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    26 जनवरी को भारत ने चीन के खिलाफ चली बड़ी चाल, दक्षिण चीन सागर में करेगा ये काम; इंडोनेशिया का मिला साथ

    Updated: Mon, 27 Jan 2025 05:29 AM (IST)

    दक्षिण चीन सागर में चीन अपनी सैन्य ताकत में लगातार इजाफा करने में जुटा है। इससे आसपास के छोटे देश भयभीत हैं। मगर अब भारत ने गणतंत्र दिवस पर बड़ी चाल चल दी है। भारत ने दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में आचार संहिता लागू करने का आह्वान किया है। भारत को इस मुद्दे पर इंडोनेशिया का भी साथ मिल गया है। दूसरी तरफ चीन इसका खुलकर विरोध करता है।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो। ( फोटो- एएनआई )

    पीटीआई, नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच भारत और इंडोनेशिया ने प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इस क्षेत्र में ''पूर्ण और प्रभावी'' आचार संहिता लागू करने की वकालत की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो के बीच शनिवार को व्यापक बातचीत में दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर चर्चा हुई।

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    बैठक में दोनों पक्षों ने भारत के हिंद महासागर क्षेत्र स्थित सूचना संलयन केंद्र (इन्फार्मेशन फ्यूजन सेंटर) में इंडोनेशिया से एक संपर्क अधिकारी तैनात करने पर सहमति व्यक्त की।

    गुरुग्राम में बनाया गया फ्यूजन सेंटर

    उल्लेखनीय है कि भारतीय नौसेना ने समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोगात्मक ढांचे के तहत जहाजों की आवाजाही के साथ-साथ क्षेत्र में अन्य महत्वपूर्ण विकास पर नजर रखने के लिए 2018 में गुरुग्राम में इन्फार्मेशन फ्यूजन सेंटर की स्थापना की थी। आसियान देश भी दक्षिण चीन सागर पर एक बाध्यकारी आचार संहिता पर जोर दे रहे हैं। इसका मुख्य कारण चीन द्वारा इस क्षेत्र पर अपने व्यापक दावों को स्थापित करने के लगातार प्रयास हैं।

    बीजिंग कर रहा विरोध

    बीजिंग इस संहिता का कड़ा विरोध करता रहा है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का दावा करता है, जो हाइड्रोकार्बन का एक बड़ा स्त्रोत है। हालांकि, वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनेई सहित कई आसियान सदस्य देशों ने चीन के इस दावे पर आपत्ति जताई है। मोदी और सुबियांटो ने भारत-इंडोनेशिया आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी चर्चा की।

    उन्होंने द्विपक्षीय लेन-देन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग के लिए पिछले वर्ष दोनों पक्षों के बीच समझौता ज्ञापन के शीघ्र कार्यान्वयन के महत्व पर बल दिया। उनका मानना है कि द्विपक्षीय लेन-देन के लिए स्थानीय मुद्राओं के उपयोग से व्यापार को और बढ़ावा मिलेगा और दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच वित्तीय एकीकरण गहरा होगा।

    आतंकवाद की खुलकर की निंदा

    मोदी और सुबियांटो ने आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा करते हुए भारत-इंडोनेशिया आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाने का संकल्प दोहराया और बिना किसी ''दोहरे मापदंड'' के इस खतरे से निपटने के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया। दोनों नेताओं ने सभी देशों से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया।

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