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    न्यूजीलैंड के साथ हुआ एफटीए, अब बिना किसी शुल्क सौ फीसद निर्यात करेगा भारत

    By RAJEEV KUMAREdited By: Swaraj Srivastava
    Updated: Mon, 22 Dec 2025 09:30 PM (IST)

    भारत और न्यूजीलैंड ने एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया है, जिससे भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। न्यूजीलैंड भारतीय मैन्युफैक्चरिंग में 1.8 लाख कर ...और पढ़ें

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    भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग को सस्ते में कच्चे माल मिलेंगे

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक कारोबार के पटल पर भारत की महत्ता लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले एक सप्ताह में भारत ने सोमवार को दूसरा व्यापार समझौता न्यूजीलैंड के साथ पूरा कर लिया। पिछले सप्ताह ओमान के साथ कंप्रेहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीपा) किया गया था। 49,000 डालर प्रति व्यक्ति आय वाले देश न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने से कृषि पदार्थ से लेकर सभी रोजगारपरक सेक्टर से जुड़े आइटम अब न्यूजीलैंड में बिना शुल्क के निर्यात हो सकेंगे।

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    इससे किसान व एमएसएमई को बड़ा फायदा मिलेगा। भारत ने न्यूजीलैंड के लिए भी अपने कृषि व डेयरी बाजार को नहीं खोला है। लेकिन सेब, किवी, मनुका मधु के साथ न्यूजीलैंड के वाइन को शुल्क में भारत ने बड़ी राहत दी है जिससे ये आइटम अब भारत में सस्ते होंगे। न्यूजीलैंड सेब, किवी व डेयरी सेक्टर में भारतीय उत्पादकता को बढ़ाने में अपनी टेक्नोलाजी से भारतीय किसानों की मदद करेगा। न्यूजीलैंड से आयात होने वाले कोकिंग कोयला, लकड़ी व स्क्रैप मैटेरियल पर शुल्क को हटा दिया गया है जिससे भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग को सस्ते में कच्चे माल मिलेंगे।

    मैन्यूफैक्चरिंग में 1.8 लाख करोड़ रुपए का होगा निवेश

    एफटीए के तहत अगले 15 सालों में न्यूजीलैंड भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग में 1.8 लाख करोड़ रुपए का निवेश भी करेगा। सालाना 47 अरब डालर का आयात करने वाले देश न्यूजीलैंड के साथ भारत का वस्तु कारोबार वित्त वर्ष 2024-25 में सिर्फ 1.3 अरब डॉलर का रहा है, इसलिए टेक्सटाइल, लेदर आइटम, इंजीनियरिंग गुड्स, जेम्स व ज्वैलरी, दवा, केमिकल्स, प्लास्टिक जैसे आइटम के निर्यात बढ़ाने का भारतीय कारोबारियों को बड़ा अवसर मिलने जा रहा है। भारतीय वस्तुओं पर अभी 2-10 प्रतिशत का शुल्क लगता है जो एफटीए पर अमल के बाद शून्य हो जाएगा।

    दोनों देशों के बीच मंजूर एफटीए पर अगले तीन माह में हस्ताक्षर किए जाएंगे और उसके एक-दो माह के भीतर उस एफटीए पर अमल शुरू होगा।कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहे न्यूजीलैंड ने भारतीय छात्र व कामगारों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। स्वास्थ्य, आईटी, पर्यटन समेत 118 प्रकार के सेवा निर्यात पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा। न्यूजीलैंड में पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों को सप्ताह में 20 घंटे काम करने की छूट होगी।

    युवाओं को तरक्की करने का मौका मिलेगा

    विज्ञान, टेक्नोलॉजी, गणित व अंग्रेजी के छात्रों को दो-चार साल का वर्क वीजा मिलेगा।इस मौके पर वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह एक समग्र एफटीए है जिससे किसान, एमएसएमई, सर्विस सेक्टर व भारतीय युवाओं को तरक्की करने का मौका मिलेगा। इस एफटीए वार्ता को मात्र नौ माह के रिकार्ड समय में वाणिज्य मंत्रालय की महिला अधिकारियों की टीम ने पूरा किया है।बाक्समात्र कुछ वर्षों में ही सात एफटीएभारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और भारत के कुशल युवा बाजार को देखते हुए दुनिया का हर विकसित देश अब भारत के साथ व्यापार समझौता करना चाहता है।

    तभी कुछ वर्षों में ही मारिशस, आस्ट्रेलिया, यूएई, एफ्टा देश (स्विट्जरलैंड, नार्वे, आइसलैंड व लिस्टेनस्टिन), ब्रिटेन व ओमान के बाद अब न्यूजीलैंड ने एफटीए किया है। अगले महीने दो दर्जन से अधिक देश वाले यूरोपीय यूनियन के साथ भारत एफटीए कर सकता है। अगले साल अमेरिका व कनाडा जैसे बड़े देश के साथ भी एफटीए होने की पूरी उम्मीद है।

    यह भी पढ़ें- भारत के सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर अमेरिका-ईयू के साथ अगले वर्ष व्यापार समझौते की उम्मीद, लेबर इंटेंसिव सेक्टर को होगा फायदा

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक कारोबार के पटल पर भारत की महत्ता लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले एक सप्ताह में भारत ने सोमवार को दूसरा व्यापार समझौता न्यूजीलैंड के साथ पूरा कर लिया। पिछले सप्ताह ओमान के साथ कंप्रेहेंसिव इकोनामिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीपा) किया गया था। 49,000 डालर प्रति व्यक्ति आय वाले देश न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने से कृषि पदार्थ से लेकर सभी रोजगारपरक सेक्टर से जुड़े आइटम अब न्यूजीलैंड में बिना शुल्क के निर्यात हो सकेंगे।
    इससे किसान व एमएसएमई को बड़ा फायदा मिलेगा। भारत ने न्यूजीलैंड के लिए भी अपने कृषि व डेयरी बाजार को नहीं खोला है। लेकिन सेब, किवी, मनुका मधु के साथ न्यूजीलैंड के वाइन को शुल्क में भारत ने बड़ी राहत दी है जिससे ये आइटम अब भारत में सस्ते होंगे। न्यूजीलैंड सेब, किवी व डेयरी सेक्टर में भारतीय उत्पादकता को बढ़ाने में अपनी टेक्नोलाजी से भारतीय किसानों की मदद करेगा। न्यूजीलैंड से आयात होने वाले कोकिंग कोयला, लकड़ी व स्क्रैप मैटेरियल पर शुल्क को हटा दिया गया है जिससे भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग को सस्ते में कच्चे माल मिलेंगे।
    मैन्यूफैक्चरिंग में 1.8 लाख करोड़ रुपए का होगा निवेश
    एफटीए के तहत अगले 15 सालों में न्यूजीलैंड भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग में 1.8 लाख करोड़ रुपए का निवेश भी करेगा। सालाना 47 अरब डालर का आयात करने वाले देश न्यूजीलैंड के साथ भारत का वस्तु कारोबार वित्त वर्ष 2024-25 में सिर्फ 1.3 अरब डॉलर का रहा है, इसलिए टेक्सटाइल, लेदर आइटम, इंजीनियरिंग गुड्स, जेम्स व ज्वैलरी, दवा, केमिकल्स, प्लास्टिक जैसे आइटम के निर्यात बढ़ाने का भारतीय कारोबारियों को बड़ा अवसर मिलने जा रहा है। भारतीय वस्तुओं पर अभी 2-10 प्रतिशत का शुल्क लगता है जो एफटीए पर अमल के बाद शून्य हो जाएगा।
    दोनों देशों के बीच मंजूर एफटीए पर अगले तीन माह में हस्ताक्षर किए जाएंगे और उसके एक-दो माह के भीतर उस एफटीए पर अमल शुरू होगा।कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहे न्यूजीलैंड ने भारतीय छात्र व कामगारों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। स्वास्थ्य, आईटी, पर्यटन समेत 118 प्रकार के सेवा निर्यात पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा। न्यूजीलैंड में पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों को सप्ताह में 20 घंटे काम करने की छूट होगी।
    युवाओं को तरक्की करने का मौका मिलेगा
    विज्ञान, टेक्नोलॉजी, गणित व अंग्रेजी के छात्रों को दो-चार साल का वर्क वीजा मिलेगा।इस मौके पर वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह एक समग्र एफटीए है जिससे किसान, एमएसएमई, सर्विस सेक्टर व भारतीय युवाओं को तरक्की करने का मौका मिलेगा। इस एफटीए वार्ता को मात्र नौ माह के रिकार्ड समय में वाणिज्य मंत्रालय की महिला अधिकारियों की टीम ने पूरा किया है।बाक्समात्र कुछ वर्षों में ही सात एफटीएभारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और भारत के कुशल युवा बाजार को देखते हुए दुनिया का हर विकसित देश अब भारत के साथ व्यापार समझौता करना चाहता है।
    तभी कुछ वर्षों में ही मारिशस, आस्ट्रेलिया, यूएई, एफ्टा देश (स्विट्जरलैंड, नार्वे, आइसलैंड व लिस्टेनस्टिन), ब्रिटेन व ओमान के बाद अब न्यूजीलैंड ने एफटीए किया है। अगले महीने दो दर्जन से अधिक देश वाले यूरोपीय यूनियन के साथ भारत एफटीए कर सकता है। अगले साल अमेरिका व कनाडा जैसे बड़े देश के साथ भी एफटीए होने की पूरी उम्मीद है।
    राजीव कुमार