एफटीए में रणनीतिक क्षेत्रों पर ध्यान दें भारत-इजराइल, GTRI ने बताई वजह
आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई के अनुसार, भारत और इजरायल को मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में वस्तुओं के व्यापार की बजाय रक्षा उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान देना चाहिए। इजरायल की कम आबादी के कारण भारत के निर्यात की संभावनाएं सीमित हैं। जीटीआरआई का मानना है कि एफटीए को रणनीतिक सहयोग द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।

भारत-इजरायल को इन बातों पर देना चाहिए ध्यान।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने कहा है कि भारत और इजरायल ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर फिर से वार्ता शुरू करने का एलान किया है। हालांकि दोनों देशों को वस्तु व्यापार में लाभ के बजाय रक्षा विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक, सेमीकंडक्टर, जल एवं सिंचाई प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग पर ध्यान देना चाहिए।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि इजरायल एक उच्च आय वाला प्रौद्योगिकी-संचालित बाजार है। इजरायल की जनसंख्या एक करोड़ से कम है, जिससे कपड़ा, वाहन या सामान्य इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे भारत द्वारा अधिक निर्यात किए जाने वाले क्षेत्रों के लिए संभावनाएं सीमित हो जाती हैं।
इन क्षेत्रों में दे रहा टक्कर
वहीं भारत कृषि, जेनेरिक, इस्पात, रसायन जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी है जिनमें इजरायल या तो आत्मनिर्भर है या गुणवत्ता और 'फाइटोसैनिटरी' मानदंडों के माध्यम से कड़ाई से विनियमित है या पहले से ही यूरोपीय संघ तथा अमेरिका जैसे भागीदारों को शुल्क में प्राथमिकता प्रदान करता है।
आर्थिक शोध संस्थान ने क्या कहा?
आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि इससे भारतीय उत्पाद संरचनात्मक रूप से नुकसान में रहते हैं और परिणामस्वरूप वाणिज्य हीरे, चावल और सिरेमिक टाइल्स जैसी कुछ विशिष्ट श्रेणियों तक ही सीमित रह जाता है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, 'इसलिए, दोनों देशों के लिए नए सिरे से एफटीए प्रयास को व्यापारिक व्यापार में लाभ के बजाय रक्षा विनिर्माण, इलेक्ट्रानिक, सेमीकंडक्टर, जल एवं सिंचाई प्रौद्योगिकी, सटीक कृषि तथा साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।' दोनों देशों ने औपचारिक रूप से शीघ्र ही एफटीए वार्ता पुन: शुरू करने के लिए नियम-शर्तों पर पिछले सप्ताह हस्ताक्षर किए थे।
एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है भारत
भारत और इजरायल मई, 2010 से इसी तरह के समझौते पर बातचीत कर रहे थे। 2012-13 तक कई दौर की वार्ताएं हुईं। फिर 2014 के बाद दोनों पक्षों में शुल्क, मानकों और संवेदनशील उत्पादों तक पहुंच को लेकर सहमति न बनने को लेकर बातचीत थमती चली गई।
भारत, एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। द्विपक्षीय व्यापार में मुख्य रूप से हीरे, पेट्रोलियम उत्पाद और रसायन शामिल हैं लेकिन हाल के वर्ष में इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी और उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों, संचार प्रणालियों एवं चिकित्सकीय उपकरणों जैसे क्षेत्रों में भी व्यापार में वृद्धि देखी गई है।

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