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    द्विपक्षीय कारोबारी समझौता करने के बेहद करीब भारत और अमेरिका, फ्लिपकार्ट के लिए भी आई खुशखबरी

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 09:31 PM (IST)

    भारत और अमेरिका द्विपक्षीय कारोबारी समझौता करने के करीब हैं, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे के आर्थिक हितों का ध्यान रखने के संकेत दिए हैं। वालमार्ट क ...और पढ़ें

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    फ्लिपकार्ट की आईपीओ योजना की राह की बाधा होगी खत्म (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका द्विपक्षीय कारोबारी समझौता करने के बेहद करीब हैं। समझौता में दोनों देश के एक दूसरे के आर्थिक हितों के लिए क्या कदम उठाते हैं, यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन टैरिफ को लेकर विवाद के बावजूद हाल के हफ्तों में दोनों देशों की तरफ से हाल के दिनों में एक दूसरे के हितों का ख्याल रखने के संकेत साफ तौर पर दिए गये हैं।

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    इस क्रम में अमेरिकी कंपनी वालमार्ट की प्रमुख हिस्सेदारी वाली भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट की आईपीओ योजना की राह की अंतिम बाधा यानी प्रेस नोट-3 (पीएन-3) के तहत भी मंजूरी मिल जाने के संकेत हैं। फ्लिपकार्ट में चीन की एक वित्तीय कंपनी टेनसेंट की पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी है, इसलिए इसने शेयर बाजार में उतरने से पहले गृह मंत्रालय से पीएन 3 के नियमों के अंतर्गत स्वीकृति लेने का आवेदन किया हुआ है।

    बेस भारत स्थानांतरित करने की मंजूरी

    एक दिन पहले ही नेशलन कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने फ्लिपकार्ट को अपना बेस सिंगापुर से भारत स्थानांतरित करने की मंजूरी मिल चुकी है।फ्लिपकार्ट अमेरिका के वालमार्ट समूह की कंपनी है। वालमार्ट पहले भारत में सीधे उतरने की तैयारी कर रही थी लेकिन बाद में इसने रणनीति बदली और वर्ष 2018 में इसने बेंगलूर स्थित इस ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट में 77 फीसद हिस्सेदारी खरीद लिया। अमेरिका भारत की ई-कामर्स नीति की आलोचना भी करती रहा है।

    भारत की सख्त नीतियों को देख कर ही वालमार्ट ने व्यावसायिक उद्देश्यों के चलते फ्लिपकार्ट को भारतीय नियमों के अधीन लाने की नीति बनाई है। इसके तहत फ्लिपकार्ट को वर्ष 2026 में भारतीय शेयर बाजार में उतारने की तैयारी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत व अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबारी समझौते को लेकर जो बातचीत हुई है, उसमें भारत सरकार की ई-कामर्स नीति पर भी चर्चा हुई है।

    शेयर बाजार में उतरने में मिलेगी मदद

    भारत अभी भी ई-कामर्स मंच को पूरी तरह से विदेशी कंपनियों को खोलने के लिए तैयार नहीं है लेकिन भारत फ्लिपकार्ट को शेयर बाजार में उतरने में पूरी मदद भी करने को तैयार है। इसके लिए चीनी कंपनी टेनसेंट की पांच फीसद हिस्सेदारी को कोई अड़चन नहीं माना जा रहा। इसके जरिए भारत यह संकेत देना चाहता है कि भारत अमेरिकी कंपनियों के हितों का ख्याल रख रहा है। इस मंजूरी के बाद भारतीय शेयर बाजार में फ्लिपकार्ट के प्रवेश का रास्ता भी खुल जाएगा।

    वैसे इसके अलावा भी भारत ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिसके तार संभावित कारोबारी समझौते से जोड़ कर देखा जा रहा है। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार ने संसद में 'सस्टेनेबल हार्ने¨सग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल, 2025' (शांति बिल) पेश किया है। यह बिल परमाणु दुर्घटना में सप्लायर्स की देयता को सीमित करेगा और निजी क्षेत्र को परमाणु ऊर्जा उत्पादन की अनुमति देगा।

    10 फीसद एलपीजी अमेरिका से होगा आयात

    अमेरिकी कंपनियों जैसे वेस्टिंगहाउस और जीई के लिए यह लंबे समय से बाधा थी। इससे अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों के आयात और निवेश का रास्ता खुलेगा। इसी तरह से भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) आयात को बढ़ाने के प्रस्ताव को ट्रंप प्रशासन ने मंजूरी दी है।

    भारत अपनी जरूरत का 10 फीसद एलपीजी अमेरिका से आयात करेगा। आने वाले दिनों में यह आयात और बढ़ेगा। इसे भी भारत-अमेरिकी कारोबारी समझौते से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। इसके पहले अमेरिका ने भारत को जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल और एक्सकैलिबर प्रिसिजन आर्टिलरी प्रोजेक्टाइल सहित करीब 93 मिलियन डॉलर की हथियार बिक्री को मंजूरी दी।

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