर्टिंग रोकने का निर्देश जारी हो सका। यदि विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल होता और तत्काल निर्णय लेकर उसके क्रियान्वयन के रास्ते खोजे जाते तो शायद बहुत सारी जाने बचायी जा सकती थी। आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी साजिश साबित करने के लिए एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब ही था।
पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई
दाउद गिलानी मुंबई आकर रेकी करता रहा और हमले के एक हफ्ता पहले तहव्वुर राणा हापुड़, आगरा, दिल्ली, मुंबई से लेकर कोची तक घुमता रहा। लेकिन भारतीय एजेंसियों को इनके मंसूबों की भनक तक नहीं लगी। इन दोनों के मुंबई हमले की साजिश में शामिल होने का खुलासा भी उनकी अमेरिकी में गिरफ्तारी और अमेरिकी एजेंसियों की पूछताछ के बाद हुआ।
यही नहीं, इतने बड़े आतंकी हमले के बावजूद भी भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ किसी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं की गई और पाक सीमा के नजदीक कुछ महीनों तक सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद उन्हें वापस बैरक में बुला लिया गया।
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