Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ind-Pak Relation: भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे को बताए अपने परमाणु ठिकाने, पढ़ें आखिर क्यों किया ऐसा

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Mon, 01 Jan 2024 04:12 PM (IST)

    India Pakistan Nuclear Base भारत और पाकिस्तान ने सोमवार को एक द्विपक्षीय समझौते के तहत अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया। दोनों देशों के बीच हुआ यह समझौता एक-दूसरे के परमाणु हथियारों पर हमला करने से रोकता है। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि सूची का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमला रोकने के एक समझौते के तहत हुआ।

    Hero Image
    India Pakistan Nuclear Base भारत और पाक ने जानकारी साझा की।

    एजेंसी, नई दिल्ली। India Pakistan Nuclear Base भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे को आज अपने परमाणु ठिकानों की सूचना साझा की है। दरअसल, दोनों देशों ने तीन दशक से अधिक समय से जारी अभ्यास को जारी रखा है।

    दोनों में हो रखा समझौता

    भारत और पाकिस्तान (India Pakistan Nuclear Base) ने सोमवार को एक द्विपक्षीय समझौते के तहत अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया। दोनों देशों के बीच हुआ यह समझौता एक-दूसरे के परमाणु हथियारों पर हमला करने से रोकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि सूची का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमला रोकने के एक समझौते के प्रावधानों के तहत हुआ।

    विदेश मंत्रालय का आया बयान

    विदेश मंत्रालय ने कहा कि ये नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक चैनलों के माध्यम से एक साथ ये सूचना साझा की गई। मंत्रालय ने कहा,

    भारत और पाकिस्तान ने आज राजनयिक चैनलों के माध्यम से नई दिल्ली और इस्लामाबाद में एक साथ परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची का आदान-प्रदान किया, जो भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के खिलाफ हमले को रोकने के लिए हुए समझौते के तहत हुआ।

    27 जनवरी 1991 को लागू हुआ था समझौता 

    दोनों देशों में हुए इस समझौते पर 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षर किए गए थे और 27 जनवरी 1991 को ये लागू हुआ। इस समझौते के तहत दोनों देशों को हर कैलेंडर वर्ष की पहली जनवरी को शामिल किए जाने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के बारे में एक-दूसरे को जानकारी देनी होती है।

    सूची का आदान-प्रदान कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच खराब संबंधों के बीच हुआ।

    विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह सूचियों का आदान प्रदान लगातार 33वीं बार हुआ है, पहला आदान-प्रदान 1 जनवरी 1992 को हुआ था।

    यह भी पढ़ें- आतंक की जड़ को मिटाना जरूरी, स्थायी हल चाहिए तो नियंत्रण रेखा को बदलने का बनाना होगा मन