पुतिन के दौरे से भारत-रूस की 'दोस्ती' का नया अध्याय, रूसी रक्षा मंत्री के साथ राजनाथ सिंह की बैठक के मायने
भारत और रूस ने वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाए रखने का संदेश दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री आं ...और पढ़ें
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भू-राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में भी हम रक्षा-रणनीतिक दोस्ती को देंगे मजबूती (फोटो सोर्स- एनएनआई)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। भारत और रूस ने वैश्विक स्तर पर जारी उठापटक के इस दौर में भी अपने दशकों पुराने रणनीतिक और सामरिक सहयोग के गहरे संबंधों को आगे बढ़ाते रहने का मजबूत संदेश दिया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तथा रूसी रक्षामंत्री आंद्रेई बेलौसोव की गुरूवार को हुई आपसी बैठक के दौरान भारत के रक्षामंत्री ने कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के बावजूद रूस टेक्नोलाजी और रक्षा क्षेत्र में भारत का रणनीतिक साझेदार बना हुआ।
पीएम नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय बैठकें इस विशेष खास साझेदारी को और मजबूत करेगी। बेलौसोव के साथ भारत-रूस इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन की 22वीं बैठक की सह-अध्यक्षता करते हुए राजनाथ ने यह बात कही।
किन-किन मुद्दों पर होगी बात?
समझा जाता है कि इस दौरान रूस के चर्चित एयर डिफेंस सिस्टम एस 400 की नई खेप की खरीद, पांचवीं श्रेणी के फाइटजर जेट से कुछ अन्य सामरिक अधिग्रहण से जुड़े मसलों पर भी चर्चा हुई। हालांकि इस बारे में दोनों पक्षों की ओर से की कोई टीका-टिप्पणी नहीं की गई और शुक्रवार को दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों के बीच होने वाली 23वीं सालाना शिखर वार्ता के लिए जब पीएम मोदी तथा राष्ट्रपति पुतिन मिलेंगे तो सामरिक सहयोग के इन प्रस्तावों की दशा-दिशा तय होगी।
राष्ट्रपति पुतिन के शाम राजधानी पहुंचने से कुछ घंटे पूर्व रक्षा सहयोग संबंधी आयोग की बैठक के लिए दिल्ली आए बेलौसोव तथा राजनाथ सिंह के बीच मानेकशा सेंटर में इंटर-गवर्नमेंटल कमीशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन आयोग की की यह बैठक हुई।
रक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर जारी बयान में कहा कि बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने दोहराया कि भारत-रूस के रिश्ते गहरे भरोसे, साझा सिद्धांतों और आपसी सम्मान पर आधारित हैं। राजनाथ ने खासतौर पर रक्षा टेक्नोलॉजी में सहयोग बढ़ाने के नए अवसरों पर जोर दिया जो इसका संकेत है कि भारत एयर डिफेंस से लेकर अन्य प्रमुख रक्षा उपकरणों को हासिल करने के लिए उत्सुक है। बेलौसोव ने कहा कि रूस की रक्षा कंपनियां भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में सहयोग करने के लिए तैयार है।
वहीं रक्षामंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के विजन के तहत लोकल प्रोडक्शन और निर्याता दोनों के लिए स्वदेशी रक्षा उद्योग के क्षमता निर्माण के लिए सरकार के इरादों से बेलौसोव को अवगत कराते हुए तकनीकी साझेदारी पर जोर दिदया। रूसी रक्षा मंत्री ने भी कहा कि दोनों देश कई सालों की दोस्ती और रणनीतिक सहयोग से जुड़े हुए हैं और हम आत्म निर्भर भारत के विजन में उसका साथ देने को तैयार हैं।
इस दौरान बेलौसोव ने राजनाथ सिंह को 2026 में इस बैठक के लिए रूस आने का न्यौता भी दिया। राजनाथ के साथ बैठक से पहले दिल्ली पहुंचने के तत्काल बाद रूसी रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जाकर भारतीय बहादुरों को श्रद्धांजलि दी और तीनों सेनाओं की टुकडि़यों ने उन्हें गार्ड आफ ऑनर भी दिया।
इन डील पर दुनिया की नजर
राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी की शिखर वार्ता के बाद वैसे तो तत्काल रक्षा खरीद के किसी बड़े समझौते पर हस्ताक्षर की संभावना नहीं है मगर इसको लेकर बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ेगा इसके पुख्ता संकेत हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी क्षमता साबित कर चुके रूसी एस-400 डिफेंस सिस्टम को भारत अपनी सीमाओं पर विस्तार देना चाहता है और इसलिए इसकी नई खेप की खरीद की चर्चा शुरू हुई है।
भारत ने रूस से पहले दौर में अमेरिका के तमाम विरोध के बावजूद पांच एस-400 खरीदे थे जिसमें से अभी दो की डिलीवरी होनी है।इन दोनों की डिलीवरी के उपरांत नए खेप की खरीद आगे बढ़ेगी। समझा जाता है कि राजनाथ-बेलौसोव बैठक के दौरान अकुला श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी की आपूर्ति में देरी से लेकर एसयू-57 लड़ाकू जेट की खरीद जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई।हालांकि इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं की गई।

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